रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज विधि-विधान के साथ खोल दिये गये. पौराणिक परंपराओं के साथ जय-शंकर, जय बाबा मद्महेश्वर के उदघोषों के साथ ग्रीष्मकाल के लिए आज बाबा के कपाट खोले गये हैं.
लॉकडाउन के कारण भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने के मौके पर इस बार कोई श्रद्धालु नहीं पहुंच सका. इस मौके पर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, हक-हकूकधारी और तहसील प्रशासन के कर्मचारी ही मौजूद रहे. जिन्होंने कपाट खुलने और डोली के धाम पहुंचने तक सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया.
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आज प्रातः पांच बजकर पंद्रह मिनट पर भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौंडार गांव से रवाना हुई. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचटटी होते हुए दस बजकर बीस मिनट पर देव दर्शनी बुग्यालों में पहुंची.
लोक मान्यताओं के अनुसार देव डोलियों को कैलाशी मखमली बुग्याल अति प्रिय लगते हैं. जिसके कारण डोली ने यहां पर करीब आधा घंटा विश्राम किया. जिसके बाद भगवान मद्महेश्वर की डोली धाम के लिए रवाना हुई.
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11 बजे भगवान मद्महेश्वर की डोली मंदिर परिसर में पहुंची. जिसके बाद भगवान की डोली ने मंदिर परिसर में स्थित पौराणिक बर्तनों का भी निरीक्षण किया. मंदिर की एक परिक्रमा के बाद वैदिक मंत्रोच्चार, शंख ध्वनि और पौराणिक परंपरा के साथ मंदिर के कपाट खोले गए.
इस अवसर पर पंडित विनोद जमलोकी ने हवन कर विश्व शांति की कामना की. डोली के साथ चल रहे श्रद्धालुओं ने भी भगवान मद्महेश्वर के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया.