रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ के दूरस्थ गांव गौंडार में एक महीने से ग्रामीण बिजली की दिक्कतों से जूझ रहे हैं. अंधेरे में डूबे इस गांव को जोड़ने वाली उरेड़ा योजना भी अब नाकाम साबित हो रही है. इसके कारण ग्रामीणों की दिनचर्या पर असर पड़ रहा है. इस गांव में पहुंचने के लिए ग्रामीणों को मुख्य मार्ग से आठ किमी से अधिक की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. जबकि बिजली जैसी सुविधा न हाने के चलते ग्रामीण शाम ढलते ही घरों के अंदर कैद हो जाते हैं.
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दरअसल, दो साल पहले उरेड़ा (उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) ने करोड़ों रुपयों की लागत से इस गांव के नजदीक बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया था. इससे गांव को बिजली मुहैया करवाई जाने लगी. ग्रामीणों को उनके घरों में आजादी के सात दशक बाद बिजली स्वरूप उजियारा देख खुशी हुई. इसके बाद अब उरेड़ा की यह परियोजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत साबित हो रही है.
गांव में समय-समय पर सही मेंटेनेंस न होने के चलते यह विद्युत व्यस्था खराब होती जा रही है. वहीं, बरसात के समय पानी के तेज वेग के साथ कई तकनीकी फॉल्ट भी आ जाते हैं. इस दौरान विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन तैनात न होने के कारण लंबे समय से इसे ठीक नहीं किया गया है. जिससे पिछले एक महीने से ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहा है, लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.
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ग्रामीणों ने उरेड़ा विभाग के अधिकारियों से कई बार आपूर्ति को सुचारु करने की गुहार लगाई, लेकिन इसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, इस मामले पर उरेड़ा विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कुमार सैनी ने बताया कि आपदा मद में ढाई लाख का प्रस्ताव भेजा गया है. धनराशि स्वीकृति होने के बाद उन्होंने गांव में बिजली की मरम्मत कराने की बात कही.