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रुद्रप्रयाग में 22 साल से अधूरा है भू धंसाव का ट्रीटमेंट, दहशत में ग्रामीण

जग्गी बगवान गांव के निचले हिस्से में 22 वर्षों से लगातार भू धंसाव हो रहा है. इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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Published : Dec 26, 2020, 1:48 PM IST

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ की ग्राम पंचायत जग्गी बगवान के निचले हिस्से में वर्ष 1998 से हो रहे भू धंसाव का ट्रीटमेंट पूरा न होने से ग्रामीणों को 22 वर्षों से खतरा बना हुआ है. बरसात के समय भूस्खलन से जीआईसी राऊलैंक में अध्ययनरत नौनिहालों के साथ ग्रामीण जान-जोखिम में डाल कर आवाजाही करने पर मजबूर हैं.

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भू धंसाव से बढ़ा खतरा

दरअसल, 28 अगस्त 1998 को कालीमठ और मदमहेश्वर घाटियों में बादल फटने से 105 लोग और 500 से अधिक मवेशी जिन्दा दफन हो गये थे. मदमहेश्वर घाटी के बुरुवा भेटी में भारी मलबा आने के कारण मधुगंगा में लगभग चार किमी परिधि की झील बनने से श्रीनगर तक हाई अलर्ट किया गया था. दोनों घाटियों में कई स्थानों पर भू धसाव होने के कारण जग्गी बगवान गांव के निचले हिस्से में लगभग 200 मीटर चौड़ा और 700 मीटर लम्बाई हिस्से में भू धंसाव शुरू हो गया था जो कि आज भी निरन्तर जारी है.

ये भी पढ़ें: KBC में डॉ. अनिल जोशी ने पर्यावरण पर व्यक्त की चिंता, 'बिग बी' भी हुए कायल

वहीं, प्रधान जग्गी बगवान प्रदीप राणा ने बताया कि वर्ष 1998 से लगातार भू धंसाव हो रहा है, जो कि प्रत्येक बरसात में जारी रहने से बरसात के समय ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ जाती है. प्रत्येक बरसात में जग्गी बगवान-राऊलैंक पैदल मार्ग के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रति वर्ष पैदल मार्ग की मरम्मत पर लाखों रुपये व्यय हो चुके हैं लेकिन हलात जस के तस बने हुए हैं. वहीं, मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि यदि किसी बरसात में जग्गी बगवान के निचले हिस्से में भू धंसाव होने से मलबा एक साथ मधुगंगा गंगा में गिरता है तो मधुगंगा में झील बनने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.

वहीं, इस बारे में जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना है कि जग्गी बगवान का भ्रमण किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ की ग्राम पंचायत जग्गी बगवान के निचले हिस्से में वर्ष 1998 से हो रहे भू धंसाव का ट्रीटमेंट पूरा न होने से ग्रामीणों को 22 वर्षों से खतरा बना हुआ है. बरसात के समय भूस्खलन से जीआईसी राऊलैंक में अध्ययनरत नौनिहालों के साथ ग्रामीण जान-जोखिम में डाल कर आवाजाही करने पर मजबूर हैं.

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भू धंसाव से बढ़ा खतरा

दरअसल, 28 अगस्त 1998 को कालीमठ और मदमहेश्वर घाटियों में बादल फटने से 105 लोग और 500 से अधिक मवेशी जिन्दा दफन हो गये थे. मदमहेश्वर घाटी के बुरुवा भेटी में भारी मलबा आने के कारण मधुगंगा में लगभग चार किमी परिधि की झील बनने से श्रीनगर तक हाई अलर्ट किया गया था. दोनों घाटियों में कई स्थानों पर भू धसाव होने के कारण जग्गी बगवान गांव के निचले हिस्से में लगभग 200 मीटर चौड़ा और 700 मीटर लम्बाई हिस्से में भू धंसाव शुरू हो गया था जो कि आज भी निरन्तर जारी है.

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वहीं, प्रधान जग्गी बगवान प्रदीप राणा ने बताया कि वर्ष 1998 से लगातार भू धंसाव हो रहा है, जो कि प्रत्येक बरसात में जारी रहने से बरसात के समय ग्रामीणों की रातों की नींद उड़ जाती है. प्रत्येक बरसात में जग्गी बगवान-राऊलैंक पैदल मार्ग के क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रति वर्ष पैदल मार्ग की मरम्मत पर लाखों रुपये व्यय हो चुके हैं लेकिन हलात जस के तस बने हुए हैं. वहीं, मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि यदि किसी बरसात में जग्गी बगवान के निचले हिस्से में भू धंसाव होने से मलबा एक साथ मधुगंगा गंगा में गिरता है तो मधुगंगा में झील बनने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.

वहीं, इस बारे में जिलाधिकारी मनुज गोयल का कहना है कि जग्गी बगवान का भ्रमण किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

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