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भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें आई, खौफजदा ग्रामीण

मकानों में दरारें
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Published : Aug 1, 2019, 8:35 AM IST

जौनपुर: थत्यूड़-ककड़ू मोटरमार्ग पर स्टोन क्रेशर में लगे भारी वाहनों की आवाजाही से जगह-जगह पर सड़क धसने लगी है. साथ ही सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें भी आ रही हैं. जिसके चलते ग्रामीण दहशत में हैं. इस संबंध में मार्ग की वर्तमान स्थिति को देखते हुए डीपीआर लोक निर्माण विभाग को भेजा गया है.

भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें आई.

ग्रामीण शेर सिंह डोगरा ने बताया कि इस मोटरमार्ग का निर्माण साल 1995-96 में सुनिश्चित रोजगार योजना के जरिए अम्बेडकर ग्राम के तहत हुआ था. जिसकी चौड़ाई 3 मीटर से 3.5मीटर तक है. लेकिन उसके बाद न तो सड़क का चौड़ीकरण हुआ और 2013 में आई आपदा के बाद कोई मरम्मत का कार्य हुआ है. आपदा के बाद ग्राम दुगड्डा का प्रशासन के देख-रेख में भू-वैज्ञानिक सर्वे भी करवाया गया था. जिसके तहत दुगड्डा बस्ती का विस्थापन होना था. लेकिन विस्थापन के लिए मानक इस प्रकार से तय किए गए थे कि वह परिस्थितिजनक नहीं थे. ऐसे में सरकार द्वारा इस भू-वैज्ञानिकों के इस सर्वे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद दुगड्डा बस्ती को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मानते हुए सिर्वा से ककड़ू तक दैवीय आपदा मद से वैकल्पिक बायपास मोटर मार्ग काटा गया है. जिसमें दुगड्डा बस्ती वालों की जमीन के साथ ग्राम खेड़ा वालों की जमीन काटी गई है. जिसका कई परिवारों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है.

ये भी पढ़ें: रुड़की: जेल में साफ-सफाई कर रहा कैदी हुआ फरार, चोरी के आरोप में था बंद
बता दें कि सिर्वा- ककड़ू मोटर मार्ग का तब से अभी तक सुधारीकरण नहीं हो पाया. यदि उस रोड को सही बनाया जाता है तो स्टोन क्रेशर में संचालित होने वाले भारी वाहन जो दुगड्डा बस्ती से होते हुए निकलते हैं. वे सिर्वा-ककड़ू बाईपास से जा सकते हैं. साथ ही दुगड्डा गांव पर मंडरा रहा खतरा टल सकता था. ये ही वजह है कि साल 2013 की भीषण आपदा में भू-वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर संवेदनशील क्षेत्र घोषित हुआ है.

जौनपुर: थत्यूड़-ककड़ू मोटरमार्ग पर स्टोन क्रेशर में लगे भारी वाहनों की आवाजाही से जगह-जगह पर सड़क धसने लगी है. साथ ही सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें भी आ रही हैं. जिसके चलते ग्रामीण दहशत में हैं. इस संबंध में मार्ग की वर्तमान स्थिति को देखते हुए डीपीआर लोक निर्माण विभाग को भेजा गया है.

भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क किनारे स्थित मकानों में दरारें आई.

ग्रामीण शेर सिंह डोगरा ने बताया कि इस मोटरमार्ग का निर्माण साल 1995-96 में सुनिश्चित रोजगार योजना के जरिए अम्बेडकर ग्राम के तहत हुआ था. जिसकी चौड़ाई 3 मीटर से 3.5मीटर तक है. लेकिन उसके बाद न तो सड़क का चौड़ीकरण हुआ और 2013 में आई आपदा के बाद कोई मरम्मत का कार्य हुआ है. आपदा के बाद ग्राम दुगड्डा का प्रशासन के देख-रेख में भू-वैज्ञानिक सर्वे भी करवाया गया था. जिसके तहत दुगड्डा बस्ती का विस्थापन होना था. लेकिन विस्थापन के लिए मानक इस प्रकार से तय किए गए थे कि वह परिस्थितिजनक नहीं थे. ऐसे में सरकार द्वारा इस भू-वैज्ञानिकों के इस सर्वे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद दुगड्डा बस्ती को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मानते हुए सिर्वा से ककड़ू तक दैवीय आपदा मद से वैकल्पिक बायपास मोटर मार्ग काटा गया है. जिसमें दुगड्डा बस्ती वालों की जमीन के साथ ग्राम खेड़ा वालों की जमीन काटी गई है. जिसका कई परिवारों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है.

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बता दें कि सिर्वा- ककड़ू मोटर मार्ग का तब से अभी तक सुधारीकरण नहीं हो पाया. यदि उस रोड को सही बनाया जाता है तो स्टोन क्रेशर में संचालित होने वाले भारी वाहन जो दुगड्डा बस्ती से होते हुए निकलते हैं. वे सिर्वा-ककड़ू बाईपास से जा सकते हैं. साथ ही दुगड्डा गांव पर मंडरा रहा खतरा टल सकता था. ये ही वजह है कि साल 2013 की भीषण आपदा में भू-वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर संवेदनशील क्षेत्र घोषित हुआ है.

Intro:थत्यूड़- ककड़ू मोटर मार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही से मकानों पर मण्डरा रहा खतराBody:


टिहरी

थत्यूड़- ककड़ू मोटरमार्ग पर भारी वाहानों की आवाजाही से मकानों में आई दरारे

जौनपुर विकासखंड के थत्यूड़-ककड़ू मोटरमार्ग पर स्टोन क्रेशर में लगे भारी वाहनो की आवाजाही से मार्ग पर जगह जगह सड़क धसने से दुगड्डा गाँव के मकानों मे दरारे आ गई है जिससे ग्रामीणों मे दहशत है
ग्रामीण शेर सिह डोगरा ने बताया कि इस मोटरमार्ग का निर्माण बर्ष 1995-96 मे सुनिश्चित रोजगार योजना के तहत् अम्बेडकर ग्राम के तहत् हुआ था जिसकी चौड़ाई 3 मी०से 3.5मी०तक है लेकिन उसके बाद न तो सड़क का चौड़ीकरण हुआ और नही मरम्मत कार्य 2013 में आई भीषण आपदा में ग्राम दुगड्डा का प्रशासन के द्वारा भू वैज्ञानिक सर्वे भी करवाया गया था जिसमें दुगड्डा बस्ती का विस्थापन होना था लेकिन विस्थापन के लिए मानक इस प्रकार से तय किए गए थे जिन्हें वहां की भौगोलिक स्थिति के कारण पूरा नहीं किया गया लेकिन सरकार द्वारा इस पर आज तक कोई कार्यवाही दोबारा से नहीं हुई । जिसके बाद दुगड्डा को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील मानते हुए सिर्वा से ककड़ू तक दैवीय आपदा मद से बैकल्पिक बायपास मोटर मार्ग काटा गया है जिसमें दुगड्डा बस्ती वालों की जमीन के साथ ग्राम खेड़ा वालों की जमीन है काटी गई है जिसका कई परिवारों को अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है पर हैरत की बात है सिर्वा- ककुड़ु मोटर मार्ग का तब से अभी तक सुधारी करण नहीं हो पाया यदि उस रोड को सही बनाया जाता है तो क्रेशर में संचालित होने वाले भारी वाहन जो दुगड्डा बस्ती से होते हुए निकलते हैं वह सिर्वा -ककड़ू बाईपास से जा सकते हैं और दुगड्डा गाँव पर मण्डरा रहा खतरा टल सकता है

इस सम्बंध मे लो नि वि थत्यूड़ का कहना है कि मार्ग की वर्तमान स्थिति को देखते हुए डी पी आर शाशन के पास भेजी जा चुकी है


बाईट -शेर सिह डोगरा ग्रामीण


Conclusion:वर्ष 2013 की भीषण आपदा में भूवैज्ञानिक सर्वे के आधार पर संवेदनशील घोषित है क्षेत्र

क्षेत्र बैकल्पिक तौर पर बनाया गया दैवीय आपदा मद से बनाया गया सिरवा -ककड़ू मोटर मार्ग भी बना बदहाल

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