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कोरोना: पारंपरिक कारोबार हुआ प्रभावित, दूसरा व्यवसाय करने को मजबूर कारीगर

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Published : Aug 31, 2020, 12:45 PM IST

रुद्रपुर में वाद्य यंत्रों के कारीगर सोनू इन दिनों बढ़ई का काम करने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनको लाखों का नुकसान हुआ है. जिस कारण उन्हें अपना कारोबार बदलना पड़ा है.

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रुद्रपुर लॉकडाउन न्यूज

रुद्रपुर: कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में सभी तरह के कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है. पीढ़ी दर पीढ़ी वाद्य यंत्रों को बनाकर बेचने वालों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. असर ऐसा कि वाद्य यंत्रों के कारीगर अब परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे काम करने को मजबूर हैं.

कई वर्षों से वाद्य यंत्रों को बनाकर बेचने वाले एक दुकानदार पर लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी की उसने पुश्तैनी काम छोड़ मजदूरी और बढ़ई का काम शुरू कर दिया है. आलम ये है की वाद्य यंत्रों के डंप होने के कारण अब यंत्रों को चूहे कुतर रहे हैं. अबतक दुकानदार को लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है.

पुश्तैनी काम छोड़ बढ़ई का काम करने को मजबूर दुकानदार.

दरअसल, जगतपुरा स्थित अटरिया मंदिर में हर साल अप्रैल माह में एक माह तक भव्य मेले का आयोजन होता है. मंदिर के पास ही सोनू पिछले 10 सालों से वाद्य यंत्रों की दुकान चला रहा है. इस साल भी सोनू ने मेले को लेकर खूब तैयारियां की थी, लगभग 5 लाख रुपये के समान के साथ सोनू ने खूब सपने भी संजाए थे, लेकिन प्रदेश में 23 मार्च से लॉकडाउन होने से सोनू ओर उसके परिवार के सपने धरे के धरे रह गए.

पढ़ें- रुद्रपुर: चोरों ने पिथौरागढ़ के मुख्य कृषि अधिकारी के घर पर बोला धावा, नकदी और जेवर ले उड़े

लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो जाने से 8 लोगों के परिवार की जिमेदारी को लेकर म्यूजिक वाद्य यंत्रों को छोड़ सोनू ने खेतों में काम भी किया. बाद में बीमार पिता की राय पर उन्होंने बढ़ई का काम शुरू कर दिया. अब दोनों बाप बेटे बढ़ई का काम कर घर का खर्च उठा रहे हैं.

रुद्रपुर: कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में सभी तरह के कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है. पीढ़ी दर पीढ़ी वाद्य यंत्रों को बनाकर बेचने वालों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. असर ऐसा कि वाद्य यंत्रों के कारीगर अब परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे काम करने को मजबूर हैं.

कई वर्षों से वाद्य यंत्रों को बनाकर बेचने वाले एक दुकानदार पर लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी की उसने पुश्तैनी काम छोड़ मजदूरी और बढ़ई का काम शुरू कर दिया है. आलम ये है की वाद्य यंत्रों के डंप होने के कारण अब यंत्रों को चूहे कुतर रहे हैं. अबतक दुकानदार को लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है.

पुश्तैनी काम छोड़ बढ़ई का काम करने को मजबूर दुकानदार.

दरअसल, जगतपुरा स्थित अटरिया मंदिर में हर साल अप्रैल माह में एक माह तक भव्य मेले का आयोजन होता है. मंदिर के पास ही सोनू पिछले 10 सालों से वाद्य यंत्रों की दुकान चला रहा है. इस साल भी सोनू ने मेले को लेकर खूब तैयारियां की थी, लगभग 5 लाख रुपये के समान के साथ सोनू ने खूब सपने भी संजाए थे, लेकिन प्रदेश में 23 मार्च से लॉकडाउन होने से सोनू ओर उसके परिवार के सपने धरे के धरे रह गए.

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लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो जाने से 8 लोगों के परिवार की जिमेदारी को लेकर म्यूजिक वाद्य यंत्रों को छोड़ सोनू ने खेतों में काम भी किया. बाद में बीमार पिता की राय पर उन्होंने बढ़ई का काम शुरू कर दिया. अब दोनों बाप बेटे बढ़ई का काम कर घर का खर्च उठा रहे हैं.

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