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धनौल्टी: टिहरी के छाम बिखोत मेले पर कोरोना का संकट, इतिहास में पहली बार मेला हुआ रद्द

टिहरी जनपद का पौराणिक व ऐतिहासिक छाम बिखोत मेला भी कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष रद्द हो गया है. बिखोत मेला रद्द होने के कारण जहां लोग एक तरफ मायूस हैं. वहीं, दूसरी ओर लोग इसे लॉकडाउन का पालन मानते हुए सुरक्षा की दृष्टि में बड़ा और सही कदम मान रहे हैं.

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इतिहास में पहली बार रद्द हुआ छाम बिखोत मेला
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Published : Apr 13, 2020, 7:06 PM IST

Updated : Apr 14, 2020, 9:52 AM IST

धनौल्टी: टिहरी जनपद का पौराणिक व ऐतिहासिक छाम बिखोत मेला भी कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष रद्द हो गया है. बिखोत मेला रद्द होने के कारण जहां लोग एक तरफ मायूस हैं. वहीं, दूसरी ओर लोग इसे लॉकडाउन का पालन मानते हुए सुरक्षा की दृष्टि में बड़ा और सही कदम मान रहे हैं.

इतिहास में पहली बार मेला हुआ रद्द.

वहीं, 70 वर्षीय स्थानीय निवासी राजपाल सिह गुसाई ने बताया कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब यहां मेला रद्द हुआ है. बिखोत मेला बैसाखी संक्रांति (बैसाखी) के दिन क्षेत्र में पहले मेले के रूप में आयोजित होता है. इस मेले में प्रदेश व अन्य राज्यों के दुकानदार भी भारी संख्या मे दुकान लगाने के लिए पहुंचते है.

बिखोत मेले में टिहरी और उत्तरकाशी जनपद के सैकड़ों गांव के लोग मेल मिलाप व खरीदारी के लिए पहुंचते हैं. इस मेले की शुरुआत के बाद क्षेत्र में जगह-जगह 1 माह तक लगने वाले मेलों की भी शुरुआत होती है.

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बता दें, बैसाखी मेला टिहरी झील पर बांध बनने से पहले छाम बाजार के पास भागीरथी नदी के तट पर कृष्ण कुंज घाट पर आयोजित होता था. मान्यता है कि भगवान कृष्ण सेम नागराज इसी कृष्ण कुंज घाट पर नदी पार कर स्नान करने के लिए आते थे. लेकिन कृष्ण कुंज घाट के टिहरी झील में समा जाने के बाद अब यह मेला कण्डीसौड़ बाजार में आयोजित होता है. लेकिन इस वर्ष मेला रद्द होने से मेला लगने वाले मैदान व बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिसके चलते लोगों के चहरों पर काफी मायूसी देखने को मिल रही है.

धनौल्टी: टिहरी जनपद का पौराणिक व ऐतिहासिक छाम बिखोत मेला भी कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष रद्द हो गया है. बिखोत मेला रद्द होने के कारण जहां लोग एक तरफ मायूस हैं. वहीं, दूसरी ओर लोग इसे लॉकडाउन का पालन मानते हुए सुरक्षा की दृष्टि में बड़ा और सही कदम मान रहे हैं.

इतिहास में पहली बार मेला हुआ रद्द.

वहीं, 70 वर्षीय स्थानीय निवासी राजपाल सिह गुसाई ने बताया कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब यहां मेला रद्द हुआ है. बिखोत मेला बैसाखी संक्रांति (बैसाखी) के दिन क्षेत्र में पहले मेले के रूप में आयोजित होता है. इस मेले में प्रदेश व अन्य राज्यों के दुकानदार भी भारी संख्या मे दुकान लगाने के लिए पहुंचते है.

बिखोत मेले में टिहरी और उत्तरकाशी जनपद के सैकड़ों गांव के लोग मेल मिलाप व खरीदारी के लिए पहुंचते हैं. इस मेले की शुरुआत के बाद क्षेत्र में जगह-जगह 1 माह तक लगने वाले मेलों की भी शुरुआत होती है.

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बता दें, बैसाखी मेला टिहरी झील पर बांध बनने से पहले छाम बाजार के पास भागीरथी नदी के तट पर कृष्ण कुंज घाट पर आयोजित होता था. मान्यता है कि भगवान कृष्ण सेम नागराज इसी कृष्ण कुंज घाट पर नदी पार कर स्नान करने के लिए आते थे. लेकिन कृष्ण कुंज घाट के टिहरी झील में समा जाने के बाद अब यह मेला कण्डीसौड़ बाजार में आयोजित होता है. लेकिन इस वर्ष मेला रद्द होने से मेला लगने वाले मैदान व बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिसके चलते लोगों के चहरों पर काफी मायूसी देखने को मिल रही है.

Last Updated : Apr 14, 2020, 9:52 AM IST
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