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टिहरी अरबन बैंक घोटाला: पांच दोषियों को 5-5 साल की सजा, एक दोषमुक्त - Tehri District Court

टिहरी में हुए अरबन बैंक घोटाला मामले में जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : Jun 21, 2022, 8:18 PM IST

Updated : Jun 21, 2022, 8:31 PM IST

टिहरी: अरबन बैंक घोटाला मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनाष श्रीवास्तव की अदालत ने 4 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 5-5 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया है, जबकि आरोपी को दोषमुक्त मानते हुये रिहा कर दिया है. अभियोजन अधिकारी संगीता रानी और सहायक अभियोजन अधिकारी सीमा ने बताया कि पुरानी टिहरी में स्थित अरबन कोपरेटिव बैंक में हुए घोटाला मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपना फैसला सुनाया है.

कोर्ट ने सीबीसीआईडी की ओर से की गई जांच में मामले में चार्ज सीट में आशय प्रस्तुत किया गया कि कुछ लोगों इस बैंक में जमानत धनराशि फर्जी रूप से निकाली, जबकि वास्तविक खातेधारकों को अपनी जमा की गई धनराशि की निकाली के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. सीबीसीआईडी ने इस मामले में जांच की और बैंक में कार्यरत आर सेमवाल व अन्य लोगों में भगवान सिंह रौथांण, आशुतोष, रमेश गुनसोला व पुष्पाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 467, 120 बी, 471 व 420 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया था.
पढ़ें- ऋषिकेश: चारधाम यात्रा पार्किंग की जमीन पर किया कब्जा, होगी कार्रवाई

सीबीसीआईडी ने कोर्ट ने में वास्तविक खातेधारक और अन्य गवाह पेश किए. पुष्पपाल के खिलाफ कोई सबूत साबित न होने पर रिहा किया गया, जबकि अन्य तत्कालीन बैंक कर्मियों को न्यायलय ने दोषी पाया और सभी को 5-5 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया है. बता दें, यह मामला साल 2001 का है, जबकि साल 2013 में रमेश प्रसाद गैरोला ने एफआईआर दर्ज कराई थी. इस केस की जांच सीबीसीआईडी ने की.

टिहरी: अरबन बैंक घोटाला मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनाष श्रीवास्तव की अदालत ने 4 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 5-5 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया है, जबकि आरोपी को दोषमुक्त मानते हुये रिहा कर दिया है. अभियोजन अधिकारी संगीता रानी और सहायक अभियोजन अधिकारी सीमा ने बताया कि पुरानी टिहरी में स्थित अरबन कोपरेटिव बैंक में हुए घोटाला मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपना फैसला सुनाया है.

कोर्ट ने सीबीसीआईडी की ओर से की गई जांच में मामले में चार्ज सीट में आशय प्रस्तुत किया गया कि कुछ लोगों इस बैंक में जमानत धनराशि फर्जी रूप से निकाली, जबकि वास्तविक खातेधारकों को अपनी जमा की गई धनराशि की निकाली के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. सीबीसीआईडी ने इस मामले में जांच की और बैंक में कार्यरत आर सेमवाल व अन्य लोगों में भगवान सिंह रौथांण, आशुतोष, रमेश गुनसोला व पुष्पाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 467, 120 बी, 471 व 420 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया था.
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सीबीसीआईडी ने कोर्ट ने में वास्तविक खातेधारक और अन्य गवाह पेश किए. पुष्पपाल के खिलाफ कोई सबूत साबित न होने पर रिहा किया गया, जबकि अन्य तत्कालीन बैंक कर्मियों को न्यायलय ने दोषी पाया और सभी को 5-5 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया है. बता दें, यह मामला साल 2001 का है, जबकि साल 2013 में रमेश प्रसाद गैरोला ने एफआईआर दर्ज कराई थी. इस केस की जांच सीबीसीआईडी ने की.

Last Updated : Jun 21, 2022, 8:31 PM IST
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