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मनरेगा घोटाला: लिस्ट में दर्ज मृतकों के नाम, ग्रामीणों ने लगाया बंदरबांट का इल्जाम

केंद्र सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना में पारदर्शिता बरतने के लिए मजदूरी का पैसा सीधा लाभार्थी के खाते में डालने का प्रावधान है. लेकिन सूचना के अधिकार के तहत कीर्तिनगर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा क्वीली में चौंकाने वाला मामला सामने आया है.

लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा मनरेगा का लाभ.
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Published : Aug 29, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Aug 29, 2019, 7:32 PM IST

टिहरी: केंद्र सरकार द्वारा गरीब तबके को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा योजना चला रही है. भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए इस योजना में पारदर्शिता बरतने के तमाम दावे किये जा रहे हो, लेकिन अंतिम व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. ताजा मामला देवप्रयाग के कीर्तिनगर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा क्वीली का है. जहां इस योजना के नाम पर जमकर बंदरबांट हो रही है.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना में पारदर्शिता बरतने के लिये मजदूरी का पैसा सीधा लाभार्थी के खाते में डालने का प्रावधान है. लेकिन सूचना के अधिकार के तहत कीर्तिनगर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा क्वीली में चौंकाने वाला मामला सामने आया है.

यह भी पढ़ें: हरिद्वार में नॉनवेज डिलीवर करने पर प्रशासन सख्त, Zomato पर होगी कार्रवाई

दरअसल, क्वीली ग्राम सभा में मनरेगा योजना के तहत कहीं मृतक के नाम इस योजना में शामिल किये गए हैं. साथ ही लिस्ट में कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने मनरेगा के तहत काम तक नहीं किया है. ग्राम प्रधान ने ऐसे लोगों के नाम लिस्ट में शामिल किये हैं.

लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा मनरेगा का लाभ.

इतना ही नहीं, ग्रामसभा क्वीली में शामिल गांवों में कई रास्तों का बिना निर्माण कागज में होने की शिकायत भी ग्रामीणों ने की है. आरोप है कि लाखों के बजट से कई कार्यों में खानापूर्ति मात्र ही की गई है. ग्रामीणों का ग्राम प्रधान पर आरोप है कि भट्ट टेडर्स के फर्जी बिल बनाकर कई योजनाओं को ठिकाने लगाया गया. वहीं जब दिये गए बाजार के पते पर इस नाम की फर्म को ढूंढा गया तो कई सालों से बाजार में काम कर रहे व्यापारियों ने ऐसी किसी भी फर्म के होने से इंकार किया.

यह भी पढ़ें: खेत में काम कर रहे शख्स पर भालू ने किया हमला, मौत

हैरानी की बात ये है कि जब ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इस मामले पर शिकायत दर्ज कराई तो डीएम ने उपजिलाधिकारी को जांच कराने के निर्देश दिए. उपजिलाधिकारी ने तहसीलदार व ग्राम विकास अधिकारी को इसकी जांच के आदेश दिए जबकि ग्राम विकास अधिकारी खुद पूरे प्रकरण में जांच के घेरे में थे. ऐसे में ग्रामीणों ने जांच पर सवाल उठाए हैं. वहीं ग्राम प्रधान ने कुछ मामलों पर पूर्व ग्राम विकास अधिकारी को दोषी ठहराया और उनके खिलाफ ग्रामीणों की साजिश बताई.

यह भी पढ़ें: बदल गया बप्पा की मूर्तियों को बनाने का तरीका, नदियों को बचाने के लिए हो रहा इस चीज का इस्तेमाल

इस पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी कीर्तिनगर की यह दलील है कि पूरा मामला पूर्व प्रधान व निवर्तमान प्रधान के आपसी झगड़े का है. वहीं, मनरेगा में मजदूरी हड़पने का जो खुलासा सूचना अधिकार से हुआ है, उस पर उपजिलाधिकारी ने कहा कि तहसीलदार को गांव में ऐसा कुछ नहीं मिला है. यह घोटाला 10 सालों से चला आ रहे है, इसलिए जांच में समय लग रहा है.

टिहरी: केंद्र सरकार द्वारा गरीब तबके को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा योजना चला रही है. भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए इस योजना में पारदर्शिता बरतने के तमाम दावे किये जा रहे हो, लेकिन अंतिम व्यक्ति को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. ताजा मामला देवप्रयाग के कीर्तिनगर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा क्वीली का है. जहां इस योजना के नाम पर जमकर बंदरबांट हो रही है.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना में पारदर्शिता बरतने के लिये मजदूरी का पैसा सीधा लाभार्थी के खाते में डालने का प्रावधान है. लेकिन सूचना के अधिकार के तहत कीर्तिनगर तहसील अंतर्गत ग्रामसभा क्वीली में चौंकाने वाला मामला सामने आया है.

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दरअसल, क्वीली ग्राम सभा में मनरेगा योजना के तहत कहीं मृतक के नाम इस योजना में शामिल किये गए हैं. साथ ही लिस्ट में कई नाम ऐसे हैं जिन्होंने मनरेगा के तहत काम तक नहीं किया है. ग्राम प्रधान ने ऐसे लोगों के नाम लिस्ट में शामिल किये हैं.

लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा मनरेगा का लाभ.

इतना ही नहीं, ग्रामसभा क्वीली में शामिल गांवों में कई रास्तों का बिना निर्माण कागज में होने की शिकायत भी ग्रामीणों ने की है. आरोप है कि लाखों के बजट से कई कार्यों में खानापूर्ति मात्र ही की गई है. ग्रामीणों का ग्राम प्रधान पर आरोप है कि भट्ट टेडर्स के फर्जी बिल बनाकर कई योजनाओं को ठिकाने लगाया गया. वहीं जब दिये गए बाजार के पते पर इस नाम की फर्म को ढूंढा गया तो कई सालों से बाजार में काम कर रहे व्यापारियों ने ऐसी किसी भी फर्म के होने से इंकार किया.

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हैरानी की बात ये है कि जब ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इस मामले पर शिकायत दर्ज कराई तो डीएम ने उपजिलाधिकारी को जांच कराने के निर्देश दिए. उपजिलाधिकारी ने तहसीलदार व ग्राम विकास अधिकारी को इसकी जांच के आदेश दिए जबकि ग्राम विकास अधिकारी खुद पूरे प्रकरण में जांच के घेरे में थे. ऐसे में ग्रामीणों ने जांच पर सवाल उठाए हैं. वहीं ग्राम प्रधान ने कुछ मामलों पर पूर्व ग्राम विकास अधिकारी को दोषी ठहराया और उनके खिलाफ ग्रामीणों की साजिश बताई.

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इस पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी कीर्तिनगर की यह दलील है कि पूरा मामला पूर्व प्रधान व निवर्तमान प्रधान के आपसी झगड़े का है. वहीं, मनरेगा में मजदूरी हड़पने का जो खुलासा सूचना अधिकार से हुआ है, उस पर उपजिलाधिकारी ने कहा कि तहसीलदार को गांव में ऐसा कुछ नहीं मिला है. यह घोटाला 10 सालों से चला आ रहे है, इसलिए जांच में समय लग रहा है.

Intro:Body:एंकर- देश में सबसे गरीब तबके के व्यक्ति के लिए मनरेगा योजना भले ही आॅनलाइन कर दी गई हो और मजदूरी से लेकर हर छोटी बड़ी रकम सीधे खाते में डालने का प्रावधान हो लेकिन जनप्रतिनिधियों व सरकारी कर्मचारियांे ने देवप्रयाग में मनरेगा जैसी योजना को भी नही छोड़ा। भ्रष्टाचार का ये मामला सामने आया है देवप्रयाग विकासखण्ड के क्वीली गांव का है जहां मनरेगा के नाम पर जमकर धांधली हुई है देखिए ये रिर्पोट-


वीओ-1- देश की बुनियाद गांव पर टिकी है और इन्हीं गांव के लिए देश में कई सालों से मनरेगा योजना चल रही है लेकिन मनरेगा योजना में पारदर्शिता के लिए केन्द्र सरकार ने कितने ही उपाय सुझाये हो लेकिन भ्रष्टाचार कम होता नही दिख रहा है

बाइट-1-ग्रामीण
बाइट-2-ग्रामीण
बाइट-3-ग्रामीण

वीओ-2- सुना आपने, क्वीली गांव में जब सूचना के अधिकार के तहत गांव के विकास कार्यो की सूचना मांगी गई तो कई चैंकाने वाले तथ्य सामने आये मनरेगा योजना के तहत कहीं मृतक के नाम पर मजदूरी हुई है तो मस्टोल लिस्ट में कई ऐसे नाम है जिन्होनें काम ही नही किया लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके नाम पर मजदूरी निकाल दी।

बाइट-4- सूरजमणी पालीवाल पूर्व प्रधान क्वीली



वीओ-3- यहीं नही सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मिली उसमें ग्रामसभा क्वीली में शामिल 4 किमी दूर पैदल गांव में कई रास्तों का निमार्ण कागज में होने की शिकायत है, तो लाखों के बजट से कई कामों में खानापूर्ति मात्र की गई है। ग्राम प्रधान पर आरोप है कि उसने भट्ट टैडर्स के फर्जी बिल बनाकर कई योजनाआंे को ठिकाने लगाया , जब दिए गये बाजार के पते पर इस नाम की फर्म को ढूंडा गया तो कई सालों से मगरों बाजार में व्यापार कर रहे व्यापारियों ने बाजार में ऐसी फर्म न होने की बात कही।

बाइट-5- प्रेम सिंह स्थानीय दुकानदार

बाइट-6- सूरजमणी पालीवाल पूर्व प्रधान क्वीली


वीओ-4- हैरत की बात ये हैं कि जब ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को इसकी शिकायत की तो जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी को जांच कराने के निर्देश दिए जिसके बाद उपजिलाधिकारी ने तहसीलदार व ग्राम विकास अधिकारी को इसकी जांच दी जबकि ग्राम विकास अधिकारी पूरे प्रकरण में जांच के घेरे में था। ऐसे में ग्रामीणों ने जांच पर ही सवाल उठाये वहीं ग्राम प्रधान ने कुछ मामलों पर पूर्व ग्राम विकास अधिकारी को ही दोषी ठहराया वहीं कहा कि ये उनके खिलाफ ग्रामीणों की साजिश है।

बाइट-5- जीतेन्द्र पंवार याचीकाकर्ता

बाइट-8- र्निवर्तमान प्रधान क्वीली



वीओ-5- पूरे मामले पर उपजिलाधिकारी कीर्तिनगर की दलील ये है कि पूरा मामला पूर्व प्रधान व निर्वतमान प्रधान के आपसी झगड़े का है वहीं मनरेगा में मजदूरी हड़पने का जो खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है उस पर उपजिलाधिकारी का कहना है कि तहसीलदार को गांव में ऐसा कुछ नही मिला। ये घोटाले 10 सालो से चले आ रहे है इसलिए इसमें जाँच में समय लग रहा है

बाइट-8-अनुराधा पाल एसडीएम कीर्तिनगरConclusion:
Last Updated : Aug 29, 2019, 7:32 PM IST
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