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नौकारियां नहीं 'मौत' बांट रहा सिडकुल, 325 लोगों ही वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है जान

युवाओं को रोजगार मिले इसलिये रुद्रपुर में सिडकुल की स्थापना की थी गई थी. लेकिन आज यही सिडकुल विकास की जगह विनाश का कारण बन रहा है. 2017 के आंकड़ों पर नजर डाले में सिडकुल इलाके में करीब 325 लोगों की मौत कारण वायु प्रदूषण था.

rudrapur
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Published : Jun 5, 2019, 3:10 PM IST

रुद्रपुर: उत्तराखंड के युवाओं की बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी ने उधम सिंह नगर जिले में सिडकुल की स्थापना की थी, ताकि युवाओं को रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर न जाने पड़े, लेकिन आज ये ही सिडकुल स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. सिडकुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और गंदगी से लोगों के जीवन में जहर घुल रहा है. सिकडुल के आसपास के इलाकों के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद की चौंकाने वाले हैं.

नौकारियां नहीं 'मौत' बांट रहा है सिडकुल

पढ़ें- वनाग्नि के कारण उत्तराखंड की फिजाओं में घुल रहा है 'काला जहर'

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पर्यावरण के प्रति आम लोग तो जागरुक हो रहे हैं लेकिन सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड विकास के साथ विनाश की ओर बढ़ रहा है. इसका उदाहरण उधम सिंह नगर जिले के सिकडुल एरिया और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल सकता है.

सिकडुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे जमीन में जा रहा है. इसके अलावा सिडकुल और इसके आसपास के इलाकों में सफाई की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. जिसक कारण यहां गंदगी का ढेर लगा रहता है, इससे न सिर्फ इलाके में वायु प्रदुषण बढ़ रहा है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले लोग बीमार भी हो रहे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस: कंक्रीट में तब्दील होता शहर, खत्म होती हरियाली ने बढ़ाई चिंता

2017 के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिडकुल इलाके में करीब 325 लोगों की मौत कारण वायु प्रदूषण था. ये जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता हिमांशु चंदोला को मिली थी. हिमांशु चंदोला के मुताबिक, इंड्रस्टियल एरिया होने के चलते यहां इतनी धूल उठती है कि लोग सही से सांस भी नहीं ले पाते हैं. गंदगी के कारण यहां के लोगों को पीलिया, लिवर और आंखों में इंफेक्शन जैसी कई गंभीर से जुझना पड़ रहा है.

सिडकुल में वायु प्रदूषण फैला रही कई कंपनियों को लेकर चंदोला नैनीताल हाई कोर्ट में पीआईएल भी दायर कर चुके है. कोर्ट ने 180 से ज्यादा फैक्ट्रियों को रेड जॉन में डालते हुए उन्हें बंद करने के आदेश भी जारी किए थे. वहीं, डॉक्टर भी मान रहे हैं कि प्रदूषण के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ी है. आलम ये है कि कई बार इलाज के दौरान उनकी मौत तक हो जाती है. शहर में बढ़ता प्रदूषण लोगों एक दिन विकराल रूप धारण कर लेगा.

रुद्रपुर: उत्तराखंड के युवाओं की बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एनडी तिवारी ने उधम सिंह नगर जिले में सिडकुल की स्थापना की थी, ताकि युवाओं को रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर न जाने पड़े, लेकिन आज ये ही सिडकुल स्थानीय लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. सिडकुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और गंदगी से लोगों के जीवन में जहर घुल रहा है. सिकडुल के आसपास के इलाकों के जो आंकड़े सामने आए हैं वो बेहद की चौंकाने वाले हैं.

नौकारियां नहीं 'मौत' बांट रहा है सिडकुल

पढ़ें- वनाग्नि के कारण उत्तराखंड की फिजाओं में घुल रहा है 'काला जहर'

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पर्यावरण के प्रति आम लोग तो जागरुक हो रहे हैं लेकिन सरकार और प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. शायद यही कारण है कि उत्तराखंड विकास के साथ विनाश की ओर बढ़ रहा है. इसका उदाहरण उधम सिंह नगर जिले के सिकडुल एरिया और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल सकता है.

सिकडुल में लगी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे जमीन में जा रहा है. इसके अलावा सिडकुल और इसके आसपास के इलाकों में सफाई की भी कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. जिसक कारण यहां गंदगी का ढेर लगा रहता है, इससे न सिर्फ इलाके में वायु प्रदुषण बढ़ रहा है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले लोग बीमार भी हो रहे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस: कंक्रीट में तब्दील होता शहर, खत्म होती हरियाली ने बढ़ाई चिंता

2017 के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिडकुल इलाके में करीब 325 लोगों की मौत कारण वायु प्रदूषण था. ये जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता हिमांशु चंदोला को मिली थी. हिमांशु चंदोला के मुताबिक, इंड्रस्टियल एरिया होने के चलते यहां इतनी धूल उठती है कि लोग सही से सांस भी नहीं ले पाते हैं. गंदगी के कारण यहां के लोगों को पीलिया, लिवर और आंखों में इंफेक्शन जैसी कई गंभीर से जुझना पड़ रहा है.

सिडकुल में वायु प्रदूषण फैला रही कई कंपनियों को लेकर चंदोला नैनीताल हाई कोर्ट में पीआईएल भी दायर कर चुके है. कोर्ट ने 180 से ज्यादा फैक्ट्रियों को रेड जॉन में डालते हुए उन्हें बंद करने के आदेश भी जारी किए थे. वहीं, डॉक्टर भी मान रहे हैं कि प्रदूषण के कारण जिला अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ी है. आलम ये है कि कई बार इलाज के दौरान उनकी मौत तक हो जाती है. शहर में बढ़ता प्रदूषण लोगों एक दिन विकराल रूप धारण कर लेगा.

Intro:एंकर - राज्य में बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार द्वारा सिडकुल स्थापित किये थे ताकि लोगो को रोजगार के लिए दर दर की ठोकरे ना खानी पड़े। उदनम सिंह नगर जिला मुख्यालय रूद्रपुर में भी सिडकुल की स्थापना की गई थी। सिडकुल की स्थापना के बाद अब फैक्ट्रियां लोगो की जन्दगी में जहर घोलने का काम कर रही है। फेक्ट्रियो से निकलने वाले धुवे व पानी अब लोगो को मौत बाट रही है। पेस है इटीवी भारत की विशेष खबर।


Body:वीओ - तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार द्वारा पहाड़ के लोगो के लिए उधम सिंह नगर मुख्यालय में सिडकुल की स्थापना की थी। धीरे धीरे सिडकुल में सेकड़ो कपनियां भी स्थापित हो गयी। 70 फीसदी उत्तराखंड के लोगो को रोजगार का दवा तो पूरा ना हो सका लेकिन सिडकुल स्थित फेक्ट्रियो ने लोगो की जन्दगी में जहर घोलने शुरू कर दिया। अब उधम सिंह नगर की आवो हवा इतनी दूषित हो चूकी है की अब आस पास के इलाकों में गम्भीर बीमारियां होने लगी है। नलों का पानी पीने लायक नही रह गए है। आरटीआई में हुए खुलासे में 2017 में 325 से ज्यादा प्रदूषण के कारण मौत हो चूकी है। आरटीआई कार्यकर्ता व स्थानीय लोगो की माने तो क्षेत्र में लोगो को काला पीलिया, लिवर आखों का इंफेक्शन जैसी गंभीर बीमारियां हो रही है। सिडकुल क्षेत्र के आसपास के घरों में इतनी डस्ट उड़ती है कि वह हवा के साथ लोगो की जन्दगी में घुल रही है। आरटीआई कार्यकर्ता हिमांशु चन्दोला ने बताया कि उनके द्वारा हाईकोर्ट में पीआईएल भी दायर की गई है। जिसमे 180 से ज्यादा फेक्ट्रियो को रेड जॉन में डालते हुए बन्द करने के आदेश भी जारी किए गए थे लेकिन सिडकुल में अधिकांस फैक्ट्रियां धड़ले से चल रही है।

बाइट - हिमांशु चन्दोला, आरटीआई कार्यकर्ता।
बाइट - नितिन चन्दोला, स्थानीय निवासी।

वीओ - वही डॉक्टर भी मान रहे है कि प्रदूषण के कारण जिला अस्पताल में मरीजो की तादात बड़ी है। आलम ये है कि कई बार इलाज के दौरान उनकी मौत तक हो जाती है। वायु प्रदूषण व जल प्रदूषण के कारण गम्भीर बीमारियां उतपन्न हो सकती है।

बाइट -डॉ गौरव अग्रवाल, जिला अस्पताल।


Conclusion:
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