ETV Bharat / state

टिहरी डैम का जलस्तर घटते ही दिखने लगा राजमहल, भर आई लोगों की आंखें

टिहरी डैम का जलस्तर घटते ही लोगों को राज दरबार और घंटाघर दिखने लगा है. जिससे स्थानीय लोग भावुक हो गए हैं.

tehri-palace-started-appearing-as-soon-as-the-water-level-of-tehri-dam-decreased
टिहरी डैम का जलस्तर घटते ही दिखने लगा राजमहल
author img

By

Published : Jun 26, 2020, 5:34 PM IST

Updated : Jun 26, 2020, 7:30 PM IST

टिहरी: पुरानी टिहरी अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी झील के पानी में कही खो सी गई, लेकिन टिहरी रियासत की पुरानी निशानियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं, जिनसे लोगों का गहरा जुड़ाव है. इन दिनों टिहरी झील का जलस्तर कम हो गया है, जिसके बाद पुरानी टिहरी के भवन के अवशेष नजर आने लगे हैं. जिसे देखने के लिए यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी है. लोग यहां पहुंचकर पुराने दिनों की यादों को ताजा कर रहे हैं.

पुरानी टिहरी के जो लोग देहरादून या अन्य शहरों में बसे हैं, वे खंडर राजमहल को देखकर भावुक हो जाते हैं. राजमहल के अवशेष और निशानियों को देखकर लोग भाव-विभोर हो रहे हैं. पुरानी टिहरी को याद करते हुए आज भी उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं. पुराने टिहरी को त्रिहरी नाम से जाना जाता था. कहते हैं कि इस जगह पर 3 ब्रह्म, विष्णु, महेश स्नान करने आते थे. इस स्थान का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है.

टिहरी डैम का जलस्तर घटते ही दिखने लगा राजमहल.

पढ़ें- सर्विस के बाद हो रहा था ट्रायल, देखते ही देखते मिनटों में खाक हुई एक करोड़ की मर्सिडीज

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी टिहरी झील का पानी कम होता है. तब पर्यटन विभाग को राजमहल, कौशल दरबार या अन्य पुरानी धरोहरों तक आने-जाने के लिए नाव लगवानी चाहिए. जिससे लोग नजदीक जाकर इनका दीदार कर सकें. 2006 से कई बार जब भी झील का जलस्तर कम होता है तो ये राजमहल दिखाई देने लगता है. इतने सालों बाद भी राजमहल जस का तस है. झील का जलस्तर लगभग न्यूनतम 740 r.l. मीटर तक पहुंचने पर पुरानी टिहरी का राज महल दिखने लगता है.

पढ़ें- विकासनगर: लोगों को सता रहा जजरेड पहाड़ी का खौफ, भूस्खलन से कई लोग हो चुके हैं चोटिल

बता दें इस शहर को राजा सुदर्शन शाह ने 28 दिसंबर 1815 में बसाया था. लेकिन जब इस शहर को बसाया गया तब ज्योतिष ने कहा था कि इस शहर की उम्र अल्पायु है. 1965 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के.राव ने टिहरी डैम बनाने की घोषणा की. 29 जुलाई 2005 को शहर में पानी घुसा. जिससे करीब 100 परिवारों को अंतिम रूप से शहर छोड़ना पड़ा. साथ ही 29 अक्टूबर 2005 टिहरी डैम की टनल-2 बंद की गई. जिसके साथ ही पुरानी टिहरी शहर में जलभराव शुरू होने लगा. 30 जुलाई 2006 में टिहरी डैम से बिजली का उत्पादन शुरू हुआ.

पढ़ें- विकासनगर: लोगों को सता रहा जजरेड पहाड़ी का खौफ, भूस्खलन से कई लोग हो चुके हैं चोटिल

टिहरी डैम में डूबे ऐतिहासिक स्थल
श्री देव सुमन स्मारक, स्वतंत्रता सेनानी स्मारक, सेमल तप्पड़, प्राचीन दुकान खोला बस्ती, पुराना राज दरबार, कौशल राज दरबार, रानी निवास महल, प्रदर्शनी मैदान, चना खेत, घंटाघर, प्रताप कॉलेज, प्रताप दीक्षा विद्यालय मैदान, मोती बाग, रानी बाग, दया का बाग, गांधी स्मारक, स्वामी रामतीर्थ स्मारक, लाल कोठी, गोल कोठी, शीश महल और हुजूर कोर्ट शामिल है.

पढ़ें- चंपावत के काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

टिहरी डैम डूबे धार्मिक स्थल
गणेश प्रयाग, शेष तीर्थ, धनुष तीर्थ, लक्ष्मण कुंड ,गणेश सिला, अष्टावक्र सिला, शिव पार्वती सिला, सत ईश्वर महादेव मंदिर, दक्षिण काली मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, काल भैरव मंदिर, रघुनाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, शीतला माता मंदिर, भट्टा महादेव मंदिर, बाल्मिकी मंदिर, राजराजेश्वरी मंदिर, गणेश मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, केदारनाथ मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, ईदगाह, कब्रिस्तान और गीता मंदिर शामिल है.

टिहरी: पुरानी टिहरी अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए है. टिहरी झील का निर्माण हुआ तो पुरानी टिहरी झील के पानी में कही खो सी गई, लेकिन टिहरी रियासत की पुरानी निशानियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं, जिनसे लोगों का गहरा जुड़ाव है. इन दिनों टिहरी झील का जलस्तर कम हो गया है, जिसके बाद पुरानी टिहरी के भवन के अवशेष नजर आने लगे हैं. जिसे देखने के लिए यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी है. लोग यहां पहुंचकर पुराने दिनों की यादों को ताजा कर रहे हैं.

पुरानी टिहरी के जो लोग देहरादून या अन्य शहरों में बसे हैं, वे खंडर राजमहल को देखकर भावुक हो जाते हैं. राजमहल के अवशेष और निशानियों को देखकर लोग भाव-विभोर हो रहे हैं. पुरानी टिहरी को याद करते हुए आज भी उनके आंखों में आंसू आ जाते हैं. पुराने टिहरी को त्रिहरी नाम से जाना जाता था. कहते हैं कि इस जगह पर 3 ब्रह्म, विष्णु, महेश स्नान करने आते थे. इस स्थान का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है.

टिहरी डैम का जलस्तर घटते ही दिखने लगा राजमहल.

पढ़ें- सर्विस के बाद हो रहा था ट्रायल, देखते ही देखते मिनटों में खाक हुई एक करोड़ की मर्सिडीज

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी टिहरी झील का पानी कम होता है. तब पर्यटन विभाग को राजमहल, कौशल दरबार या अन्य पुरानी धरोहरों तक आने-जाने के लिए नाव लगवानी चाहिए. जिससे लोग नजदीक जाकर इनका दीदार कर सकें. 2006 से कई बार जब भी झील का जलस्तर कम होता है तो ये राजमहल दिखाई देने लगता है. इतने सालों बाद भी राजमहल जस का तस है. झील का जलस्तर लगभग न्यूनतम 740 r.l. मीटर तक पहुंचने पर पुरानी टिहरी का राज महल दिखने लगता है.

पढ़ें- विकासनगर: लोगों को सता रहा जजरेड पहाड़ी का खौफ, भूस्खलन से कई लोग हो चुके हैं चोटिल

बता दें इस शहर को राजा सुदर्शन शाह ने 28 दिसंबर 1815 में बसाया था. लेकिन जब इस शहर को बसाया गया तब ज्योतिष ने कहा था कि इस शहर की उम्र अल्पायु है. 1965 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के.राव ने टिहरी डैम बनाने की घोषणा की. 29 जुलाई 2005 को शहर में पानी घुसा. जिससे करीब 100 परिवारों को अंतिम रूप से शहर छोड़ना पड़ा. साथ ही 29 अक्टूबर 2005 टिहरी डैम की टनल-2 बंद की गई. जिसके साथ ही पुरानी टिहरी शहर में जलभराव शुरू होने लगा. 30 जुलाई 2006 में टिहरी डैम से बिजली का उत्पादन शुरू हुआ.

पढ़ें- विकासनगर: लोगों को सता रहा जजरेड पहाड़ी का खौफ, भूस्खलन से कई लोग हो चुके हैं चोटिल

टिहरी डैम में डूबे ऐतिहासिक स्थल
श्री देव सुमन स्मारक, स्वतंत्रता सेनानी स्मारक, सेमल तप्पड़, प्राचीन दुकान खोला बस्ती, पुराना राज दरबार, कौशल राज दरबार, रानी निवास महल, प्रदर्शनी मैदान, चना खेत, घंटाघर, प्रताप कॉलेज, प्रताप दीक्षा विद्यालय मैदान, मोती बाग, रानी बाग, दया का बाग, गांधी स्मारक, स्वामी रामतीर्थ स्मारक, लाल कोठी, गोल कोठी, शीश महल और हुजूर कोर्ट शामिल है.

पढ़ें- चंपावत के काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

टिहरी डैम डूबे धार्मिक स्थल
गणेश प्रयाग, शेष तीर्थ, धनुष तीर्थ, लक्ष्मण कुंड ,गणेश सिला, अष्टावक्र सिला, शिव पार्वती सिला, सत ईश्वर महादेव मंदिर, दक्षिण काली मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, काल भैरव मंदिर, रघुनाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, शीतला माता मंदिर, भट्टा महादेव मंदिर, बाल्मिकी मंदिर, राजराजेश्वरी मंदिर, गणेश मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, केदारनाथ मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, ईदगाह, कब्रिस्तान और गीता मंदिर शामिल है.

Last Updated : Jun 26, 2020, 7:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.