टिहरीः नई टिहरी जल संस्थान का नया कारमाना सामने आया है. जिससे ये पता चलता है कि पुनर्वास व जल संस्थान के अधिकारी भू-माफियाओं के दवाब में रहकर काम कर रहे हैं. सेफ्टी टैंक पर जल संस्थान दो-दो पत्र जारी कर जिला प्रशासन को गुमराह कर रहा है. जबकि जल संस्थान द्वारा ही 2013 में डीएम को पत्र लिखकर उस पर किया जा रहा काम रुकवाया गया था. दरअसल नई टिहरी C- ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास खाली जमीन पड़ी है.
जिसमे जल संस्थान का सीवर लाइन, सेफ्टी टैंक बना हुआ है. इस जगह पर गंदगी फैलने के कारण 2018 में प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान के तहत आसपास के लोगों द्वारा इस जगह पर साफ-सफाई की गई. उस दौरान 13 जुलाई 2018 को जल संस्थान नई टिहरी ने जिलाधिकारी टिहरी को एक पत्र लिखा. पत्र में आरोप लगाया कि जो लोग सेफ्टी टैंक की साफ-सफाई कर रहे हैं. वह जल संस्थान की संपत्ति पर अवैध अतिक्रमण कर रहे हैं. डीएम को लिखे इस पत्र के बाद इस जगह पर किसी ने कुछ नहीं किया.
पार्क निर्माण कार्य रुकवाया
इस दौरान आसपास के लोगों ने नगरपालिका टिहरी से इस जगह पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर पार्क बनाने की मांग की. पालिका द्वारा बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास किया गया. साथ ही पार्क निर्माण के लिए टेंडर भी हुए. उक्त जगह पर पार्क का निर्माण लगभग पूरा होने वाला था कि पुनर्वास विभाग के अधिशासी व अन्य कर्मचारी काम रुकवाने के लिए मौके पर आए और काम बंद करवा दिया.
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गोलमोल जवाब देकर गुमराह किया
इसके बाद पुनर्वास विभाग ने जल संस्थान को पत्र लिखा कि आप अपनी रिपोर्ट दें कि वास्तव में यह पर सेफ्टी टैंक, सीवर लाइन है या नहीं. पुनर्वास विभाग के पत्र के जवाब में जल संस्थान नई टिहरी ने 4 जून 2021 को दो गोलमोल जवाब दिए. जबकि पुनर्वास विभाग ने जल संस्थान नई टिहरी से NOC मांगी थी कि आपको इस सेफ्टी टैंक की जरूरत है या नहीं.
जल संस्थान के कब्जे में नहीं है सेफ्टी टैंक
जब ईटीवी भारत ने जल संस्थान के अधिकारी सतीश नौटियाल से इस मामले में बात की तो उन्होंने बताया कि जहां पर सेफ्टी टैंक व सीवर बना है. वह हमारे कब्जे में नहीं है. तो सवाल उठता है कि जब कब्जा नहीं था तो फिर जल संस्थान ने 2018 में जिलाधिकारी को पत्र क्यों लिखा.