रुद्रपुरः उधमसिंह नगर के काशीपुर और बाजपुर ब्लॉक में अगले धान सीजन में विदेशों में सप्लाई होने वाले बासमती धान का उत्पादन किया जाएगा. इसके लिए कृषि विभाग तैयारियों में जुटा हुआ है. गुणवत्ता युक्त धान उगाने में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम किसानों की मदद करेगी.
सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो धान के अगले सीजन में उधम सिंह नगर में पैदा होने वाला बासमती चावल विदेशों में अपनी महक बिखेरेगा. इसके लिए कृषि विभाग तैयारियों में जुट गया है. विभाग ने बासमती के उत्पादन के लिए काशीपुर ब्लॉक व बाजपुर ब्लॉक का चयन भी कर लिया है.
दरअसल भारत सरकार की योजना फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (FPO) के तहत जिले के बासमती धान को पुनर्जीवित किया जा रहा है. ताकि, एक बार फिर जिले का प्रसिद्ध धान विदेशों में सप्लाई हो सके. योजना के तहत किसानों की एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया है साथ ही कंपनी एक्ट में उनका रजिस्ट्रेशन भी कर दिया गया है. यही नहीं, एक्सपोर्टर्स के साथ किसानों की बैठक भी करा दी गई है. बासमती के तीन वैरायटी के उत्पादन के लिए 500 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है.
बासमती की ये 3 वैरायटीः ऊधमसिंह नगर के काशीपुर और बाजपुर ब्लॉक में पहले किसान बासमती धान का उत्पादन किया करते थे. चूंकि बासमती धान उत्पादन करने में किसानों को लागत कम मिलती है, इसके कारण किसानों ने धान का उत्पादन बंद कर दिया था. मौजूदा समय में 50 से 100 हेक्टेयर भूमि पर ही बासमती धान की खेती की जाती है. अब कृषि विभाग इन दोनों क्षेत्रों में लगभग 400 हेक्टेयर भूमि पर बासमती की तीन प्रजातियों को उगा कर एक्सपोर्ट करने की रणनीति तैयार कर रहा है. जिसमें पूषा बासमती 1692, 1121,1509 शामिल हैं.
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पंतनगर के कृषि वैज्ञानिक किसानों को देंगे ट्रेनिंगः बासमती का उत्पादन कर एक्सपोर्ट के मानकों में खरा उतरने के लिए बाजपुर और काशीपुर के किसानों को पंतनगर कृषि विश्विद्यालय में ट्रेनिंग दी जानी है. कम पेस्टिसाइड का प्रयोग करते हुए कैसे गुणवत्ता युक्त धान की पैदावार की जाए, इसको लेकर वैज्ञानिक किसानों को ट्रेनिंग देंगे.
पूषा बासमती 1509 की खेती ऑफ सीजनः कृषि अधिकारी ने बताया कि जिन बासमती धान को इस योजना में शामिल किया गया है, उसमें से 1509 बासमती को किसान ऑफ सीजन धान के रूप में उत्पादन कर रहे हैं. लगभग दो से ढाई हजार हेक्टेयर खेती ऑफ सीजन में की जा रही है.
कृषि अधिकारी अभय सक्सेना ने बताया कि बासमती की तीन प्रजातियों के उत्पादन के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं. किसानों की ट्रेनिंग कराने के बाद अगले सीजन में 400 हेक्टेयर भूमि में धान का उत्पादन किया जाएगा, जिससे किसानों को फायदा मिलेगा.