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गाड़ू घड़ा के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, इस तेल से जलेगी भगवान बदरीनाथ की जोत

श्रीनगर स्थित डालमिया धर्मशाला में श्रद्वालुओं ने गाड़ू घड़ा के दर्शन कर घड़े की पूजा अर्चना की. भोज के बाद यह यात्रा रुद्रप्रयाग से होकर कर्णप्रयाग पहुंचेगी और 27 अप्रैल को यह यात्रा डिम्मरगांव पहुंचेगी. जहां तिल का कलश स्थापित किया जायेगा.

गाड़ू घड़ा
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Published : Apr 26, 2019, 10:06 PM IST

देवप्रयागः बदरी विशाल धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त 10 मई तय हुआ है. जिसके चलते कपाट खुलने के समय तिल के तेल का अभिषेक भगवान बदरी विशाल को कराया जाता है. इस परम्परा के अनुसार पहले चरण में नरेंद्र नगर स्थित राजमहल से चली गाड़ू घड़ी कलश यात्रा गुरुवार की देर रात श्रीनगर पहुंची.

श्रद्वालुओं ने गाड़ू घड़ा के दर्शन कर पूजा अर्चना की.

श्रीनगर स्थित डालमिया धर्मशाला में श्रद्वालुओं ने गाड़ू घड़ा के दर्शन कर घड़े की पूजा अर्चना की. भोज के बाद यह यात्रा रुद्रप्रयाग से होकर कर्णप्रयाग पहुंचेगी और 27 अप्रैल को यह यात्रा डिम्मरगांव पहुंचेगी. जहां तिल का कलश स्थापित किया जायेगा.


इसके बाद दूसरे चरण में यात्रा 8 मई को बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी. कलश यात्रा के बारे में बताते हुए बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के मीडिया प्रभारी ने बाताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर तिल से तेल बनाने की परम्परा प्रारम्भ होती है.

यह भी पढ़ेंः आत्मनिर्भर बनाने के लिए बेरोजगार युवाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण

इसी तेल के माध्यम से भगवान बदरी को लेप लगाया जाता है तथा भगवान बदरीनाथ की जोत जलायी जाती है.

देवप्रयागः बदरी विशाल धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त 10 मई तय हुआ है. जिसके चलते कपाट खुलने के समय तिल के तेल का अभिषेक भगवान बदरी विशाल को कराया जाता है. इस परम्परा के अनुसार पहले चरण में नरेंद्र नगर स्थित राजमहल से चली गाड़ू घड़ी कलश यात्रा गुरुवार की देर रात श्रीनगर पहुंची.

श्रद्वालुओं ने गाड़ू घड़ा के दर्शन कर पूजा अर्चना की.

श्रीनगर स्थित डालमिया धर्मशाला में श्रद्वालुओं ने गाड़ू घड़ा के दर्शन कर घड़े की पूजा अर्चना की. भोज के बाद यह यात्रा रुद्रप्रयाग से होकर कर्णप्रयाग पहुंचेगी और 27 अप्रैल को यह यात्रा डिम्मरगांव पहुंचेगी. जहां तिल का कलश स्थापित किया जायेगा.


इसके बाद दूसरे चरण में यात्रा 8 मई को बदरीनाथ धाम के लिए रवाना होगी. कलश यात्रा के बारे में बताते हुए बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के मीडिया प्रभारी ने बाताया कि बसंत पंचमी के अवसर पर तिल से तेल बनाने की परम्परा प्रारम्भ होती है.

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इसी तेल के माध्यम से भगवान बदरी को लेप लगाया जाता है तथा भगवान बदरीनाथ की जोत जलायी जाती है.

Intro:Body:एकर/विजुअल/बाइट - बदरीविशाल धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त 10 मई तय हुआ है जिसके चलते कपाट खुलने के समय तिल के तेल का अभिषेक भगवान बद्रीविशाल को कराया जाता है। इस परम्परा के अनुसार पहले चरण में नरेंद्र नगर स्थित राजमहल से चली गाडू घडा कलश यात्रा बह्रस्पतिवार देर रात को श्रीनगर पहुंची श्रीनगर स्थित डालमिया धर्मशाला में श्रद्वालुआंे ने गाडू धडा के दर्शन कर धडे की पुजा अर्चना की। भोज के बाद यह यात्रा आज रुद्रप्रयाग से होकर कर्णप्रयाग पहुंचेगी और कल यानी 27 तारिक को यह यात्रा डिम्मरगावं पहुंचेगी जहा तिल का कलश स्थापित किया जायेगा। इसके बाद दुसरे चरण में यात्रा 8 मई को बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना होगी कलश यात्रा के बारे मंे बताते हुए बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के मिडिया प्रभारी ने बाताया की की बसंत पंचमी के अवसर पर यह तिल से तेल बनाने की परम्परा प्रारम्भ होती है इसी तेल के माध्यम से भगवान बद्री को लेप लगाया जाता है तथा भगवान बद्रीनाथ की जोत जलायी जाती है।

बाइट-हरिश गौड मिडिया प्रभारी बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिरसमितिConclusion:
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