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टिहरी: तीन विधायक होने के बाद भी बदहाल कांडीखाल-पाली कस्बा, विकास का है इंतजार

टिहरी जनपद का कांडीखाल पाली कस्बा तीन विधानसभा, दो लोकसभा सीट और चार ब्लॉक में बंटा है लेकिन यहां विकास के नाम पर कोई भी काम नहीं हुआ है. कांडीखाल और पाली कस्बे में आज तक मूलभूत सुविधाओं का टोटा बना हुआ है. यहां के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं.

Tehri Kandikhal
टिहरी का कांडीखाल गांव
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Published : Feb 10, 2022, 2:07 PM IST

Updated : Feb 10, 2022, 3:08 PM IST

टिहरी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले टिहरी जिले का कांडीखाल पाली कस्बा काफी चर्चा में है. 26 सौ की आबादी वाले इस कस्बे की खास बात यह है कि यह तीन विधानसभा, दो लोकसभा सीटों और चार ब्लॉक में बंटा हुआ है. यहां हर दो कदम पर विधानसभा सीट का क्षेत्र बदल जाता है. बावजूद कांडीखाल कस्बे में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है. तीन विधानसभा क्षेत्रों में होने के कारण यहां तेजी से विकास होना चाहिए था लेकिन ऐसा है नहीं. ऐसे में स्थानीय लोगों को कहना है कि चुनाव से पहले भी प्रत्याशी यहां वोट मांगने के लिए आते हैं लेकिन चुनाव के बाद हर कोई कांडीखाल पाली को भुला देता है.

बता दें, टिहरी-श्रीनगर मोटर मार्ग पर पौखाल के पास कांडीखाल पाली कस्बा स्थित है. यहां पर तीन विधानसभा क्षेत्रों का संगम है. कांडीखाल बाजार शुरू होते ही टिहरी विधानसभा सीट है. सड़क पार करते ही घनसाली विधानसभा सीट शुरू हो जाती है. इसी तरह सड़क पर आगे की तरफ बढ़ें तो देवप्रयाग विधानसभा सीट शुरू हो जाती है. इसके साथ ही दो लोकसभा सीट पौड़ी और टिहरी से भी ये जुड़ा है. कांडीखाल कस्बा 4 ब्लॉक घनसाली, देवप्रयाग, जाखणी धार और कीर्तिनगर में बंटा है. बावजूद इसके कांडीखाल पाली गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

तीन विधायक होने के बाद भी बदहाल कांडीखाल पाली कस्बा

बाजार में सार्वजनिक शौचालय तक नहीं: आलम ये है कि बाजार में सार्वजनिक शौचालय तक नहीं हैं. यात्रियों के लिए यात्री शेड, बैठने की और पेयजल की सुविधा नहीं हैं. बाजार में एटीएम व स्ट्रीट लाइट तक नहीं हैं. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान टिहरी, घनसाली और देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी यहां वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं. इसलिए यहां मूलभूत सुविधाओं का आज तक अभाव बना हुआ है.

पढ़ें- चुनाव 2022: हनुमान चालीसा पढ़कर होती है हरीश रावत की दिनचर्या शुरू, ऐसे मिटती है प्रचार की थकान

कांडीखाल में विधानसभा क्षेत्र अलग होने के कारण ब्लॉक मुख्यालय भी अलग है. यहां का बाजार चंबा, देवप्रयाग और भिलंगना ब्लॉक में बंटा है. कांडीखाल तीन विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्रों में आने के बावजूद यहां के जनप्रतिनिधि विकास कार्यों को लेकर गंभीर नहीं हैं. यहां के ग्रामीण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

टिहरी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले टिहरी जिले का कांडीखाल पाली कस्बा काफी चर्चा में है. 26 सौ की आबादी वाले इस कस्बे की खास बात यह है कि यह तीन विधानसभा, दो लोकसभा सीटों और चार ब्लॉक में बंटा हुआ है. यहां हर दो कदम पर विधानसभा सीट का क्षेत्र बदल जाता है. बावजूद कांडीखाल कस्बे में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है. तीन विधानसभा क्षेत्रों में होने के कारण यहां तेजी से विकास होना चाहिए था लेकिन ऐसा है नहीं. ऐसे में स्थानीय लोगों को कहना है कि चुनाव से पहले भी प्रत्याशी यहां वोट मांगने के लिए आते हैं लेकिन चुनाव के बाद हर कोई कांडीखाल पाली को भुला देता है.

बता दें, टिहरी-श्रीनगर मोटर मार्ग पर पौखाल के पास कांडीखाल पाली कस्बा स्थित है. यहां पर तीन विधानसभा क्षेत्रों का संगम है. कांडीखाल बाजार शुरू होते ही टिहरी विधानसभा सीट है. सड़क पार करते ही घनसाली विधानसभा सीट शुरू हो जाती है. इसी तरह सड़क पर आगे की तरफ बढ़ें तो देवप्रयाग विधानसभा सीट शुरू हो जाती है. इसके साथ ही दो लोकसभा सीट पौड़ी और टिहरी से भी ये जुड़ा है. कांडीखाल कस्बा 4 ब्लॉक घनसाली, देवप्रयाग, जाखणी धार और कीर्तिनगर में बंटा है. बावजूद इसके कांडीखाल पाली गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.

तीन विधायक होने के बाद भी बदहाल कांडीखाल पाली कस्बा

बाजार में सार्वजनिक शौचालय तक नहीं: आलम ये है कि बाजार में सार्वजनिक शौचालय तक नहीं हैं. यात्रियों के लिए यात्री शेड, बैठने की और पेयजल की सुविधा नहीं हैं. बाजार में एटीएम व स्ट्रीट लाइट तक नहीं हैं. यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान टिहरी, घनसाली और देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशी यहां वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं. इसलिए यहां मूलभूत सुविधाओं का आज तक अभाव बना हुआ है.

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कांडीखाल में विधानसभा क्षेत्र अलग होने के कारण ब्लॉक मुख्यालय भी अलग है. यहां का बाजार चंबा, देवप्रयाग और भिलंगना ब्लॉक में बंटा है. कांडीखाल तीन विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्रों में आने के बावजूद यहां के जनप्रतिनिधि विकास कार्यों को लेकर गंभीर नहीं हैं. यहां के ग्रामीण दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.

Last Updated : Feb 10, 2022, 3:08 PM IST
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