रुद्रप्रयाग: आपदा में तबाह हुए गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड की आठ साल बीतने के बाद भी शासन-प्रशासन ने सुध नहीं ली है. ऐसे में आक्रोशित ग्रामीणों के धैर्य का बांध टूट गया और ग्रामीणों ने श्रमदान के जरिये गर्म कुंड का निर्माण करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों की मानें तो सरकार और प्रशासन सिर्फ तमाशा देख रही है. यहां यात्रा सीजन में लाखों यात्री पहुंचते हैं और उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में यात्रियों की परेशानियों को समझते हुए ग्रामीणों ने स्वयं कुंड का दोबारा पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया है.
दरअसल, 16-17 जून 2013 की आपदा में गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड आपदा की भेंट चढ़ गया था. गौरीमाई मंदिर के निकट स्थित इस कुंड में केदारनाथ की यात्रा शुरू होने से पूर्व यात्री स्नान करते थे और केदारनाथ के लिए प्रस्थान करते थे. मान्यता है कि मां गौरी ने भगवान शिव को पाने के लिए गौरीकुंड में तपस्या की थी तो वो भी इस कुंड में स्नान करती थी और इसी कुंड में भगवान गणेश ने शिवजी को जाने से रोका था. भगवान शिव ने आक्रोश में आकर गणेश का सर काट दिया था. यहीं से कुछ दूरी पर भगवान गणेश का मुनकटिया मंदिर भी विराजमान है.
आपदा से पहले यात्री इसी कुंड में स्नान करने के बाद केदारनाथ की यात्रा शुरू करते थे. वर्ष 2013 की आपदा में यह कुंड पूर्ण रुप से क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के तीन साल बाद इस स्थान पर गर्म पानी की धार फूटी, जिसके बाद यहां पर स्थायी कुंड का निर्माण करने की मांग उठी. आपदा को आठ साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है. यात्रा सीजन में लाखों यात्री गौरीकुंड पहुंचकर कुंड में स्नान करते हैं, लेकिन उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुंड के आसपास कहीं भी महिलाओं और पुरुषों के लिए चेंजिंग रूम की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में यात्रियों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. कुंड के आसपास भी गंदगी फैली हुई है. महिलाओं को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन से कुंड के निर्माण मांग की, लेकिन ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं हुई और आखिरकार अब ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया और ग्रामीण स्वयं ही कुंड का निर्माण कर रहे हैं.
स्थानीय निवासी दीर्घायु गोस्वामी ने कहा कि सरकार और प्रशासन ने गर्म कुंड की आपदा के बाद कोई सुध नहीं ली है. ऐसे में ग्रामीणों में भारी आक्रोश बना है. ग्रामीण लगातार कुंड निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है. यात्रियों को यात्रा सीजन में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. यात्रियों को सीजन में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए गौरीकुंड के ग्रामीण अब श्रमदान करके कुंड का निर्माण कर रहे हैं.
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व्यापार संघ अध्यक्ष अरविंद गोस्वामी एवं प्रधान सोनी देवी ने कहा कि आपदा के आठ साल बाद भी गर्म कुंड का निर्माण नहीं किया गया. सरकार का ध्यान सिर्फ और सिर्फ केदारनाथ पुनर्निर्माण में लगा हुआ है, जबकि केदारनाथ यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुण्ड में आपदा के बाद से अब तक कोई काम नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल से प्रस्थान करने के बाद डोली एक रात्रि प्रवास को गौरीकुंड रुकती है और श्रद्धालु भी गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड में स्नान करने के बाद आगे की यात्रा शुरू करते हैं, बावजूद इसके सरकार और प्रशासन गौरीकुंड पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.