रुद्रपुर: उत्तराखंड के युवाओं की बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी ने उधम सिंह नगर जिले में सिडकुल की स्थापना की थी, ताकि युवाओं को रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर न जाने पड़े, लेकिन आज ये ही सिडकुल स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. सिडकुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और गंदगी से लोगों के जीवन में जहर घुल रहा है. सिकडुल के आसपास के इलाकों के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद की चौंकाने वाले हैं.
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हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पर्यावरण के प्रति आम लोग तो जागरुक हो रहे हैं लेकिन सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड विकास के साथ विनाश की ओर बढ़ रहा है. इसका उदाहरण उधम सिंह नगर जिले के सिकडुल एरिया और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल सकता है.
सिकडुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे जमीन में जा रहा है. इसके अलावा सिडकुल और इसके आसपास के इलाकों में सफाई की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. जिसक कारण यहां गंदगी का ढेर लगा रहता है, इससे न सिर्फ इलाके में वायु प्रदुषण बढ़ रहा है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले लोग बीमार भी हो रहे हैं.
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2017 के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिडकुल इलाके में करीब 325 लोगों की मौत कारण वायु प्रदूषण था. ये जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता हिमांशु चंदोला को मिली थी. हिमांशु चंदोला के मुताबिक, इंड्रस्टियल एरिया होने के चलते यहां इतनी धूल उठती है कि लोग सही से सांस भी नहीं ले पाते हैं. गंदगी के कारण यहां के लोगों को पीलिया, लिवर और आंखों में इंफेक्शन जैसी कई गंभीर से जुझना पड़ रहा है.
सिडकुल में वायु प्रदूषण फैला रही कई कंपनियों को लेकर चंदोला नैनीताल हाई कोर्ट में पीआईएल भी दायर कर चुके है. कोर्ट ने 180 से ज्यादा फैक्ट्रियों को रेड जॉन में डालते हुए उन्हें बंद करने के आदेश भी जारी किए थे. वहीं, डॉक्टर भी मान रहे हैं कि प्रदूषण के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ी है. आलम ये है कि कई बार इलाज के दौरान उनकी मौत तक हो जाती है. शहर में बढ़ता प्रदूषण लोगों एक दिन विकराल रूप धारण कर लेगा.