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खटीमा दौरे पर बोले मुख्य वन संरक्षक, मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं रोकना बड़ी चुनौती - human wildlife conflict

उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख विनोद सिंघल अपने कुमाऊं के दो दिवसीय दौरे के दौरान खटीमा पहुंचे. वन विभाग प्रमुख ने वर्तमान समय में लगातार बढ़ रही वन्यजीवों की संख्या के चलते मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बताया है.

Khatima
खटीमा
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Published : Sep 8, 2022, 10:23 AM IST

खटीमा: उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख विनोद सिंघल (Vinod Singhal) कुमाऊं के दौरे पर रहे. अपने कुमाऊं के दौरे के दौरान जहां उन्होंने मंगलवार को हल्द्वानी लालकुआं के जंगलों का निरीक्षण किया तो वहीं, बुधवार को तराई पूर्वी वन प्रभाग के दौरे के दौरान खटीमा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सुरई सफारी का निरीक्षण किया, साथ ही क्रोकोडाइल टेल का निरीक्षण किया.

विनोद सिंघल ने बताया कि उत्तराखंड में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं, जिसके चलते खटीमा में सुरई सफारी के साथ ही क्रोकोडाइल टेल को एक साथ विकसित किया जाएगा. विगत कुछ सालों में वन विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं के फलस्वरूप वर्तमान समय में गुलदार, बाघ व हाथी सहित जंगली जानवरों की उत्तराखंड में संख्या काफी बढ़ गई है, जिसके चलते मानव वन्यजीव संघर्ष (human wildlife conflict) की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ रही मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं को रोकना वन विभाग के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है. मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा जंगलों से सटे आबादी क्षेत्रों में जनता को जागरूक किया जा रहा है. वन विभाग का कहना है कि रात्रि में जंगलों में बिना किसी काम के ना जाएं. यदि जाएं तो ग्रुप में जाएं, ताकि मानव वन्यजीव संघर्ष की संभावनाएं पैदा ना हों.
पढ़ें- धन सिंह रावत ने किया जन आरोग्य अभियान का शुभारंभ, प्रदेश भर में चलेगा स्वास्थ्य अभियान

साथ ही हाथी कॉरिडोर और उसके किनारे आबादी क्षेत्रों में हाथी दीवार के साथ ही पावर फेंसिंग भी की जा रही है. ताकि हाथी मानव बस्ती की ओर ना जाएं. इसके साथ ही अन्य कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष को वन विभाग द्वारा रोका जा सके.

खटीमा: उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख विनोद सिंघल (Vinod Singhal) कुमाऊं के दौरे पर रहे. अपने कुमाऊं के दौरे के दौरान जहां उन्होंने मंगलवार को हल्द्वानी लालकुआं के जंगलों का निरीक्षण किया तो वहीं, बुधवार को तराई पूर्वी वन प्रभाग के दौरे के दौरान खटीमा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सुरई सफारी का निरीक्षण किया, साथ ही क्रोकोडाइल टेल का निरीक्षण किया.

विनोद सिंघल ने बताया कि उत्तराखंड में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं, जिसके चलते खटीमा में सुरई सफारी के साथ ही क्रोकोडाइल टेल को एक साथ विकसित किया जाएगा. विगत कुछ सालों में वन विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं के फलस्वरूप वर्तमान समय में गुलदार, बाघ व हाथी सहित जंगली जानवरों की उत्तराखंड में संख्या काफी बढ़ गई है, जिसके चलते मानव वन्यजीव संघर्ष (human wildlife conflict) की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ रही मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं को रोकना वन विभाग के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है. मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा जंगलों से सटे आबादी क्षेत्रों में जनता को जागरूक किया जा रहा है. वन विभाग का कहना है कि रात्रि में जंगलों में बिना किसी काम के ना जाएं. यदि जाएं तो ग्रुप में जाएं, ताकि मानव वन्यजीव संघर्ष की संभावनाएं पैदा ना हों.
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साथ ही हाथी कॉरिडोर और उसके किनारे आबादी क्षेत्रों में हाथी दीवार के साथ ही पावर फेंसिंग भी की जा रही है. ताकि हाथी मानव बस्ती की ओर ना जाएं. इसके साथ ही अन्य कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष को वन विभाग द्वारा रोका जा सके.

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