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पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा दे रहीं देवकी जोशी, खूब पसंद की जा रही मंडुए की नमकीन - migration in uttarakhand

पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पिथौरागढ़ की देवकी जोशी ने मंडुए की नमकीन तैयार की है. मंडुए की नमकीन (Mandua namkeen) को लोग हाथों-हाथ खरीद रहे हैं. उनके पास खाद्य उत्पादों में काफी वैरायटी है, जिसमें पहाड़ी दालें, पहाड़ी नमकीन, मंडुए से बने खाद्य पदार्थ मुख्य रूप से शामिल हैं.

Kashipur Chaiti Mela
काशीपुर
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Published : Apr 25, 2022, 11:22 AM IST

Updated : Apr 25, 2022, 11:41 AM IST

काशीपुर: कुमाऊं का प्रसिद्ध चैती मेला इन दिनों अपने चरम पर है. चैती मेले में जहां देश के विभिन्न राज्यों के उत्पाद देखने को मिल रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड के कुमाऊं तथा गढ़वाल के उत्पाद भी इस मेले में दिखाई दे रहे हैं. हथकरघा प्रदर्शनी में लगाए गए उत्पाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. खाद्य उत्पादों में काफी वैरायटी मिल रही हैं, जिनमें पहाड़ी दालें, पहाड़ी नमकीन, मंडुए से बने खाद्य पदार्थ मुख्य रूप से शामिल हैं.

काशीपुर में लगे चैती मेले में जहां उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब के लघु उद्यमियों के उत्पाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, तो वहीं चैती मेले में लगी हथकरघा प्रदर्शनी में कुमाऊं नमकीन उद्योग, पिथौरागढ़ की दुकान भी इस बार काफी चर्चा में है. कुमाऊं नमकीन उद्योग की देवकी जोशी ने बताया कि उन्होंने पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक खास प्रकार की नमकीन बनाई है.

खूब पसंद की जा रही मंडुए की नमकीन

पिथौरागढ़ की देवकी जोशी पिछले 28 साल से नमकीन का कारोबार कर रही हैं. उन्होंने पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देखने के लिए मंडुए की नमकीन (Mandua namkeen) बनाई है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने पहाड़ में पैदा होने वाले अनाज, दालों और सोयाबीन के उत्पाद भी बनाए हैं, जिसमें नमकीन और चिप्स शामिल हैं. इसके साथ ही उन्होंने मडुआ स्टिक, मडुआ चिप्स, मडुआ भुजिया, मडुवा लहसुन सेव, सोया प्लेन, सोया स्पाइसी, सोया स्टिक, मेथी सेव, सोया चिप्स गहत स्पाइसी, काले और सफेद भट्ट की नमकीन, खट्टा-मीठा, नवरत्न और कुमाऊं मिक्स आदि पहाड़ी उत्पादों की नमकीन उपलब्ध हैं.
पढ़ें- World Malaria Day: मलेरिया मुक्त हुए पर्वतीय जनपद, तराई क्षेत्र के जनपदों पर विभाग का फोकस

पहाड़ से पलायन रोकना संभव !: देवकी जोशी बताती हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य पहाड़ के पलायन को रोकना और पहाड़ के अनाजों को नई पहचान दिलाना है. वह पहाड़ के अनाजों को नई पहचान दिलाने में तो सफल हुई हैं लेकिन पहाड़ से पलायन (migration in uttarakhand) को रोकने में सक्षम नहीं हो पाईं. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में रोजगार का अभाव है. इस कारण पहाड़ की युवा पीढ़ी रोजगार की तलाश में शहर-शहर भटक रही है. सरकार अगर पहाड़ पर छोटे उद्योग लगाकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए तो पहाड़ से पलायन को रोका जा सकता है तथा पहाड़ को मजबूत किया जा सकता है.

काशीपुर: कुमाऊं का प्रसिद्ध चैती मेला इन दिनों अपने चरम पर है. चैती मेले में जहां देश के विभिन्न राज्यों के उत्पाद देखने को मिल रहे हैं तो वहीं, उत्तराखंड के कुमाऊं तथा गढ़वाल के उत्पाद भी इस मेले में दिखाई दे रहे हैं. हथकरघा प्रदर्शनी में लगाए गए उत्पाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. खाद्य उत्पादों में काफी वैरायटी मिल रही हैं, जिनमें पहाड़ी दालें, पहाड़ी नमकीन, मंडुए से बने खाद्य पदार्थ मुख्य रूप से शामिल हैं.

काशीपुर में लगे चैती मेले में जहां उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब के लघु उद्यमियों के उत्पाद लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं, तो वहीं चैती मेले में लगी हथकरघा प्रदर्शनी में कुमाऊं नमकीन उद्योग, पिथौरागढ़ की दुकान भी इस बार काफी चर्चा में है. कुमाऊं नमकीन उद्योग की देवकी जोशी ने बताया कि उन्होंने पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक खास प्रकार की नमकीन बनाई है.

खूब पसंद की जा रही मंडुए की नमकीन

पिथौरागढ़ की देवकी जोशी पिछले 28 साल से नमकीन का कारोबार कर रही हैं. उन्होंने पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देखने के लिए मंडुए की नमकीन (Mandua namkeen) बनाई है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने पहाड़ में पैदा होने वाले अनाज, दालों और सोयाबीन के उत्पाद भी बनाए हैं, जिसमें नमकीन और चिप्स शामिल हैं. इसके साथ ही उन्होंने मडुआ स्टिक, मडुआ चिप्स, मडुआ भुजिया, मडुवा लहसुन सेव, सोया प्लेन, सोया स्पाइसी, सोया स्टिक, मेथी सेव, सोया चिप्स गहत स्पाइसी, काले और सफेद भट्ट की नमकीन, खट्टा-मीठा, नवरत्न और कुमाऊं मिक्स आदि पहाड़ी उत्पादों की नमकीन उपलब्ध हैं.
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पहाड़ से पलायन रोकना संभव !: देवकी जोशी बताती हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य पहाड़ के पलायन को रोकना और पहाड़ के अनाजों को नई पहचान दिलाना है. वह पहाड़ के अनाजों को नई पहचान दिलाने में तो सफल हुई हैं लेकिन पहाड़ से पलायन (migration in uttarakhand) को रोकने में सक्षम नहीं हो पाईं. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में रोजगार का अभाव है. इस कारण पहाड़ की युवा पीढ़ी रोजगार की तलाश में शहर-शहर भटक रही है. सरकार अगर पहाड़ पर छोटे उद्योग लगाकर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए तो पहाड़ से पलायन को रोका जा सकता है तथा पहाड़ को मजबूत किया जा सकता है.

Last Updated : Apr 25, 2022, 11:41 AM IST
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