टिहरी: वेदान्त स्वामी रामतीर्थ की मूर्ति का रख-रखाव न होने के कारण पुरानी टिहरी की ऐतिहासिक धरोहर क्षतिग्रस्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है. महापुरूष स्वामी रामतीर्थ ने लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस धरोहर को संजोने की मांग उठाई है.
बता दें कि स्वामी रामतीर्थ का जन्म 22 अक्टूबर 1973 को पंजाब के गुजरांवाला जिले के बरौली गांव में हुआ था. उनके जीवन में विवेकानंद का बहुत प्रभाव पड़ा और टिहरी ही उनकी आध्यात्मिक प्रेरणास्थली बनी. 1906 में दीपावली के दिन उन्होंने मृत्यु के नाम एक सन्देश लिखकर गंगा में जलसमाधि ले ली थी. जिसके बाद पुरानी टिहरी में लोगों ने स्वामी रामतीर्थ की मूर्ति स्थापना की.
2005 में टिहरी बांध की झील बनने के कारण पुरानी टिहरी में बनी स्वामी रामतीर्थ की मूर्ति को कोटी कॉलोनी के पास लाकर स्थापित कर दिया गया. लेकिन रखरखाव के अभाव में ये मूर्ति आज खराब हो गई है. लोगों का आरोप है कि प्रशासन ऐतिहासिक धरोहर संभालने में सहयोग नहीं कर रही है.
लोगों का कहना है कि जिस वेदांत स्वामी रामतीर्थ ने अपना घर छोड़कर समाज को जगाने का काम किया. आज उनकी ही मूर्ति का अपमान किया जा रहा है. साथ ही स्वामी रामतीर्थ के नाम से टिहरी विश्वविद्यालय का नाम भी रखा गया, जिससे यहां पर आने वाले लोग स्वामी रामतीर्थ के नाम से परिचित हो सके.