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8 साल बाद भी नहीं भरे केदारनाथ आपदा के घाव, मुआवजे का इंतजार - रुद्रप्रयाग न्यूज

केदारनाथ आपदा का भयावह मंजर आज भी जब जेहन में आता है तो लोग सिहर उठते हैं. जून 2013 में आई आपदा में हजारों लोगों की जान चली गई थी. इस आपदा में कई व्यापारिक प्रतिष्ठान बह गए थे, लेकिन व्यापारियों को अभी तक पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है.

kedarnath disaster
केदारनाथ आपदा
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Published : Jul 20, 2021, 4:28 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 5:05 PM IST

रुद्रप्रयागः केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) को 8 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक प्रभावित व्यापारियों को मुआवजा नहीं मिल पाया है. व्यापारियों ने मुआवजे को लेकर न्यायालय की भी शरण ली, जहां से उन्हें क्लीन चिट मिली है. हाईकोर्ट की ओर से सरकार को 6 महीने के भीतर व्यापारियों को मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा देने की कार्रवाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. ऐसे में व्यापारियों में भारी आक्रोश है.

बता दें कि साल 2013 में 16-17 जून को केदारनाथ में जल प्रलय आया था. इस जल प्रलय में हजारों लोग काल-कवलित हो गए. जबकि, कई लोग लापता हो गए थे. केदारघाटी में आए जल प्रलय को 8 साल बाद भी कोई भूल नहीं पाया है. आसमान से बरसी इस आफत ने इतने गहरे जख्म दिए, जो अभी तक लोगों के जेहन में हरे हैं. इस आपदा ने सबकुछ तबाह करके रख दिया था. सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों को हुआ था, जिनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया भगवान केदारनाथ की यात्रा पर ही निर्भर थी.

आपदा प्रभावित व्यापारियों ने की मुआवजे की मांग.

ये भी पढ़ेंः केदारनाथ आपदा के 8 साल पूरे, बदली धाम की तस्वीर लेकिन जख्म अब भी हरे

केदारघाटी के व्यापारी 6 माह केदारनाथ में रोजगार कर सालभर का गुजारा करते हैं, लेकिन आपदा के बाद से 465 व्यापारियों को मुआवजे का 40 प्रतिशत भुगतान किया गया. आपदा के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने व्यापारियों को चालीस प्रतिशत भुगतान किया, जबकि चालीस प्रतिशत भुगतान को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से लाभ दिए जाने का फरमान जारी किया.

उस समय बड़े व्यापारियों को ए और बी श्रेणी में बांटा गया था. ए श्रेणी में वो व्यापारी शामिल हैं, जिनके सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक पक्की दुकानें व मकान थे. बी श्रेणी में वो व्यापारी हैं, जो मध्यम स्तर पर रोजगार चलाकर अपनी गुजर-बसर करते थे. इन व्यापारियों को आपदा के 8 साल बाद भी मुआवजे का 40 प्रतिशत नहीं मिल पाया है.

ये भी पढ़ेंः संवर रहा केदारनाथ धाम, रात-दिन पुनर्निर्माण कार्य में जुटे मजदूर

सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक 465 व्यापारी हैं, जिन्हें ए और बी श्रेणी में बांटा गया और चालीस प्रतिशन भुगतान किया जाना था, लेकिन उनका भुगतान नहीं हो पाया. ऐसे में व्यापारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से उन्हें तीन महीने पहले क्लीन चिट मिली. हाईकोर्ट की ओर से सरकार से प्रभावित व्यापारियों को चालीस प्रतिशन भुगतान को कहा गया. इसके बावजूद सरकार ने प्रभावितों के भुगतान को लेकर कोई पहल नहीं की है.

मुआवजे को लेकर प्रभावित व्यापारी, मुख्यमंत्री से लेकर आपदा सचिव और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से कई मर्तबा भी मिल चुके हैं, लेकिन उनकी मांग को नहीं सुना जा रहा है. संयुक्त व्यापार संघ केदारनाथ के अध्यक्ष प्रेम सिंह सजवाण, महामंत्री शिव प्रसाद बगवाड़ी, उपाध्यक्ष देवी प्रसाद गोस्वामी, कोषाध्यक्ष रामप्रकाश पुरोहित, व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड अरविंद गोस्वामी ने मुआवजा नहीं मिलने पर आक्रोश जताया है.

ये भी पढ़ेंः आपदा से पहले केदारनाथ मंदिर के नाम थी करीब 66 नाली जमीन, अब तक नहीं मिला 'हक'

उनका कहना है कि आपदा के बाद प्रभावित व्यापारियों को 80 प्रतिशत मुआवजा दिए जाने का फरमान जारी किया गया, जिसमें चालीस प्रतिशत नगद धनराशि और चालीस प्रतिशत वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से लाभ दिए जाने की बात कही गई. इसमें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से होटल, ढाबा व मकानों के निर्माण के लिए व्यापारियों को लाभांवित किया जाना था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया.

अब व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से कोई लाभ नहीं चाहिए, क्योंकि उनकी जमीन आपदा के समय तबाह हो गई और जो बची थी, उसका कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है. ऐसे में उन्हें चालीस प्रतिशत शेष मुआवजा की धनराशि के रूप में भुगतान किया जाए. व्यापारियों ने कहा कि यदि जल्द ही सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे.

रुद्रप्रयागः केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) को 8 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक प्रभावित व्यापारियों को मुआवजा नहीं मिल पाया है. व्यापारियों ने मुआवजे को लेकर न्यायालय की भी शरण ली, जहां से उन्हें क्लीन चिट मिली है. हाईकोर्ट की ओर से सरकार को 6 महीने के भीतर व्यापारियों को मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रभावितों को मुआवजा देने की कार्रवाई को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. ऐसे में व्यापारियों में भारी आक्रोश है.

बता दें कि साल 2013 में 16-17 जून को केदारनाथ में जल प्रलय आया था. इस जल प्रलय में हजारों लोग काल-कवलित हो गए. जबकि, कई लोग लापता हो गए थे. केदारघाटी में आए जल प्रलय को 8 साल बाद भी कोई भूल नहीं पाया है. आसमान से बरसी इस आफत ने इतने गहरे जख्म दिए, जो अभी तक लोगों के जेहन में हरे हैं. इस आपदा ने सबकुछ तबाह करके रख दिया था. सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों को हुआ था, जिनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया भगवान केदारनाथ की यात्रा पर ही निर्भर थी.

आपदा प्रभावित व्यापारियों ने की मुआवजे की मांग.

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केदारघाटी के व्यापारी 6 माह केदारनाथ में रोजगार कर सालभर का गुजारा करते हैं, लेकिन आपदा के बाद से 465 व्यापारियों को मुआवजे का 40 प्रतिशत भुगतान किया गया. आपदा के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने व्यापारियों को चालीस प्रतिशत भुगतान किया, जबकि चालीस प्रतिशत भुगतान को लेकर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से लाभ दिए जाने का फरमान जारी किया.

उस समय बड़े व्यापारियों को ए और बी श्रेणी में बांटा गया था. ए श्रेणी में वो व्यापारी शामिल हैं, जिनके सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक पक्की दुकानें व मकान थे. बी श्रेणी में वो व्यापारी हैं, जो मध्यम स्तर पर रोजगार चलाकर अपनी गुजर-बसर करते थे. इन व्यापारियों को आपदा के 8 साल बाद भी मुआवजे का 40 प्रतिशत नहीं मिल पाया है.

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सोनप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक 465 व्यापारी हैं, जिन्हें ए और बी श्रेणी में बांटा गया और चालीस प्रतिशन भुगतान किया जाना था, लेकिन उनका भुगतान नहीं हो पाया. ऐसे में व्यापारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से उन्हें तीन महीने पहले क्लीन चिट मिली. हाईकोर्ट की ओर से सरकार से प्रभावित व्यापारियों को चालीस प्रतिशन भुगतान को कहा गया. इसके बावजूद सरकार ने प्रभावितों के भुगतान को लेकर कोई पहल नहीं की है.

मुआवजे को लेकर प्रभावित व्यापारी, मुख्यमंत्री से लेकर आपदा सचिव और जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से कई मर्तबा भी मिल चुके हैं, लेकिन उनकी मांग को नहीं सुना जा रहा है. संयुक्त व्यापार संघ केदारनाथ के अध्यक्ष प्रेम सिंह सजवाण, महामंत्री शिव प्रसाद बगवाड़ी, उपाध्यक्ष देवी प्रसाद गोस्वामी, कोषाध्यक्ष रामप्रकाश पुरोहित, व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड अरविंद गोस्वामी ने मुआवजा नहीं मिलने पर आक्रोश जताया है.

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उनका कहना है कि आपदा के बाद प्रभावित व्यापारियों को 80 प्रतिशत मुआवजा दिए जाने का फरमान जारी किया गया, जिसमें चालीस प्रतिशत नगद धनराशि और चालीस प्रतिशत वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से लाभ दिए जाने की बात कही गई. इसमें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से होटल, ढाबा व मकानों के निर्माण के लिए व्यापारियों को लाभांवित किया जाना था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया.

अब व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना से कोई लाभ नहीं चाहिए, क्योंकि उनकी जमीन आपदा के समय तबाह हो गई और जो बची थी, उसका कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है. ऐसे में उन्हें चालीस प्रतिशत शेष मुआवजा की धनराशि के रूप में भुगतान किया जाए. व्यापारियों ने कहा कि यदि जल्द ही सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे.

Last Updated : Jul 20, 2021, 5:05 PM IST
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