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बर्फबारी के बीच श्रद्धालु कर रहे हैं दर्शन, 32 हजार तीर्थ यात्री कर चुके हैं दर्शन

बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद लगातार बर्फबारी और बारिश हो रही है, जिससे धाम में यात्रियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Snowfall in kedar nath
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Published : May 14, 2019, 3:51 PM IST

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा अपने चरम पर है, लेकिन यात्रा के दौरान यात्रियों को मौसम की मार झेलनी पड़ रही है, जिससे यात्रियों को पैदल मार्ग पर ग्लेशियर और बर्फ होने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ का कपाट 9 मई को खुला है.

बर्फबारी के बीच श्रद्धालु बाबा के कर रहे हैं दर्शन

मिली जानकारी के मुताबिक, धाम में अभी तक 32 हजार तीर्थ यात्री बाबा के दर्शन कर चुके हैं. कपाट खुलने के बाद से केदारनाथ धाम में लगातार बर्फबारी और बारिश हो रही है. जिस कारण श्रद्धालुओं को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम: हेलीकॉप्टर की गर्जना से गिर सकते हैं ग्लेशियर, SDRF को किया गया अलर्ट

केदारनाथ मंदिर से सरस्वती नदी तक आधा किमी के दायरे में रास्ता तो पचास मीटर चौड़ा है, लेकिन इस रास्ते पर बर्फबारी और बारिश से बचने के लिये कहीं भी रैन बसेरे की सुविधा नहीं है. पैदल मार्ग पर जहां-जहां ग्लेशियर बने हैं, वहां-वहां पैदल मार्ग पर फिसलन बढ़ गई है. अधिकांश यात्री घोड़े-खच्चरों से गिरकर भी चोटिल हो रहे हैं.

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा अपने चरम पर है, लेकिन यात्रा के दौरान यात्रियों को मौसम की मार झेलनी पड़ रही है, जिससे यात्रियों को पैदल मार्ग पर ग्लेशियर और बर्फ होने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ का कपाट 9 मई को खुला है.

बर्फबारी के बीच श्रद्धालु बाबा के कर रहे हैं दर्शन

मिली जानकारी के मुताबिक, धाम में अभी तक 32 हजार तीर्थ यात्री बाबा के दर्शन कर चुके हैं. कपाट खुलने के बाद से केदारनाथ धाम में लगातार बर्फबारी और बारिश हो रही है. जिस कारण श्रद्धालुओं को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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केदारनाथ मंदिर से सरस्वती नदी तक आधा किमी के दायरे में रास्ता तो पचास मीटर चौड़ा है, लेकिन इस रास्ते पर बर्फबारी और बारिश से बचने के लिये कहीं भी रैन बसेरे की सुविधा नहीं है. पैदल मार्ग पर जहां-जहां ग्लेशियर बने हैं, वहां-वहां पैदल मार्ग पर फिसलन बढ़ गई है. अधिकांश यात्री घोड़े-खच्चरों से गिरकर भी चोटिल हो रहे हैं.

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