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टिहरी में मत्स्य विभाग की लापरवाही, झील किनारे क्षतिग्रस्त हो रही है लाखों की नाव

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Published : May 3, 2019, 10:31 AM IST

मत्स्य विभाग की लापरवाही के चलते टिहरी झील में आने-जाने के लिए लगाई गई नाव खस्ताहाल होती जा रही है. 4 साल से इस नाव का उपयोग नहीं किया गया है.

टिहरी झील में आने-जाने के लिए लगाई गई नाव हुई खस्ताहाल

टिहरी: मत्स्य विभाग के द्वारा टिहरी झील में मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है. झील में मछलियों के अवैध शिकार पर लगाम लगाने और आने-जाने के लिए विभाग ने 4 साल पहले 7 लाख रुपए कीमत की एक नाव लगाई थी. 4 साल से कोई उपयोग न होने के कारण नाव क्षतिग्रस्त हो गई है. वहीं, नाव की इस हालत के लिए स्थानीय लोगों ने मत्स्य विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे है.

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टिहरी झील के किनारे कोटि कलोनी के पास इस नाव का उपयोग न होने के कारण यह नाव पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, इसका इंजन खराब हो गया है. मत्स्य विभाग टिहरी में अधिकारी इस नाव की सुध लेने को तैयार नहीं हैं.

टिहरी झील में आने-जाने के लिए लगाई गई नाव हुई खस्ताहाल

इस संबंध में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इन नावों को सिर्फ कमीशन खाने के लिए यहां पर रखा गया है और इसकी वजह से डोबरा चांटी पुल भी नहीं बन पा रहा है. लोगों ने इस मामले में जांच की मांग उठाई है.

वहीं, जब इस बारे में ETV Bharat की टीम ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि ये मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है. उनके निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

टिहरी: मत्स्य विभाग के द्वारा टिहरी झील में मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है. झील में मछलियों के अवैध शिकार पर लगाम लगाने और आने-जाने के लिए विभाग ने 4 साल पहले 7 लाख रुपए कीमत की एक नाव लगाई थी. 4 साल से कोई उपयोग न होने के कारण नाव क्षतिग्रस्त हो गई है. वहीं, नाव की इस हालत के लिए स्थानीय लोगों ने मत्स्य विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे है.

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टिहरी झील के किनारे कोटि कलोनी के पास इस नाव का उपयोग न होने के कारण यह नाव पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, इसका इंजन खराब हो गया है. मत्स्य विभाग टिहरी में अधिकारी इस नाव की सुध लेने को तैयार नहीं हैं.

टिहरी झील में आने-जाने के लिए लगाई गई नाव हुई खस्ताहाल

इस संबंध में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि इन नावों को सिर्फ कमीशन खाने के लिए यहां पर रखा गया है और इसकी वजह से डोबरा चांटी पुल भी नहीं बन पा रहा है. लोगों ने इस मामले में जांच की मांग उठाई है.

वहीं, जब इस बारे में ETV Bharat की टीम ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि ये मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है. उनके निर्देश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

Intro:मत्स्य विभाग की लापरवाही के कारण टिहरी झील के किनारे सड़ रही है सात लाख


Body:मत्स्य विभाग टिहरी के द्वारा 42 वर्ग किलोमीटर तक फैली टिहरी बांध की झील में मत्स्य पालन का काम किया जा रहा है ओर टिहरी झील में कोई मछलियों का अबैध शिकार न करे जिसकी देखरेख ओर टिहरी झील में आने जाने के लिए मत्स्य विभाग के द्वारा सात लाख की नाव 4 साल पहले लाई गई, तब से लेकर आज तक इस नाव का उपयोग नही हो पाया,

टिहरी झील के किनारे कोटि कलोनी के पास इस नाव का उपयोग न होने के कारण यह नाव टूट गई है इसका इन्जन खराब पड़ा हुआ है नाव में जगह जगह किनारे से सड़ गई है परन्तु मत्स्य विभाग टिहरी में अधिकारियों के द्वारा कोई सुद्द नही ली जा रही है,

अगर अधिकारियों के द्वारा सरकारी धन का दुरप्रयोग किया जा रहा है तो आगे क्या कहना जबकि सब कुछ जानकरी है


Conclusion:इस संबंध में स्थानिया लोगो ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि यह नाव सिर्फ कमीशन खाने के लिए टिहरी झील में लगाई गई,ओर आज इसकी हालात के जिम्मेदार भी मत्स्य विभाग के अधिकारी है,लोगो ने इस मामले में जांच करने की मांग उठाई है,

वही जब हमने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की तो उन्होंने बाइट देंने से मना कर दिया और कहा कि इस नाव के बारे में हमने अपने उच्च अधिकारियों को बताया है जैसे उनके निर्देश मिलेंगे उस आधार पर आगे काम किया जाएगा,

बाइट महावीर रावत गडोली निवासी
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