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ठेका खत्म होने के बाद भी हो रहा मछलियों का शिकार, सरकार को लाखों का नुकसान - मत्स्य विभाग

लोगों का कहना है कि नियमों को ताक पर रखते हुए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से मछलियों का जमकर शिकार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ठेका समाप्त होने के बाद भी लाखों रुपये की मछलियों का अवैध शिकार हो चुका है.

मछलीयों का अवैध कारोबार
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Published : Jul 28, 2019, 4:21 PM IST

गदरपुर: नगर के गूलरभोज क्षेत्र के जलाशयों में मछली मारने का ठेका खत्म हो चुका है. जिसके बाद पुलिस और संबंधित विभागों को जलाशयों की देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन इस सब के बीच मछवारे बेखौफ होकर मछलियों का अवैध शिकार कर रहे हैं. जिसके चलते सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं मामले को लेकर पुलिस प्रशासन अनजान बना हुआ है.

बता दें कि बोर जलाशय और हरिपुरा जलाशय में एक जुलाई से 31 अगस्त तक प्रशासन मछलियों के शिकार पर पाबंदी लगा देता है, क्योंकि इस समय मछली का प्रजनन काल होता है. मत्स्य विभाग द्वारा मछली के अंडे को भी जलाशयों में छोड़ा जाता हैं. वहीं सरकार की ओर से ठेका समाप्त करने के बाद जलाशय से मछली नहीं उठाई जाती है.

लोगों का कहना है कि नियमों को ताक पर रखते हुए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध मछलियों का जमकर शिकार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ठेका समाप्त होने के बाद भी लाखों रुपये की मछलियों का अवैध शिकार हो चुका है.

मछलीयों का अवैध कारोबार

ये भी पढ़ें:मसूरी के इस भूतिया होटल में हो रहा हिमालयी राज्यों का सम्मेलन, पढ़ें पूरी खबर

इस दौरान मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक एस.के. छिमबाल ने कहा कि जलाशय की नीलामी न होने के कारण ऐसी स्थित बनी हुई है. वहां पर एक ही इंस्पेक्टर और एक ही चौकीदार होने के कारण मछली का शिकार रोका जाना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि एक जुलाई से 31 अगस्त तक मछलियों की सुरक्षा हेतु जिला अधिकारी, पुलिस अधिक्षक और मत्स्य विभाग सचिव को पत्राचार किया गया है.

शासन स्तर से जितना हो सके मछली का शिकार रोकने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जलाशय के आसपास के लोग ही इसमें संलिप्त हैं और इससे पहले ठेकेदार पर फायरिंग भी की जा चुकी है. इस दौरान पैसे लेकर पर्ची काटने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा कोई आदमी पर्ची नहीं बनाता. वहीं लोगों का कहना है कि बोर जलाशय में कम से कम 200 लोगों द्वारा मछलियों का शिकार अवैध तरीके से करते हैं.

हैरानी की बात ये है कि पुलिस चौकी से मात्र 1 किमी की दूरी से ही डैम का एरिया शुरू हो जाता है, लेकिन स्थानीय पुलिस भी निष्क्रिय रहती है. इतने बड़े पैमाने पर मछलियों के अवैध शिकार से सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.

गदरपुर: नगर के गूलरभोज क्षेत्र के जलाशयों में मछली मारने का ठेका खत्म हो चुका है. जिसके बाद पुलिस और संबंधित विभागों को जलाशयों की देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन इस सब के बीच मछवारे बेखौफ होकर मछलियों का अवैध शिकार कर रहे हैं. जिसके चलते सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहीं मामले को लेकर पुलिस प्रशासन अनजान बना हुआ है.

बता दें कि बोर जलाशय और हरिपुरा जलाशय में एक जुलाई से 31 अगस्त तक प्रशासन मछलियों के शिकार पर पाबंदी लगा देता है, क्योंकि इस समय मछली का प्रजनन काल होता है. मत्स्य विभाग द्वारा मछली के अंडे को भी जलाशयों में छोड़ा जाता हैं. वहीं सरकार की ओर से ठेका समाप्त करने के बाद जलाशय से मछली नहीं उठाई जाती है.

लोगों का कहना है कि नियमों को ताक पर रखते हुए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध मछलियों का जमकर शिकार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ठेका समाप्त होने के बाद भी लाखों रुपये की मछलियों का अवैध शिकार हो चुका है.

मछलीयों का अवैध कारोबार

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इस दौरान मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक एस.के. छिमबाल ने कहा कि जलाशय की नीलामी न होने के कारण ऐसी स्थित बनी हुई है. वहां पर एक ही इंस्पेक्टर और एक ही चौकीदार होने के कारण मछली का शिकार रोका जाना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि एक जुलाई से 31 अगस्त तक मछलियों की सुरक्षा हेतु जिला अधिकारी, पुलिस अधिक्षक और मत्स्य विभाग सचिव को पत्राचार किया गया है.

शासन स्तर से जितना हो सके मछली का शिकार रोकने के लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जलाशय के आसपास के लोग ही इसमें संलिप्त हैं और इससे पहले ठेकेदार पर फायरिंग भी की जा चुकी है. इस दौरान पैसे लेकर पर्ची काटने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा कोई आदमी पर्ची नहीं बनाता. वहीं लोगों का कहना है कि बोर जलाशय में कम से कम 200 लोगों द्वारा मछलियों का शिकार अवैध तरीके से करते हैं.

हैरानी की बात ये है कि पुलिस चौकी से मात्र 1 किमी की दूरी से ही डैम का एरिया शुरू हो जाता है, लेकिन स्थानीय पुलिस भी निष्क्रिय रहती है. इतने बड़े पैमाने पर मछलियों के अवैध शिकार से सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है.

Intro:एंकर - प्रशासन के नाक के नीचे हर रोज भारी संख्या में अवैध रूप से मछुआरे जमकर मछली का शिकार करकर बेच रहे हैBody:उधम सिंह नगर के गूलरभोज क्षेत्र के जलाशयों में ठेकेदार का ठेका खत्म होते ही पुलिस तथा संबंधित विभागों की मिलीभगत से हर रोज़
भारी संख्या में मछुआरे अवैध तरीक़े कांटे ओर जाल से जमकर मछली का शिकार करकर बेच रहे है
इस तरह से सरकार का लाखों रुपए का चूना संबंधित विभाग लगाने में तुले हुए है

विओ - 1- आपको बताते चले कि बोर जलाशय और हरिपुरा जलाशय मे एक जुलाई से 31 अगस्त तक सरकार मछली के शिकार पर पाबंदी लगा देती है क्योंकि इस समय मछली का प्रजनन काल होता है इस काल मे मछली के पेट मे अंडे होते हैं और मत्स्य विभाग द्वारा मछली का बीज(बच्चे) भी जलाशयों में छोड़े जाते है
और इस समय सरकार की ओर से ठेका समाप्त करने के बाद किसी भी तरह से जलाशय के अंदर से मछली नहीं उठाया जा सकता है इस सारी नियमों को ताक में रखते हुए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से अवैध मछलियों का शिकार जमकर किया जा रहा है देखरेख कर रहे जलाशय विभाग के आला अधिकारी की भी संदिग्ध रूप से इन अवैध शिकारियों के साथ लिप्त होने का मामला सामने आ रहा है।
जबसे ठेका समाप्त हुआ है तब से आज तक कई लाखों की मछली की अवैध शिकार हो चुका है और आगे भी चल रहा है यहां सब जान कर भी अनजान बने हुए है पुलिस प्रशासन

विओ - 2 - इस दौरान सहायक निदेशक मत्स्य विभाग एस.के. छिमबाल ने कहा कि जलाशय का नीलाम ना होने के कारण मछलियों की हानि हो रही है वहां पर एक ही इंस्पेक्टर और एक ही चौकीदार होने के कारण मछली का शिकार रोका जाना संभव नहीं है
जुलाई से 31 अगस्त माह तक मछलियों की सुरच्छा हेतु DM, ओर SSP उधम सिंह नगर को सचिव मत्स्य विभाग ने पत्र लिख कर जलाशय में अवैध शिकार को रोकने हेतु 01 जुलाई 19,, 31 अगस्त 19 तक पुलिस व PAC की ड्यूटी लगाने के आदेश दिए थे और हमारे द्वारा कई बार जलाशय में चेकिंग किया गया है अपने स्तर से जितना हो सके मछली का शिकार हम रोकने के लिए प्रयास कर रहे हैं चोर जो है जलाशय के अंदर के ही गांव के है और पहले हमारे ठेकेदार के ऊपर फायर भी हो चुका है और गोली भी लगी है हर साल ऐसा होता रहता और कहा कि जलाशय का जो ठेकेदार होता है वह तो रोक लेता है क्योंकि उनके पास काफी वर्कर होते हैं
इस दौरान हमारे रिपोर्टर द्वारा जब पैसे लेके पर्ची काटने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा कोई आदमी पर्ची नहीं करता वहां पर कोई और हो सकता है ।
वहीं मछली मारने आए राजा ने कहा कि बोर जलाशय में कम से कम 200 लोगों द्वारा मछली का शिकार कर कर बेच रहे हैं हम तो बहुत दूर से सिर्फ शौक के लिए मछली मारने आए थे लेकिन हमारे लाख गुजारिश करने के बावजूद भी हमें मछली मारने के लिए बैठने नहीं दिया क्योंकि हमने 500 रुपयों देके पर्ची नही काटा
500 रुपए के पर्ची काटने के लिए कह रहे थे लेकिन हमने नहीं काटा यही वजह रहा जो हमें बैठने नहीं दिया गया

विओ - 3 - जानकारी के अनुसार मछलियों की सुरच्छा के लिए जिलाधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधम सिंह नगर को सचिव मत्स्य विभाग ने पत्र लिख कर जलाशय में अवैध शिकार को रोकने के लिए पुलिस व PAC की ड्यूटी लगाने के आदेश दिए थे लेकिन आज तक इस जलाशय में कोई ड्यूटी नही लगाई गई जब कि जिले के अन्य जलाशयों में मछलियों की सुरक्षा के लिए डयूटियां लगी है ।
ताज्जुब की बात तो यह है कि पुलिस चौकी से मात्र 1 किमी0 दूरी से ही डाम का एरिया शुरू हो जाता है लेकिन स्थानीय पुलिस भी निष्क्रिय है इतने बड़े पैमाने पर अवैध शिकार से सरकार को भारी राजस्व की हानि तो हो ही रही है आने वाले समय मे मछली के अंडे न होने कारन मछली की संख्या भी घटेगी
वही ऐसा लगता है कि कोई पर्दे के पीछे से आर्थिक लाभ उठा रहा है यह भी सन्धिगद है कि सचिव के आदेश के बाद भी इस जलाशय की सुरक्षा न करने के पीछे भी कोई बड़ा खेल है और कोई बड़ी मछली ही पनपी हुई है जो पुलिस को सुरछा नही करने दे रही है Conclusion:बाकी स्टिंग के आधार पर खबर को और बेहतर बना सकते है

अब देखना यह होगा कि प्रशासन मछली के शिकारियों को रोकने में कामयाब हो पाएगी कि नहीं यह तो आने वाला वक्त बताएगा

बाइट- राजा
बाइट- एस.के. छीमबाल (सहायक निदेशक मत्स्य विभाग उधम सिंह नगर )
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