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उत्तराखंड में धधकने लगे जंगल, टिहरी में वन महकमे ने की ये तैयारियां

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Published : Apr 1, 2022, 6:23 PM IST

टिहरी जिले में हर साल फायर सीजन के दौरान कई हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ जाता है. जिसमें वन्यजीव भी जलकर जान गंवा देते हैं. टिहरी जिले में बीते दस सालों में 2021 में सर्वाधिक वनाग्नि की घटनाएं देखने को मिली थी. ऐसे में इस बार वन महकमे ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है.

forest fire in tehri
उत्तराखंड में धधकने लगे जंगल

टिहरीः उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो गया है. प्रदेश के कई हिस्सों में जंगल धधकने भी लगे हैं. टिहरी जिले में भी वनाग्नि की घटनाएं देखने को मिल रही है. अगर जिले में वन क्षेत्र की बात करें तो 2,31,517.47 हेक्टेयर में जंगल हैं. लिहाजा, जंगलों को आग से बचाना वन विभाग के लिए टेड़ी खीर साबित होता है. ऐसे में वन महकमा अभी से तैयारियों में जुट गया है. जिसके लिए ग्रामीणों के साथ बैठक की जा रही है.

बता दें कि हर साल टिहरी जिले के कंडीसौड़, सकलाना, देवलसारी, नाग डांडा, माणदा, धार अकरिया, प्रतापनगर, जाखणीधार, भिलंगना, बालगंगा, नरेंद्रनगर के कई स्थानों पर जंगलों में आग लगने से कई वन संपदा नष्ट हो जाती है. साथ ही वन्य जीवों की भी आग की चपेट में आने से मौत हो जाती है. ऐसे में वनाग्नि को लेकर वन विभाग ने कमर कस ली है.

उत्तराखंड में धधकने लगे जंगल.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में गर्मी बढ़ने के साथ ही बढ़ी वनाग्नि की घटनाएं, पौड़ी में धधक रहे जंगल

टिहरी डीएफओ बीके सिंह ने बताया कि टिहरी जिले में अब तक 76 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. जिसमें 46 क्रू स्टेशन पूरी तरह से काम कर रहे हैं. जिसके लिए 6 से 8 टीमों का गठन किया गया है. इतना ही नहीं 148 गांवों में आग को बुझाने को लेकर बैठक की गई है. बैठक में जंगलों को आग से बचाने के लिए ग्रामीणों को उपाय भी बताए गए हैं. गजा में एक क्रू स्टेशन बनाया जा रहा है. उधर, सारझुला में भी क्रू स्टेशन पर काम चल रहा है.

ये भी पढ़ेंः पहाड़ के लिए नासूर बना चीड़, युवाओं के लिए साबित हो सकता है 'वरदान'

साल 2021 में जले सबसे ज्यादा जंगलः टिहरी जिले में पिछले दस सालों में आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं पिछले साल यानी 2021 में हुई हैं. पिछले साल विभिन्न जगहों पर आग लगने की 268 घटनाएं हुई. इसमें 394.75 हेक्टेयर क्षेत्रफल आग से प्रभावित हुआ था. पिछली बार कई जगहों पर जंगल में आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का भी सहयोग लेना पड़ा था.

टिहरीः उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू हो गया है. प्रदेश के कई हिस्सों में जंगल धधकने भी लगे हैं. टिहरी जिले में भी वनाग्नि की घटनाएं देखने को मिल रही है. अगर जिले में वन क्षेत्र की बात करें तो 2,31,517.47 हेक्टेयर में जंगल हैं. लिहाजा, जंगलों को आग से बचाना वन विभाग के लिए टेड़ी खीर साबित होता है. ऐसे में वन महकमा अभी से तैयारियों में जुट गया है. जिसके लिए ग्रामीणों के साथ बैठक की जा रही है.

बता दें कि हर साल टिहरी जिले के कंडीसौड़, सकलाना, देवलसारी, नाग डांडा, माणदा, धार अकरिया, प्रतापनगर, जाखणीधार, भिलंगना, बालगंगा, नरेंद्रनगर के कई स्थानों पर जंगलों में आग लगने से कई वन संपदा नष्ट हो जाती है. साथ ही वन्य जीवों की भी आग की चपेट में आने से मौत हो जाती है. ऐसे में वनाग्नि को लेकर वन विभाग ने कमर कस ली है.

उत्तराखंड में धधकने लगे जंगल.

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टिहरी डीएफओ बीके सिंह ने बताया कि टिहरी जिले में अब तक 76 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. जिसमें 46 क्रू स्टेशन पूरी तरह से काम कर रहे हैं. जिसके लिए 6 से 8 टीमों का गठन किया गया है. इतना ही नहीं 148 गांवों में आग को बुझाने को लेकर बैठक की गई है. बैठक में जंगलों को आग से बचाने के लिए ग्रामीणों को उपाय भी बताए गए हैं. गजा में एक क्रू स्टेशन बनाया जा रहा है. उधर, सारझुला में भी क्रू स्टेशन पर काम चल रहा है.

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साल 2021 में जले सबसे ज्यादा जंगलः टिहरी जिले में पिछले दस सालों में आग लगने की सर्वाधिक घटनाएं पिछले साल यानी 2021 में हुई हैं. पिछले साल विभिन्न जगहों पर आग लगने की 268 घटनाएं हुई. इसमें 394.75 हेक्टेयर क्षेत्रफल आग से प्रभावित हुआ था. पिछली बार कई जगहों पर जंगल में आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का भी सहयोग लेना पड़ा था.

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