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डैम प्रभावित गांवों के लोगों ने THDC ऑफिस के बाहर दिया धरना, विस्थापन की मांग - outside THDC office

टिहरी डैम प्रभावित ग्रामीणों ने टीएचडीसी के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. ग्रामीण विस्थापन की मांग लेकर पिछले 6 दिन से धरना दे रहे हैं. नंदगाव और पयाल गांव के लोगों ने टीएचडीसी पर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाया है.

People of dam affected villages staged a sit-in outside THDC office
डैम प्रभावित गांवों के लोगों ने टीएचडीसी ऑफिस के बाहर दिया धरना
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Published : Sep 17, 2022, 8:04 PM IST

टिहरी: डैम प्रभावित नंदगाव और पयाल गांव के ग्रामीण आज भी धरने (Villagers of Nandgaon and Payal villages on dharna) पर बैठ हैं. ग्रामीण विस्थापन सहित 7 मांगों को लेकर टीएचडीसी आफिस बी पुरम में 6 दिनों से लगातार आक्रोशित (dharna outside thdc office) हैं. टीएचडीसी ऑफिस के बाहर ग्रामीण महिलाओं ने पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी पर बांध प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. उनकी जमीन और मकानों पर दरारें पड़ रही हैं. इसके बावजूद उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ता सागर भंडारी ने कहा हमारा धरना जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ नहीं है. हमारा धरना टीएचडीसी के खिलाफ है. टिहरी बांध परियोजना के कारण टिहरी झील बनी है. टिहरी झील से गांवों को नुकसान हुआ है. गांव का विस्थापन सही तरीके से किया जाना है.

पढे़ं- हल्द्वानी में होमगार्ड की बरसाती नाले में बहने से मौत, विभाग ने दिया हर संभव मदद का भरोसा

टीएचडीसी की दमनकारी नीति के खिलाफ अधिशासी निदेशक टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के कार्यालय के बाहर सात मांगो को लेकर 6 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है.

ये हैं ग्रामीणों की मांगे:

  1. संयुक्त विशेषज्ञ समिति से हटाये गए विधायकों को वापस समिति में रखा जाए.
  2. संपार्श्विक क्षति के तहत ग्रामीणों को संपूर्ण राशि का एक मुश्त में भुगतान किया जाए.
  3. टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड मे बांध प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को स्थाई रोजगार दे..
  4. टिहरी बांध क्षेत्र से 24 घंटे आवागमन की सुविधा हो.
  5. हनुमंत राव कमेटी की शर्तों के आधार पर बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मुफ़्त बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.
  6. सीएसआर फंड को टिहरी जिले के अस्पतालों एवं विद्यालयों के प्रभावी संचालन मे प्रयोग किया जाए.
  7. कट ऑफ डेट को 2013 किया जाए.

नंदगांव की महिला मंजू ने कहा कि टीएचडीसी ने जो पॉलिसी बनाई गई है वह ग्रामीणों के हित में नहीं है. इससे ग्रामीणों को नुकसान हो रहा है. दूसरी महिला बबीता ने कहा हमें टीएसडीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठने के लिए रोका जा रहा है, जबकि हम शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रखने के लिए धरने पर बैठे हैं.

पढे़ं- केदारघाटी की पवित्रता पर अवैध शराब और मांस का दाग, गौरीकुंड में आस्था से खिलवाड़

टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि विस्थापन का कार्य जिला प्रशासन और पुनर्वास विभाग द्वारा किया जाना है. जो भी मांगें हैं, वह जिला प्रशासन व पुनर्वास विभाग से संबंधित हैं. टीएचडीसी से इनका कोई वास्ता नहीं है. विस्थापन के लिए नीति बनी है. उसी आधार पर ही इनका विस्थापन किया जाएगा.

टिहरी: डैम प्रभावित नंदगाव और पयाल गांव के ग्रामीण आज भी धरने (Villagers of Nandgaon and Payal villages on dharna) पर बैठ हैं. ग्रामीण विस्थापन सहित 7 मांगों को लेकर टीएचडीसी आफिस बी पुरम में 6 दिनों से लगातार आक्रोशित (dharna outside thdc office) हैं. टीएचडीसी ऑफिस के बाहर ग्रामीण महिलाओं ने पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी पर बांध प्रभावितों की अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा झील के कारण गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है. उनकी जमीन और मकानों पर दरारें पड़ रही हैं. इसके बावजूद उनका विस्थापन नहीं किया जा रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ता सागर भंडारी ने कहा हमारा धरना जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ नहीं है. हमारा धरना टीएचडीसी के खिलाफ है. टिहरी बांध परियोजना के कारण टिहरी झील बनी है. टिहरी झील से गांवों को नुकसान हुआ है. गांव का विस्थापन सही तरीके से किया जाना है.

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टीएचडीसी की दमनकारी नीति के खिलाफ अधिशासी निदेशक टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के कार्यालय के बाहर सात मांगो को लेकर 6 दिनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है.

ये हैं ग्रामीणों की मांगे:

  1. संयुक्त विशेषज्ञ समिति से हटाये गए विधायकों को वापस समिति में रखा जाए.
  2. संपार्श्विक क्षति के तहत ग्रामीणों को संपूर्ण राशि का एक मुश्त में भुगतान किया जाए.
  3. टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड मे बांध प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को स्थाई रोजगार दे..
  4. टिहरी बांध क्षेत्र से 24 घंटे आवागमन की सुविधा हो.
  5. हनुमंत राव कमेटी की शर्तों के आधार पर बांध प्रभावित क्षेत्र के लोगों को मुफ़्त बिजली पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.
  6. सीएसआर फंड को टिहरी जिले के अस्पतालों एवं विद्यालयों के प्रभावी संचालन मे प्रयोग किया जाए.
  7. कट ऑफ डेट को 2013 किया जाए.

नंदगांव की महिला मंजू ने कहा कि टीएचडीसी ने जो पॉलिसी बनाई गई है वह ग्रामीणों के हित में नहीं है. इससे ग्रामीणों को नुकसान हो रहा है. दूसरी महिला बबीता ने कहा हमें टीएसडीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठने के लिए रोका जा रहा है, जबकि हम शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को रखने के लिए धरने पर बैठे हैं.

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टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने बताया कि विस्थापन का कार्य जिला प्रशासन और पुनर्वास विभाग द्वारा किया जाना है. जो भी मांगें हैं, वह जिला प्रशासन व पुनर्वास विभाग से संबंधित हैं. टीएचडीसी से इनका कोई वास्ता नहीं है. विस्थापन के लिए नीति बनी है. उसी आधार पर ही इनका विस्थापन किया जाएगा.

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