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कांग्रेस को मिला बहुमत तो पूरी हो सकती है हरदा की मुराद, यशपाल बनेंगे पहले दलित मुख्यमंत्री! - Uttarakhand Politics News

प्रदेश में यशपाल आर्य और उनके बेटे के कांग्रेस में शामिल होने से सियासत गरमा गई है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में बहुमत के साथ वापस आती है तो हरीश रावत की जुबान से निकली बात सच साबित हो सकती है.

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पूर्व सीएम हरीश रावत और यशपाल आर्य
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Published : Oct 12, 2021, 9:31 AM IST

Updated : Oct 12, 2021, 1:53 PM IST

काशीपुर: प्रदेश की सियासत में आए दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है. ताजा घटनाक्रम कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में बहुमत के साथ वापस आती है तो हरीश रावत की जुबान से निकली बात सच साबित हो सकती है. आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर वापसी करती है तो यशपाल आर्य के सिर ताज सज सकता है.

गौर हो कि यशपाल आर्य के पूर्व में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कार्यकर्ताओं में खासी पकड़ है. कांग्रेस के पास प्रदेश में कोई बड़ा दलित चेहरा भी नहीं है, इसलिए यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने से कयासों को बल मिल रहा है. बता दें कि काशीपुर में बीते 6 अक्टूबर की शाम को रामनगर रोड स्थित एक होटल में प्रेस वार्ता के दौरान हरीश रावत ने प्रदेश में बहुमत आने के बाद दलित सीएम बनने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि मेरी भगवान से प्रार्थना है कि जिस तरह से पंजाब में एक दलित के बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर इतिहास बनाया गया है.

कांग्रेस को मिला बहुमत तो सच हो सकती है हरदा की भविष्यवाणी.

पढ़ें-ऊर्जा प्रदेश में बिजली की डिमांड, CM धामी ने सब सामान्य होने का दिया भरोसा

वैसे ही उत्तराखंड में भी दलित के बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज भी मैं अपने उसी बयान पर कायम हूं. हरीश रावत ने ये भी कहा था कि 'महाभारत में अभिमन्यु की तरह' मैं जाल में फंस सकता हूं. मैं तभी चुनाव लड़ूंगा, जब आलाकमान मुझसे ऐसा बोलेगा. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से पार्टी में कोई विवाद हो. मैंने 2002, 2007 और 2012 में भी चुनाव नहीं लड़ा था. इस बार मैं 2002 की तरह ही काम करना चाहता हूं. बता दें कि यशपाल आर्य व उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से विधायक हैं. दोनों ने 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था. तब भाजपा ने दोनों को प्रत्याशी भी बनाया था, दोनों ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी.

पढ़ें-केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का उत्तराखंड दौरा, इस खास योजना का करेंगे शुभारंभ

इसके बाद भाजपा सरकार ने यशपाल आर्य को कैबिनेट मंत्री बनाया. अब 2022 के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके लिए राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. वहीं, उत्तराखंड में करीब 18 फीसदी दलित हैं. उत्तराखंड मे हरदा के दलित सीएम उम्मीदवार की घोषणा के बाद यशपाल आर्य व विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस मे शामिल होने से राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट तेज हो गई है. माना जा रहा है कि अगर उत्तराखंड मे कांग्रेस बहुमत लाती है तो, हरीश रावत की जुबान से निकली बात सच साबित हो सकती है और यशपाल आर्य के सिर पर ताज सज सकता है. वहीं, छह बार विधायक रहे दलित नेता यशपाल आर्य 2007 से 2014 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हुए थे.

काशीपुर: प्रदेश की सियासत में आए दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है. ताजा घटनाक्रम कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में बहुमत के साथ वापस आती है तो हरीश रावत की जुबान से निकली बात सच साबित हो सकती है. आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर वापसी करती है तो यशपाल आर्य के सिर ताज सज सकता है.

गौर हो कि यशपाल आर्य के पूर्व में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कार्यकर्ताओं में खासी पकड़ है. कांग्रेस के पास प्रदेश में कोई बड़ा दलित चेहरा भी नहीं है, इसलिए यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने से कयासों को बल मिल रहा है. बता दें कि काशीपुर में बीते 6 अक्टूबर की शाम को रामनगर रोड स्थित एक होटल में प्रेस वार्ता के दौरान हरीश रावत ने प्रदेश में बहुमत आने के बाद दलित सीएम बनने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि मेरी भगवान से प्रार्थना है कि जिस तरह से पंजाब में एक दलित के बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर इतिहास बनाया गया है.

कांग्रेस को मिला बहुमत तो सच हो सकती है हरदा की भविष्यवाणी.

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वैसे ही उत्तराखंड में भी दलित के बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज भी मैं अपने उसी बयान पर कायम हूं. हरीश रावत ने ये भी कहा था कि 'महाभारत में अभिमन्यु की तरह' मैं जाल में फंस सकता हूं. मैं तभी चुनाव लड़ूंगा, जब आलाकमान मुझसे ऐसा बोलेगा. मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से पार्टी में कोई विवाद हो. मैंने 2002, 2007 और 2012 में भी चुनाव नहीं लड़ा था. इस बार मैं 2002 की तरह ही काम करना चाहता हूं. बता दें कि यशपाल आर्य व उनके बेटे संजीव आर्य नैनीताल विधानसभा सीट से विधायक हैं. दोनों ने 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था. तब भाजपा ने दोनों को प्रत्याशी भी बनाया था, दोनों ने भारी मतों से जीत दर्ज की थी.

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इसके बाद भाजपा सरकार ने यशपाल आर्य को कैबिनेट मंत्री बनाया. अब 2022 के विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके लिए राज्य में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. वहीं, उत्तराखंड में करीब 18 फीसदी दलित हैं. उत्तराखंड मे हरदा के दलित सीएम उम्मीदवार की घोषणा के बाद यशपाल आर्य व विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस मे शामिल होने से राजनीतिक गलियारे में सुगबुगाहट तेज हो गई है. माना जा रहा है कि अगर उत्तराखंड मे कांग्रेस बहुमत लाती है तो, हरीश रावत की जुबान से निकली बात सच साबित हो सकती है और यशपाल आर्य के सिर पर ताज सज सकता है. वहीं, छह बार विधायक रहे दलित नेता यशपाल आर्य 2007 से 2014 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हुए थे.

Last Updated : Oct 12, 2021, 1:53 PM IST
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