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उरेड़ा की परियोजना हुई फेल, एक महीने से छाया है गौंडार गांव में अंधेरा

उरेड़ा की ओर से शुरू हुई परियोजना का ग्रामीणों को अबतक लाभ नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीणों को अंधेरे में जीवन यापन करना पड़ रहा है.

गौंडार गांव में एक महीने से बिजली गुल.
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Published : Sep 21, 2019, 6:29 PM IST

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ के दूरस्थ गांव गौंडार में एक महीने से ग्रामीण बिजली की दिक्कतों से जूझ रहे हैं. अंधेरे में डूबे इस गांव को जोड़ने वाली उरेड़ा योजना भी अब नाकाम साबित हो रही है. इसके कारण ग्रामीणों की दिनचर्या पर असर पड़ रहा है. इस गांव में पहुंचने के लिए ग्रामीणों को मुख्य मार्ग से आठ किमी से अधिक की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. जबकि बिजली जैसी सुविधा न हाने के चलते ग्रामीण शाम ढलते ही घरों के अंदर कैद हो जाते हैं.

गौंडार गांव में एक महीने से बिजली गुल.

यह भी पढ़ें: इन बातों का रखें ध्यान, वरना सारे कागजात होने के बाद भी आपका कट जाएगा चालान

दरअसल, दो साल पहले उरेड़ा (उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) ने करोड़ों रुपयों की लागत से इस गांव के नजदीक बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया था. इससे गांव को बिजली मुहैया करवाई जाने लगी. ग्रामीणों को उनके घरों में आजादी के सात दशक बाद बिजली स्वरूप उजियारा देख खुशी हुई. इसके बाद अब उरेड़ा की यह परियोजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत साबित हो रही है.

गांव में समय-समय पर सही मेंटेनेंस न होने के चलते यह विद्युत व्यस्था खराब होती जा रही है. वहीं, बरसात के समय पानी के तेज वेग के साथ कई तकनीकी फॉल्ट भी आ जाते हैं. इस दौरान विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन तैनात न होने के कारण लंबे समय से इसे ठीक नहीं किया गया है. जिससे पिछले एक महीने से ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहा है, लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: हरिद्वार जा रही श्रद्धालुओं से भरी बस पलटी, 40 लोग गंभीर रूप से घायल

ग्रामीणों ने उरेड़ा विभाग के अधिकारियों से कई बार आपूर्ति को सुचारु करने की गुहार लगाई, लेकिन इसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, इस मामले पर उरेड़ा विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कुमार सैनी ने बताया कि आपदा मद में ढाई लाख का प्रस्ताव भेजा गया है. धनराशि स्वीकृति होने के बाद उन्होंने गांव में बिजली की मरम्मत कराने की बात कही.

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ के दूरस्थ गांव गौंडार में एक महीने से ग्रामीण बिजली की दिक्कतों से जूझ रहे हैं. अंधेरे में डूबे इस गांव को जोड़ने वाली उरेड़ा योजना भी अब नाकाम साबित हो रही है. इसके कारण ग्रामीणों की दिनचर्या पर असर पड़ रहा है. इस गांव में पहुंचने के लिए ग्रामीणों को मुख्य मार्ग से आठ किमी से अधिक की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. जबकि बिजली जैसी सुविधा न हाने के चलते ग्रामीण शाम ढलते ही घरों के अंदर कैद हो जाते हैं.

गौंडार गांव में एक महीने से बिजली गुल.

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दरअसल, दो साल पहले उरेड़ा (उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) ने करोड़ों रुपयों की लागत से इस गांव के नजदीक बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया था. इससे गांव को बिजली मुहैया करवाई जाने लगी. ग्रामीणों को उनके घरों में आजादी के सात दशक बाद बिजली स्वरूप उजियारा देख खुशी हुई. इसके बाद अब उरेड़ा की यह परियोजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत साबित हो रही है.

गांव में समय-समय पर सही मेंटेनेंस न होने के चलते यह विद्युत व्यस्था खराब होती जा रही है. वहीं, बरसात के समय पानी के तेज वेग के साथ कई तकनीकी फॉल्ट भी आ जाते हैं. इस दौरान विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन तैनात न होने के कारण लंबे समय से इसे ठीक नहीं किया गया है. जिससे पिछले एक महीने से ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहा है, लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.

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ग्रामीणों ने उरेड़ा विभाग के अधिकारियों से कई बार आपूर्ति को सुचारु करने की गुहार लगाई, लेकिन इसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, इस मामले पर उरेड़ा विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कुमार सैनी ने बताया कि आपदा मद में ढाई लाख का प्रस्ताव भेजा गया है. धनराशि स्वीकृति होने के बाद उन्होंने गांव में बिजली की मरम्मत कराने की बात कही.

Intro:रुद्रप्रयाग के दूरस्थ गौंडार गांव में एक माह से छाया है अंधेरा
शाम ढलते ही घरों में कैद होने को मजबूर हैं ग्रामीण
उरेड़ा विभाग की योजना का ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ
रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड ऊखीमठ का दूरस्थ गांव गौंडार एक माह से अंधेरे में डूबा हुआ है। गांव को जोड़ने वाली उरेड़ा योजना भी नाकाम साबित हो रही है, जिस कारण ग्रामीण जनता परेशान है। सड़क मार्ग से आठ किमी से अधिक पैदल दूरी इस गांव में पहुंचने के लिए तय करनी पड़ती है, जबकि बिजली जैसी सुविधा न हाने के चलते ग्रामीण शाम ढलते ही घरों के अंदर कैद हो जाते हैं। Body:दरअसल, दो वर्ष पूर्व उरेड़ा विभाग ने करोड़ों रूपयों की लागत से गांव के नजदीक बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया, जिससे गांव को बिजली मुहैया करवाई जा रही थी। ग्रामीणों को इस बात की खुशी थी कि कम से कम उनके घरों में आजादी के सात दशक बाद बिजली स्वरूप उजियारा तो हुआ, मगर ग्रामीणों को क्या पता था कि उरेडा की यह योजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत साबित होगी। समय-समय पर सही मेंटिनेंस न होने के कारण यह विद्युत व्यस्था खराब होती जा रही है, जबकि बरसात के समय पानी के तेज वेग के साथ कई तकनीकी फाल्ट भी आ जाते हैं, लेकिन विभाग का यहां कोई इंजीनियर और टैक्नीशियन तैनात न होने के कारण लम्बे समय से इसे ठीक नहीं किया जा रहा है, जिससे पिछले एक माह से अधिक समय से ग्रामीण अंधेरे में हैं। गौड़ार गांव वर्षों से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांग करता आ रहा है, मगर सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। बिजली न होने से नौनिहालों का पठन-पाठन खासा प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों द्वारा उरेडा विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की फरियाद सुनने को राजी नहीं हैं। बता दें कि पिछले माह मदमहेश्वर घाटी में हुई मूसलाधार बारिश से गौण्डार गांव को रोशन करनी वाली लघु जल विद्युत परियोजना क्षतिग्रस्त होने से गौंडार गांव सहित कई तोको में अन्धेरा छाया हुआ है। ग्रामीणों ने उरेडा विभाग के अधिकारियों से कई बार आपूर्ति को सुचारु करने की गुहार लगाई, मगर आज तक आपूर्ति ठप होने से ग्रामीण अंधेरे में रात गुजारने को विवश हैं। गामीणों ने बताया कि बिजली आपूर्ति ठप होने से नौनिहालों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है, जबकि रात के समय जंगली जानवरों के आतंक से ग्रामीण भयभीत हैं। उन्होंने जल्द से जल्द गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की। उरेड़ा विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर संदीप कुमार सैनी ने बताया कि आपदा मद में ढाई लाख का प्रस्ताव भेजा गया है। धनराशि स्वीकृति होने के बाद मरम्मत कर दी जायेगी।
Conclusion:
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