टिहरी: धनोल्टी के प्रथम विधायक कौलदास नहीं रहे. सोमवार सुबह लगभग 6 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा. अचेत अवस्था में 108 के माध्यम से हायर सेन्टर ले जाते वक्त रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया. कौलदास के निधन की खबर सुनते ही पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई. सुबह भारी संख्या में स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि उनके निवास स्थान थत्यूड़ पहुंचे. जहां लोगों ने कौलदास के परिवारजनों को ढाढस बंधाया.
जानकारी के अनुसार 78 वर्षीय कौलदास अपनी दैनिक दिनचर्या के अनुसार सुबह सैर पर निकले थे. जहां अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई.
बता दें कि पूर्व विधायक कौलदास का जन्म 4 जून 1943 को टिहरी जनपद के जौनपुर विकासखंड के ग्राम सभा मथलाऊ दशजुला में एक गरीब अनु० जाति के परिवार में हुआ था.
1962 में कौलदास अध्यापक बने और 2001 में बांडा चक जूनियर हाईस्कूल से प्रधानाध्यापक पद से सेवा निवृत हुए.
जिसके बाद उनके सौम्य स्वभाव और मिलनसार लोकप्रियता के चलते क्षेत्र के लोगों की मांग पर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. 2002 में हुए उत्तराखंड विधानसभा के पहले चुनावों में धनोल्टी से वे विधायक चुने गए.
उनकी निर्विवाद कार्यशैली और सौम्य व्यहवार के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने कौल दास को 2004 में राज्यमंत्री का दर्जा देकर अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया.
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वर्ष 2002 से 2007 तक कार्यकाल के दौरान कौलदास ने थत्यूड़ , नैनबाग, थौलधार में आईटीआई संस्थानों की स्वीकृति, सुवाखोली- थत्यूड़ मोटर मार्ग का सुधार और डामरीकरण और बंगशील, बंग्याल, द्वारगढ़ और रगड़ गांवों में विद्यालयों का उच्चीकरण साथ ही थत्यूड़ में विद्युत 33 के वी का सब स्टेशन का निर्माण उन्होंने प्रथमिकता के तौर पर पूरे किये थे.
दिवंगत पूर्व विधायक के बडे़ बेटे और वर्तमान में अधिशासी अधिकारी हरिद्वार नगर निगम संजय कुमार ने बताया की मंगलवार 2 जुलाई को स्व. कौलदास का अन्तिम संस्कार खड़खड़ी हरिद्वार में किया जाएगा.