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ऊंची पहाड़ी में स्थित है मां कुंजापुरी शक्तिपीठ, जानिए क्या है मान्यता - टिहरी न्यूज

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्‍यायनी की पूजा-अर्चना की जा रही है. टिहरी में टिहरी जिले के नरेंद्ननगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां कुंजापुरी शक्तिपीठ स्थित है.

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मां कुंजापुरी शक्तिपीठ
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Published : Oct 22, 2020, 6:02 AM IST

टिहरी: नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है. नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्‍यायनी की पूजा-अर्चना की जा रही है. वहीं, टिहरी जिले के नरेंद्ननगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां कुंजापुरी शक्तिपीठ स्थित है. जिसकी पैदल दूरी करीब 5 किलोमीटर है. कोरोना के नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालु मां कुंजापुरी शक्तिपीठ के दर्शन करने पहुंच हैं.

ऊंची पहाड़ी में स्थित है मां कुंजापुरी शक्तिपीठ.

स्कंद पुराण के अनुसार राजा दक्ष द्वारा जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया गया, तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया. इससे आक्रोशित भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वो क्रोधित होकर वहां पहुंचे और सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे. इसके बाद शिव सती के शरीर को कंधे में लेकर चले गए. जिसके बाद सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में जाने जानी लगीय. इस तरह 52 जगहों पर सती के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने. जिसमें से कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती का वक्षस्थल जिसे कुंज कहा जाता है वो गिरा और कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा।

मां कुंजापुरी शक्तिपीठ की मान्यता

कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते है, मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर मां की पुत्र के रूप में पूजा अर्चना करते हैं. तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. मां की विशेष कृपा उन्हें प्राप्त होती है. इस बार कोरोना का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया है. जिसके चलते मंदिर समिति द्वारा मुख्य द्वार को आम भक्तों के दर्शनों के लिए नहीं खोला जा रहा है. श्रद्धालु दूर से ही दर्शन और परिक्रमा कर भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

पढ़ें: नवरात्र का पांचवा दिन आज, जानिए मां चंडी देवी की महिमा

कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचने वाले भक्तों की मां कुंजापुरी में विशेष श्रद्धा और भक्ति है. धार्मिक स्थलों के खुलने के बाद भक्त यहां पहुंच रहे है और मां के दर्शन कर रहे है. श्रद्धालुओं का कहना है कि, वे सभी काफी समय से धार्मिक स्थलों के खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब नवरात्र में कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचकर उन्हें शांति मिली है. उन्होंने कोरोना महामारी को जल्द से जल्द खत्म करने की मां से प्रार्थना की है.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व..

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की विधिवत स्तुति करने से सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और काल सर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं. देवी की विधिवत पूजा से कार्यक्षेत्र में साधक सफल होता है. साथ ही रास्ते में आने वाली कठिनाइयां दूर हो जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी की आराधना से त्वचा, मस्तिष्क, संक्रमण, अस्थि आदि बीमारियों में लाभ मिलता है.

टिहरी: नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है. नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्‍यायनी की पूजा-अर्चना की जा रही है. वहीं, टिहरी जिले के नरेंद्ननगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर मां कुंजापुरी शक्तिपीठ स्थित है. जिसकी पैदल दूरी करीब 5 किलोमीटर है. कोरोना के नियमों का पालन करते हुए श्रद्धालु मां कुंजापुरी शक्तिपीठ के दर्शन करने पहुंच हैं.

ऊंची पहाड़ी में स्थित है मां कुंजापुरी शक्तिपीठ.

स्कंद पुराण के अनुसार राजा दक्ष द्वारा जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया गया, तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया. इससे आक्रोशित भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वो क्रोधित होकर वहां पहुंचे और सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे. इसके बाद शिव सती के शरीर को कंधे में लेकर चले गए. जिसके बाद सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में जाने जानी लगीय. इस तरह 52 जगहों पर सती के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने. जिसमें से कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती का वक्षस्थल जिसे कुंज कहा जाता है वो गिरा और कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा।

मां कुंजापुरी शक्तिपीठ की मान्यता

कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते है, मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर मां की पुत्र के रूप में पूजा अर्चना करते हैं. तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. मां की विशेष कृपा उन्हें प्राप्त होती है. इस बार कोरोना का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया है. जिसके चलते मंदिर समिति द्वारा मुख्य द्वार को आम भक्तों के दर्शनों के लिए नहीं खोला जा रहा है. श्रद्धालु दूर से ही दर्शन और परिक्रमा कर भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

पढ़ें: नवरात्र का पांचवा दिन आज, जानिए मां चंडी देवी की महिमा

कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचने वाले भक्तों की मां कुंजापुरी में विशेष श्रद्धा और भक्ति है. धार्मिक स्थलों के खुलने के बाद भक्त यहां पहुंच रहे है और मां के दर्शन कर रहे है. श्रद्धालुओं का कहना है कि, वे सभी काफी समय से धार्मिक स्थलों के खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब नवरात्र में कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचकर उन्हें शांति मिली है. उन्होंने कोरोना महामारी को जल्द से जल्द खत्म करने की मां से प्रार्थना की है.

मां कात्यायनी की पूजा का महत्व..

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की विधिवत स्तुति करने से सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां दुर्गा के छठवें रूप की पूजा से राहु और काल सर्प दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं. देवी की विधिवत पूजा से कार्यक्षेत्र में साधक सफल होता है. साथ ही रास्ते में आने वाली कठिनाइयां दूर हो जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी की आराधना से त्वचा, मस्तिष्क, संक्रमण, अस्थि आदि बीमारियों में लाभ मिलता है.

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