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ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर डोली आगमन पर हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु ने पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो गयी.

रुद्रप्रयाग
द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर
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Published : Nov 22, 2020, 9:41 PM IST

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ की सीमांत ग्राम पंचायत गौण्डार से लगभग दस किमी दूर हिमालय श्रृंखला के मध्य विराजमान भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो गयी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य के भागी बने. सोमवार से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

आज मद्महेश्वर घाटी के गिरीया गांव में प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मद्महेश्वर सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाहन किया और आरती उतारी. उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों के निर्वाण दर्शन कर विश्व कल्याण की कामना की. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना हुई.

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मंगोलचारी पहुंचीं तो रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग, सैकड़ों श्रद्धालुओं, मराठा रेजीमेंट व स्थानीय ने वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से डोली की अगुवाई की. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर संपूर्ण भूभाग बाबा मद्महेश्वर के जयकारों से गुंजायमान हो उठा. पौराणिक परंपराओं के अनुसार मंगोली के ग्रामीणों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सामूहिक अर्घ्य अर्पित किया तथा केदार लिंग ने डोली पर सोने का छत्र चढ़ाकर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ब्राह्मणखोली आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया तथा कस्तोरा नामक स्थान पर डोली की विशेष पूजा-अर्चना की गयी.

ये भी पढ़ें: विस अध्यक्ष क पुत्री की सगाई में महाराष्ट्र के राज्यपाल सहित कई गणमान्य हुए शामिल

डंगवाडी गांव में डोली उत्सव आगमन पर ग्रामीणों ने भी अर्घ्य अर्पित किया. दोपहर ढाई बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओकारेश्वर मन्दिर पहुंचने पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया. इसके साथ ही भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हुई. उसके बाद रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदारलिंग ने मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग का छः माह तीर्थ में रहने का संकल्प तोड़ा.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर परंपरा अनुसार भगवान बूढ़ा मद्महेश्वर के पुष्पक विमान ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिये, वर्ष भर में वैशाखी पर्व व भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन सहित सिर्फ दो दिन ही बूढ़ा मद्महेश्वर दर्शन होने की परंपरा है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ज्यो ही शीतकालीन गद्दी स्थल में विराजमान हुई तो डोली से उत्सव मूर्तियों को बूढ़ा मद्महेश्वर के पुष्पक विमान में विराजमान कर केदार लिंग ने विशेष पूजा-अर्चना की गई और पुष्पक विमान ने ओकारेश्वर मन्दिर की पांच परिक्रमा कर अपने तप स्थान पर विराजमान हुए.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड द्वारा ओंकारेश्वर मन्दिर को अनेक प्रकार के पुष्पों से सजाया गया था. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों व ग्रामीणों में भारी उत्साह देखा गया.

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ की सीमांत ग्राम पंचायत गौण्डार से लगभग दस किमी दूर हिमालय श्रृंखला के मध्य विराजमान भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान हो गयी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पुण्य के भागी बने. सोमवार से भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी.

आज मद्महेश्वर घाटी के गिरीया गांव में प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत भगवान मद्महेश्वर सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाहन किया और आरती उतारी. उसके बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों के निर्वाण दर्शन कर विश्व कल्याण की कामना की. इसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना हुई.

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली मंगोलचारी पहुंचीं तो रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदार लिंग, सैकड़ों श्रद्धालुओं, मराठा रेजीमेंट व स्थानीय ने वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों से डोली की अगुवाई की. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के मंगोलचारी पहुंचने पर संपूर्ण भूभाग बाबा मद्महेश्वर के जयकारों से गुंजायमान हो उठा. पौराणिक परंपराओं के अनुसार मंगोली के ग्रामीणों ने भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को सामूहिक अर्घ्य अर्पित किया तथा केदार लिंग ने डोली पर सोने का छत्र चढ़ाकर क्षेत्र के खुशहाली की कामना की. भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ब्राह्मणखोली आगमन पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया तथा कस्तोरा नामक स्थान पर डोली की विशेष पूजा-अर्चना की गयी.

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डंगवाडी गांव में डोली उत्सव आगमन पर ग्रामीणों ने भी अर्घ्य अर्पित किया. दोपहर ढाई बजे भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओकारेश्वर मन्दिर पहुंचने पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर डोली का भव्य स्वागत किया. इसके साथ ही भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हुई. उसके बाद रावल भीमाशंकर लिंग के प्रतिनिधि केदारलिंग ने मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग का छः माह तीर्थ में रहने का संकल्प तोड़ा.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर परंपरा अनुसार भगवान बूढ़ा मद्महेश्वर के पुष्पक विमान ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिये, वर्ष भर में वैशाखी पर्व व भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन सहित सिर्फ दो दिन ही बूढ़ा मद्महेश्वर दर्शन होने की परंपरा है. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ज्यो ही शीतकालीन गद्दी स्थल में विराजमान हुई तो डोली से उत्सव मूर्तियों को बूढ़ा मद्महेश्वर के पुष्पक विमान में विराजमान कर केदार लिंग ने विशेष पूजा-अर्चना की गई और पुष्पक विमान ने ओकारेश्वर मन्दिर की पांच परिक्रमा कर अपने तप स्थान पर विराजमान हुए.

भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड द्वारा ओंकारेश्वर मन्दिर को अनेक प्रकार के पुष्पों से सजाया गया था. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर देव स्थानम बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों व ग्रामीणों में भारी उत्साह देखा गया.

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