धनौल्टी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 (Uttarakhand Assembly Election-2022) में कुछ ही महीने शेष बचे हुए हैं. ऐसे में जाहिर सी बात है कि आगामी चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. सभी पार्टियां जनता के बीच अपनी उपलब्धियां गिनवा रही हैं तो विपक्षी पार्टियों की विफलता भी साथ-साथ बता रही हैं. साथ ही प्रदेशवासियों का विश्वास जीतने में लगी हुई हैं. वहीं, कुछ पार्टियों में दल-बदल भी देखा जा रहा है.
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने बड़ा दांव चला है. धनौल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार को पार्टी अपने पाले में लाने में कामयाब रही है. बुधवार को राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने दिल्ली में प्रीतम पंवार को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी.
प्रीतम पंवार को लेकर भाजपा का बड़ा दांव: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 में कुछ ही समय बचा हुआ है. चुनाव से ठीक पहले धनौल्टी के वर्तमान विधायक प्रीतम सिह पंवार (Pritam Singh Panwar) भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. फिलहाल अब तक उत्तराखंड में बारी-बारी से सरकार चलाने वाले राष्ट्रीय दल भाजपा व कांग्रेस चुनावी तैयारियों में जोर-शोर से जुटे गए हैं. बता दें कि, प्रीतम पंवार का अपना वोट बैक हैं. जिसके सहारे उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे धनौल्टी से जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. हालांकि प्रीतम सिह पंवार के भाजपा में शामिल होने के बाद अब सबकी नजर इस बात पर है कि वे 2022 में धनौल्टी से चुनाव लड़ेंगे या यमुनोत्री से. क्योंकि प्रीतम पंवार का इन दोनों विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है. इसी बात को लेकर ईटीवी भारत ने प्रीतम पंवार के बीजेपी में शामिल होने के बाद लोगों की राय जानी.
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क्या सोचती है धनौल्टी की जनता: लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है. कुछ लोगों ने माना कि प्रीतम पंवार ने इस बार निर्दलीय विधायक के रूप में धनौल्टी से जीत दर्ज की थी, लेकिन बीजेपी सरकार में शामिल न होने के कारण वो धनौल्टी में लोगों की उम्मीद के मुताबिक खरे नहीं उतर पाए. इस कारण उनके आगे 2022 में कड़ी चुनौती के हालात बन रहे थे. इसे पहले भांपकर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. हालांकि, उनके बीजेपी में जाने से उत्तरकाशी की यमुनोत्री और टिहरी की धनौल्टी सीट पर भाजपा के वोट का ग्राफ बढ़ेगा और भाजपा को दोनों सीट पर इसका फायदा देखने को मिलेगा. साथ ही उनको भी फायदा मिलेगा.
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि प्रीतम पंवार के बीजेपी ज्वाइन करने से अब उनके द्वारा किए जा रहे जनहित कार्यों को और गति मिलेगी. क्षेत्र की जनता को भी इसका लाभ मिलेगा. साथ ही धनौल्टी और यमुनोत्री में भाजपा और मजबूत होगी जिसका फायदा पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में मिलेगा.
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भाजपा को मिलेगा फायदा: कुछ लोगों का कहना है जब वे निर्दलीय थे, तब उनके साथ भाजपा व कांग्रेस के लोग जुड़े लेकिन प्रीतम पंवार ने अब बीजेपी ज्वाइन की है. कार्यकर्ताओं ने नहीं, अब कांग्रेस के लोग भाजपा में न जाकर फिर से कांग्रेस में आएंगे तो इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि उनके भाजपा ज्वाइन करने से उनकी लोकप्रियता का फायदा भाजपा को मिलेगा और वो भाजपा से चुनाव लड़ने पर आसानी से जीत दर्ज कर लेंगे. आने वाले दिनों में टिकट की दावेदारी को लेकर धनौल्टी में कुछ हालात और भी देखने को मिल सकते हैं. धनौल्टी 2017 की तरह हॉट सीट बन सकती है.
कहां से लड़ेंगे चुनाव? बातचीत के दौरान लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रीतम पंवार के भाजपा में आने से भाजपा को इसका फायदा यमुनोत्री और धनौल्टी विधानसभा सीट में मिलेगा. लेकिन आने वाले चुनाव में प्रीतम पंवार कहां से चुनाव लड़ेंगे, उनके आने से दोनों विधानसभा सीट धनौल्टी और यमुनोत्री में चुनावी तैयारियों में जुटे भाजपा के दावेदारों के माथे पर बल ला दिया है.
अब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 में देखने वाली बात होगी कि धनौल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद किसको कितना फायदा हुआ है.
कौन हैं प्रीतम सिंह पंवार: प्रीतम सिंह पंवार ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में भाग लिया और एक बार जेल भी गए. अलग राज्य बना तो साल 2002 में पहले चुनाव उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के टिकट पर उत्तरकाशी की यमुनोत्री विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. इसके बाद 2012 में भी यूकेडी के टिकट पर ही एक बार फिर यमुनोत्री सीट से ही विधायक निर्वाचित हुए और कांग्रेस सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे. लेकिन 2017 में उन्होंने यूकेडी का दामन छोड़ने के साथ ही यमुनोत्री विधानसभा सीट को भी अलविदा कह दिया और टिहरी की धनौल्टी सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत भी गए. उन्होंने भाजपा के नारायण सिंह को शिकस्त दी जो कि निशानेबाज जसपाल राणा के पिता हैं. वह फिलहाल पशोपेश में थे कि आगे का सियासी सफर कैसे आगे बढ़ाया जाए, लेकिन उन्होंने भाजपा ज्वाइन करने के बाद आगे की तस्वीर साफ कर दी है.