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रुद्रपुर में इंडोनेशिया की तर्ज पर बॉयोफ्लॉग तकनीक से हो रहा मछली उत्पादन

रुद्रपुर जनपद में इंडोनेशिया (Indonesia) की तर्ज पर बॉयोफ्लॉग तकनीक (Biofloc Technology) से किसान मछलियों का उत्पादन कर रहे है.

Fish production
मछली का उत्पादन
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Published : Sep 17, 2021, 10:11 AM IST

रुद्रपुर: इंडोनेशिया (Indonesia) की बॉयोफ्लॉग तकनीक (Biofloc Technology) से अब किसान भी मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जनपद के आठ किसान इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. जिसके अच्छे परिणाम भी मत्स्य विभाग को मिल रहे हैं.

जनपद में इंडोनेशिया की टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर मछली उत्पादन का काम शुरू हो गया है. केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जनपद के 8 किसान बॉयोफ्लॉग टेक्नोलॉजी के माध्यम से मछली का उत्पादन कर रहे हैं. जिसमें से एक किसान ने मछलियों की पहली खेप भी ले ली है. इस टेक्नोलॉजी की खासियत ये है कि इससे कम क्षेत्र फल व कम पानी का उपयोग करते हुए मछलियों का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है. अगर, 15 हजार लीटर के 7 टैंक बनाते हैं तो लगभग 6 माह में 30 क्विंटल मछली का उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जा रहा है.

बॉयोफ्लॉग तकनीक से हो रहा मछली उत्पादन.

खटीमा के किसान कपिल तलवार द्वारा इस योजना के तहत अब तक बेहतर काम कर के 30 क्विंटल मछली बेच चुके हैं. उनके द्वारा टैंक में सिंगी, पगेसियस, स्नेक हेड (शोल) जैसी मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है जबकि, जमीन में तालाब बना कर मछलियों के उत्पादन करने में जगह का ज्यादा इस्तेमाल होता है. यहीं नहीं बॉयोफ्लॉग तकनीक से किसान साल में तीन फसल आसानी से ले सकते हैं. जबकि, तालाब में मछली की एक या दो क्रॉप ही किसान ले पाते हैं.

पढ़ें: पिथौरागढ़: कोरोना काल में 284 स्वास्थ्य कर्मियों को बिना वेतन दिये दिखाया बाहर का रास्ता

मत्स्य विभाग के सीनियर निरीक्षक रविन्द्र कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बॉयोफ्लॉग विधि से जनपद के 8 किसान मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जिसमें किसानों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. उन्होंने बताया कि किसान बॉयोफ्लॉग तकनीक से कई तरह के मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जिसकी बाजारों में अच्छी डिमांड भी है.

रुद्रपुर: इंडोनेशिया (Indonesia) की बॉयोफ्लॉग तकनीक (Biofloc Technology) से अब किसान भी मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जनपद के आठ किसान इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. जिसके अच्छे परिणाम भी मत्स्य विभाग को मिल रहे हैं.

जनपद में इंडोनेशिया की टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर मछली उत्पादन का काम शुरू हो गया है. केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत जनपद के 8 किसान बॉयोफ्लॉग टेक्नोलॉजी के माध्यम से मछली का उत्पादन कर रहे हैं. जिसमें से एक किसान ने मछलियों की पहली खेप भी ले ली है. इस टेक्नोलॉजी की खासियत ये है कि इससे कम क्षेत्र फल व कम पानी का उपयोग करते हुए मछलियों का अच्छा उत्पादन किया जा सकता है. अगर, 15 हजार लीटर के 7 टैंक बनाते हैं तो लगभग 6 माह में 30 क्विंटल मछली का उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जा रहा है.

बॉयोफ्लॉग तकनीक से हो रहा मछली उत्पादन.

खटीमा के किसान कपिल तलवार द्वारा इस योजना के तहत अब तक बेहतर काम कर के 30 क्विंटल मछली बेच चुके हैं. उनके द्वारा टैंक में सिंगी, पगेसियस, स्नेक हेड (शोल) जैसी मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है जबकि, जमीन में तालाब बना कर मछलियों के उत्पादन करने में जगह का ज्यादा इस्तेमाल होता है. यहीं नहीं बॉयोफ्लॉग तकनीक से किसान साल में तीन फसल आसानी से ले सकते हैं. जबकि, तालाब में मछली की एक या दो क्रॉप ही किसान ले पाते हैं.

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मत्स्य विभाग के सीनियर निरीक्षक रविन्द्र कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बॉयोफ्लॉग विधि से जनपद के 8 किसान मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जिसमें किसानों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. उन्होंने बताया कि किसान बॉयोफ्लॉग तकनीक से कई तरह के मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. जिसकी बाजारों में अच्छी डिमांड भी है.

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