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किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, पत्नियों ने भी दिल्ली बॉर्डर पर डाला डेरा

कृषि कानून की वापसी की मांग को लेकर अब किसानों का परिवार भी गाजीपुर के बॉर्डर में पहुंचने लगा है. वहीं, जिले से भी कई परिवार बॉर्डर में डेरा डाले हुए हैं, तो कई महिलाएं भी दिल्ली बॉर्डर पर जाने की बात कह रही हैं.

udham singh nagar news
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Published : Jan 8, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 7:28 PM IST

रुद्रपुरः कृषि कानून के विरोध में किसानों द्वारा पिछले 44 दिनों से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन जारी है. वहीं, उधम सिंह नगर जनपद से भी सैकड़ों किसान काले कानून के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर में डेरा डाले हुए हैं. ऐसे में अब जिले से क़ई महिलाएं भी अपने पतियों के सहयोग और काले कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर बॉर्डर में पहुंच रहीं हैं.

किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में देश के तमाम राज्यों के किसान दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 52 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के सैकड़ों किसान भी कृषि कानून को लेकर अपना विरोध दर्ज करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर में गए हुए हैं. ऐसे में खेत, निराई, गुड़ाई, सिंचाई और घर के काम की जिमेदारी घर की महिलाओं ने संभाली हुई हैं. जनपद के ऐसे भी क़ई परिवार हैं, जो कृषि कानून के विरोध में पूरे परिवार के साथ दिल्ली बॉर्डर में डटे हुए हैं.

सितारगंज के बिष्टि गांव के रहने वाले जसविंदर सिंह पिछले 25 दिनों से गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में डटे हुए हैं. ऐसे में परिवार और खेती-बाड़ी की जिम्मेदारी उनकी पत्नी राजविंदर कौर के कन्धों पर आ गई है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके पति बॉर्डर में कृषि कानून को लेकर डटे हुए हैं, तो यहां पर उनके स्थान पर वह बच्चों से लेकर खेती-बाड़ी और जानवरों का काम खुद देख रही हैं. उन्होंने बताया कि वह भी कृषि कानून के विरोध के लिए अपने पति का सहयोग कर रही हैं और जल्द ही वह भी अपने पति का साथ देने के लिए गाजीपुर बॉर्डर जाएंगी.

इसके अतिरिक्त रुद्रपुर आवास विकास के रहने वाले किरन जीत कौर पीछले तीन दिनों से कृषि कानून के विरोध में अपने पति के साथ गाजीपुर बॉर्डर में डटी हुई हैं. उन्होंने बताया कि उनके पति 25 सितंबर से गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में किसानों के साथ डटे हुए हैं. उनकी 20 एकड़ की जमीन की देखभाल उनके द्वारा की जा रही है. वह मौजूदा समय में दिल्ली बॉर्डर में अपने पति का साथ देने के लिए पिछले तीन दिनों से डटी हुई हैं.

ये भी पढ़ेंः देवेंद्र यादव ने कार्यकर्ताओं संग की बैठक, किसानों के समर्थन में निकाली ट्रैक्टर रैली

इसके साथ ही यूपी, उत्तराखंड के बॉर्डर मकरोई की रहने वाली मनजीत कौर ने बताया कि उनकी 15 एकड़ जमीन मकरोई बहेड़ी में है. उनके पति भी आंदोलन के शुरुआत से ही दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं. उनकी सहायता और काले कानून के विरोध में वह भी दिल्ली बॉर्डर में उनका साथ दे रही हैं. वह पिछले दो दिनों से बॉर्डर में काले कानून का विरोध जताते हुए उसे भारत सरकार से वापस लेने की मांग कर रही हैं.

वहीं, रुद्रपुर के आवास विकास की रहने वाली सुखवंत कौर ने बताया कि उनकी बिलाशपुर में 20 एकड़ की खेती है. कृषि कानून के विरोध आंदोलन में उनके पति हरजीत सिंह भी दिल्ली बॉर्डर में 25 दिनों से डटे हुए हैं. घर का कारोबार व खेती-बाड़ी की जिम्मेदारियों के साथ ही वह भी दिल्ली के बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में पिछले दिनों गई थीं. उस दौरान उन्होंने किसानों संग चार दिन व्यतीत किए और भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि कृषि कानून के तीनों बिलों को वापस लिया जाए.

रुद्रपुरः कृषि कानून के विरोध में किसानों द्वारा पिछले 44 दिनों से दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन जारी है. वहीं, उधम सिंह नगर जनपद से भी सैकड़ों किसान काले कानून के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर में डेरा डाले हुए हैं. ऐसे में अब जिले से क़ई महिलाएं भी अपने पतियों के सहयोग और काले कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर बॉर्डर में पहुंच रहीं हैं.

किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में देश के तमाम राज्यों के किसान दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 52 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के सैकड़ों किसान भी कृषि कानून को लेकर अपना विरोध दर्ज करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर में गए हुए हैं. ऐसे में खेत, निराई, गुड़ाई, सिंचाई और घर के काम की जिमेदारी घर की महिलाओं ने संभाली हुई हैं. जनपद के ऐसे भी क़ई परिवार हैं, जो कृषि कानून के विरोध में पूरे परिवार के साथ दिल्ली बॉर्डर में डटे हुए हैं.

सितारगंज के बिष्टि गांव के रहने वाले जसविंदर सिंह पिछले 25 दिनों से गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में डटे हुए हैं. ऐसे में परिवार और खेती-बाड़ी की जिम्मेदारी उनकी पत्नी राजविंदर कौर के कन्धों पर आ गई है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके पति बॉर्डर में कृषि कानून को लेकर डटे हुए हैं, तो यहां पर उनके स्थान पर वह बच्चों से लेकर खेती-बाड़ी और जानवरों का काम खुद देख रही हैं. उन्होंने बताया कि वह भी कृषि कानून के विरोध के लिए अपने पति का सहयोग कर रही हैं और जल्द ही वह भी अपने पति का साथ देने के लिए गाजीपुर बॉर्डर जाएंगी.

इसके अतिरिक्त रुद्रपुर आवास विकास के रहने वाले किरन जीत कौर पीछले तीन दिनों से कृषि कानून के विरोध में अपने पति के साथ गाजीपुर बॉर्डर में डटी हुई हैं. उन्होंने बताया कि उनके पति 25 सितंबर से गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में किसानों के साथ डटे हुए हैं. उनकी 20 एकड़ की जमीन की देखभाल उनके द्वारा की जा रही है. वह मौजूदा समय में दिल्ली बॉर्डर में अपने पति का साथ देने के लिए पिछले तीन दिनों से डटी हुई हैं.

ये भी पढ़ेंः देवेंद्र यादव ने कार्यकर्ताओं संग की बैठक, किसानों के समर्थन में निकाली ट्रैक्टर रैली

इसके साथ ही यूपी, उत्तराखंड के बॉर्डर मकरोई की रहने वाली मनजीत कौर ने बताया कि उनकी 15 एकड़ जमीन मकरोई बहेड़ी में है. उनके पति भी आंदोलन के शुरुआत से ही दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर में कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं. उनकी सहायता और काले कानून के विरोध में वह भी दिल्ली बॉर्डर में उनका साथ दे रही हैं. वह पिछले दो दिनों से बॉर्डर में काले कानून का विरोध जताते हुए उसे भारत सरकार से वापस लेने की मांग कर रही हैं.

वहीं, रुद्रपुर के आवास विकास की रहने वाली सुखवंत कौर ने बताया कि उनकी बिलाशपुर में 20 एकड़ की खेती है. कृषि कानून के विरोध आंदोलन में उनके पति हरजीत सिंह भी दिल्ली बॉर्डर में 25 दिनों से डटे हुए हैं. घर का कारोबार व खेती-बाड़ी की जिम्मेदारियों के साथ ही वह भी दिल्ली के बॉर्डर में कृषि कानून के विरोध में पिछले दिनों गई थीं. उस दौरान उन्होंने किसानों संग चार दिन व्यतीत किए और भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि कृषि कानून के तीनों बिलों को वापस लिया जाए.

Last Updated : Jan 8, 2021, 7:28 PM IST
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