टिहरी: शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है. इसी बीच आज हम आपको टिहरी के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसकी महिमा अपरंपार है. कहा जाता है कि इस मंदिर में जाने मात्र से मनुष्य को 7 जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. दरअसल हम बात कर रहे हैं जौनुपर पट्टी में सुरकुट पर्वत पर स्थित सिद्धपीठ मां सुरकंडा देवी के मंदिर की, जहां बारह महीनें भक्तों का तांता लगा रहता है.
कनखल में राजा दक्ष ने आयोजित किया था यज्ञ: नवरात्रि के दौरान कई राज्यों के भक्त मां के दर्शनों के लिए यहां आते हैं. इसी बीच विभिन्न प्रकार के कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. कहा जाता है कि जब कनखल में राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, तब सभी देवी-देवताओं को यज्ञ का निमंत्रण दिय़ा था, लेकिन देवों के देव महादेव को नहीं बुलाया था. ऐसे में महादेव के मना करने पर भी सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ के लिए चली गईं.
ये भी पढ़ें: Shardiya Navratri 2023: मां मनसा देवी को कहा जाता है शिव की पुत्री, जानें इस शक्ति पीठ की महिमा
सुरकुट पर्वत पर गिरा था मां सती का सिर: जिसके बाद वहां राजा दक्ष ने अपनी बेटी सती और दामाद भगवान शिव का घोर अपमान किया. इसके बाद मां सती यज्ञ कुंड में कूद गईं. ये सब देखकर आदियोगी क्रोधित हो उठे और मां सती का शव त्रिशूल में टांगकर आकाश भ्रमण के लिए निकल गए. इसी बीच मां सती का सिर टूटकर सुरकुट पर्वत पर जा गिरा, तभी से ये पवित्र स्थान मां सुरकंडा देवी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया. इसकी जानकारी स्कंदपुराण और केदारखंड में मिलती है.