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रुद्रप्रयाग: 7 वर्षों से पुल निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीण, प्रशासन नहीं ले रहा सुध - Junior Chief Shailendra Kotwal

आपदा की भेंट चढे़ रुच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाला पुल आपदा के सात वर्षों बाद भी नहीं बन पाया है. जिस कारण ग्रामीण व तीर्थ यात्रियों की आवाजाही ट्राली के सहारे हो रही है.

Rudraprayag
7 वर्षों से पुल निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीण
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Published : May 29, 2020, 10:23 PM IST

रुद्रप्रयाग: आपदा की भेंट चढे़ रुच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाले पुल का निर्माण आपदा के 7 वर्षों बाद भी नहीं हो पाया है. जिस कारण ग्रामीण व तीर्थ यात्रियों की आवाजाही ट्राली के सहारे हो रही है. ग्रामीणों की ओर से नदी पर लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही को सुचारू करने के प्रयास तो किए जाते हैं, मगर सरस्वती नदी का बहाव बढ़ते ही पुलिया नदी में समा जाती है. पुल निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता 7 वर्षों से करती आ रही है, लेकिन शासन-प्रशासन के मौन रहने से ग्रामीणों की आस धरी की धरी रह गयी है.

बता दें, 16 और 17 जून 2013 को केदारघाटी में हुए जल प्रलय से कालीमठ घाटी के रुच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाला सरस्वती नदी पर बना पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था. पुल टुट जाने के बाद लोक निर्माण विभाग ने ग्रामीणों और पुजारियों की आवाजाही के लिए ट्राली लगायी थी और साथ ही ग्रामीणों की ओर से नदी पर लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही को सुचारू करने के प्रयास तो किए जाते हैं, मगर बरसात शुरू होते ही पुलिया सरस्वती नदी के बहाव में समा जाती.

पढ़े- मंत्री रेखा आर्य ने गिनाए पूर्व उपनिदेशक सुजाता सिंह के घोटाले, कहा- इस बार उनका बचना मुश्किल

इसी को लेकर ग्रामीणों ने पुल निर्माण के लिए जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तथा सिद्धपीठ कालीमठ आने वाले केंद्रीय मंत्रियों तक से गुहार लगाई है. मगर कोई कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र की जनता भी अब हार मान चुकी है. पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि आपदा के बाद प्रभावित क्षेत्र में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए. मगर रुच्छ महादेव को जोड़ने वाले पुल के लिए जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के पास आज तक बजट न होना क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार है.

पढ़े- लद्दाख में चीन-भारत तनाव के मुद्दे पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछे सवाल

रुच्छ महादेव के पुजारी सत्यानंद भट्ट ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा लगाई गई ट्राली का रख-रखाव न होने से ट्राली की रस्सी कमजोर हो चुकी है और आगामी बरसात में ट्राली से ही आवागमन करना पडे़गा, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कनिष्ठ प्रमुख शैलेंद्र कोटवाल का कहना है कि आपदा के 7 वर्षों में भी पुल का निर्माण न होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद क्षेत्र पंचायत की बैठक में पुल निर्माण की मांग सदन में रखी जाएगी.

रुद्रप्रयाग: आपदा की भेंट चढे़ रुच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाले पुल का निर्माण आपदा के 7 वर्षों बाद भी नहीं हो पाया है. जिस कारण ग्रामीण व तीर्थ यात्रियों की आवाजाही ट्राली के सहारे हो रही है. ग्रामीणों की ओर से नदी पर लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही को सुचारू करने के प्रयास तो किए जाते हैं, मगर सरस्वती नदी का बहाव बढ़ते ही पुलिया नदी में समा जाती है. पुल निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता 7 वर्षों से करती आ रही है, लेकिन शासन-प्रशासन के मौन रहने से ग्रामीणों की आस धरी की धरी रह गयी है.

बता दें, 16 और 17 जून 2013 को केदारघाटी में हुए जल प्रलय से कालीमठ घाटी के रुच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाला सरस्वती नदी पर बना पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था. पुल टुट जाने के बाद लोक निर्माण विभाग ने ग्रामीणों और पुजारियों की आवाजाही के लिए ट्राली लगायी थी और साथ ही ग्रामीणों की ओर से नदी पर लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही को सुचारू करने के प्रयास तो किए जाते हैं, मगर बरसात शुरू होते ही पुलिया सरस्वती नदी के बहाव में समा जाती.

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इसी को लेकर ग्रामीणों ने पुल निर्माण के लिए जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तथा सिद्धपीठ कालीमठ आने वाले केंद्रीय मंत्रियों तक से गुहार लगाई है. मगर कोई कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र की जनता भी अब हार मान चुकी है. पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि आपदा के बाद प्रभावित क्षेत्र में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए. मगर रुच्छ महादेव को जोड़ने वाले पुल के लिए जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के पास आज तक बजट न होना क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार है.

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रुच्छ महादेव के पुजारी सत्यानंद भट्ट ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा लगाई गई ट्राली का रख-रखाव न होने से ट्राली की रस्सी कमजोर हो चुकी है और आगामी बरसात में ट्राली से ही आवागमन करना पडे़गा, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कनिष्ठ प्रमुख शैलेंद्र कोटवाल का कहना है कि आपदा के 7 वर्षों में भी पुल का निर्माण न होना चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद क्षेत्र पंचायत की बैठक में पुल निर्माण की मांग सदन में रखी जाएगी.

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