रुद्रप्रयागः समुद्रतल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भगवान तुंगनाथ मंदिर के प्राचीन मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित किया जा रहा है. अगले साल से मंदिर के सभामंडप के संरक्षण का कार्य शुरू किया जाएगा. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की ओर से मंदिर व परिसर के संरक्षण के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
बता दें कि तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ का मंदिर पंचकेदार में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है. पांडवकालीन इस मंदिर की स्थिति दयनीय हो रखी है और सभामंडप की दीवारों पर जगह-जगह दरारें पड़ी हैं, जो कभी भी बड़े खतरे का कारण बन सकती है. साथ ही यहां स्थित अन्य छोटे-छोटे मंदिरों की हालत भी अच्छी नहीं हैं. लिहाजा, अब उत्तराखंड सरकार ने तुंगनाथ मंदिर जीर्णोद्धार करने जा रहा है.
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वहीं, भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित किया जा रहा है. कुछ दिन पहले विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंदिर का निरीक्षण किया था. जिसमें उन्हें मंदिर के सभामंडप की स्थिति काफी खराब मिली थी. विभाग ने मंदिर को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए योजना तैयार की है. इसके तहत अगले साल अप्रैल महीने में प्राचीन मंदिर के सभामंडप को सुरक्षित करने का कार्य शुरू किया जाएगा. सभामंडप की पुरानी दीवारों को खोलकर कत्यूरी शैली में नव निर्माण कर सुरक्षित व संरक्षित किया जाएगा.
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विभाग की ओर से संपूर्ण मंदिर व परिसर की सुरक्षा व जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा गया है. सभी औपचारिकताओं के विभिन्न चरणों में पूरे होने पर करीब दो साल बाद संपूर्ण मंदिर को संरक्षित व सुरक्षित करने का काम किया जाएगा. भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षण अभियंता डॉ. आरके पटेल ने बताया कि मंदिर के सभामंडप की स्थिति काफी दयनीय बनी है.
प्राथमिकता से अगले साल अप्रैल महीने में इसकी मरम्मत की जाएगी. तृतीय केदार को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेज दिया गया है. सभी औपचारिकताएं पूरी होने में करीब डेढ़ साल का वक्त लगेगा, उसके बाद जरूरी कार्य शुरू किए जाएंगे.