ETV Bharat / state

गुफा ध्वस्त करना साधु संतों का काम नहीं: ललित राम दास

स्वामी ललित राम दास ऐसे साधु हैं, जो 12 माह केदारनाथ में रहते हैं. कपाट बंद होने पर वह तपस्या में लीन रहते हैं. इस साल वह वासुकीताल जाने के लिए साधु संतों के साथ निकले थे, मगर पांच किमी के बाद आठ फीट बर्फ रास्ते में पड़ने से साधु-संतों का काफिला वापस लौट आया.

author img

By

Published : Jul 16, 2020, 7:25 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 8:44 PM IST

ललित राम दास
ललित राम दास

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में अभिरामदास महाराज के शिष्य ललित राम दास 12 माह धाम में रहकर योग साधना करते हैं, जो केदारनाथ के पास रामानंद आश्रम में रहते हैं. रामानंद आश्रम के ऊपर की ओर पहाड़ी में ध्यान गुफा के पास एक अन्य गुफा है, जहां वह ध्यान करते हैं. उस गुफा ध्वस्त करने का आरोप उन पर लगा है, जिसे उन्होंने निराधार बताते हुए कहा कि साधु संतों का काम गुफा ध्वस्त करने का नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर विश्व कल्याण की कामना भगवान से करना है.

दरअसल, पिछले दिनों केदारनाथ धाम में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत गुफा के भीतर निर्माण कार्य चल रहा था. गुफा के भीतर भवन बनाया जा रहा था, जिसका साधु संतों ने विरोध करते हुए काम को रुकवा दिया. निर्माण कार्य में जो ईंट लगाई गई थी उसे भी हटा दिया गया है. जिसका आरोप साधु संतों के ऊपर लगा था.

पढ़ें- गंगा स्कैप चैनल विवाद: हरदा बोले- उनके पत्र से बौखला गई है त्रिवेंद्र सरकार

इस मामले में अब अभिरामदास महाराज के शिष्य ललित राम दास ने कहा कि केदारनाथ में ध्यान गुफा के पास एक ओर गुफा है, जिसको ध्वस्त नहीं, बल्कि उसको पौराणिक स्वरूप में लाया गया है. यदि गुफा को भी कमरें की तरह बनाया जाय, तो वह गुफा नहीं रह जाती है. इसलिए गुफा को पौराणिक स्वरूप में बदला गया था और ऐसा करने पर उनके खिलाफ गलत प्रचार किया गया. जिसका साधु संत समाज विरोध करते हैं. इस गुफा में 22 साल पहले संत समाज के ज्ञान दास ने निरंतर तपस्या की थी.

ललित राम दास ने कहा कि सांधु संतों की ऊर्जा समाज के विकास और नई ऊर्जा देने के लिए होती है. केदारनाथ में जो गुफाएं हैं उनमें पौराणिक काल से साधु संत तपस्या करते आये हैं. इन गुफाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पौराणिक स्वरूप देकर भव्य बनाया जा रहा है, मगर गुफा का ध्वस्त करने जैसा प्रचार करने से साधु संतों को ठेस पहुंची है. इन गुफाओं को पौराणिक लुक देकर ध्यान व तपस्या के लिए ठीक किया जा रहा है.

पढ़ें- उत्तरकाशी प्रशासन के लिए नई पहेली, किसने खोदी वरुणावत पर्वत की तलहटी?

बता दें कि स्वामी ललित राम दास ऐसे साधु हैं, जो 12 माह केदारनाथ में रहते हैं. कपाट बंद होने पर वह तपस्या में लीन रहते हैं. इस साल वह वासुकीताल जाने के लिए साधु संतों के साथ निकले थे, मगर पांच किमी के बाद आठ फीट बर्फ रास्ते में पड़ने से साधु संतों का काफिला वापस लौट आया. उन्होंने कहा कि यदि रास्ते से बर्फ हटती है तो वह वासुकीताल पहुंचकर तपस्या व ध्यान करेंगे.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में अभिरामदास महाराज के शिष्य ललित राम दास 12 माह धाम में रहकर योग साधना करते हैं, जो केदारनाथ के पास रामानंद आश्रम में रहते हैं. रामानंद आश्रम के ऊपर की ओर पहाड़ी में ध्यान गुफा के पास एक अन्य गुफा है, जहां वह ध्यान करते हैं. उस गुफा ध्वस्त करने का आरोप उन पर लगा है, जिसे उन्होंने निराधार बताते हुए कहा कि साधु संतों का काम गुफा ध्वस्त करने का नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देकर विश्व कल्याण की कामना भगवान से करना है.

दरअसल, पिछले दिनों केदारनाथ धाम में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत गुफा के भीतर निर्माण कार्य चल रहा था. गुफा के भीतर भवन बनाया जा रहा था, जिसका साधु संतों ने विरोध करते हुए काम को रुकवा दिया. निर्माण कार्य में जो ईंट लगाई गई थी उसे भी हटा दिया गया है. जिसका आरोप साधु संतों के ऊपर लगा था.

पढ़ें- गंगा स्कैप चैनल विवाद: हरदा बोले- उनके पत्र से बौखला गई है त्रिवेंद्र सरकार

इस मामले में अब अभिरामदास महाराज के शिष्य ललित राम दास ने कहा कि केदारनाथ में ध्यान गुफा के पास एक ओर गुफा है, जिसको ध्वस्त नहीं, बल्कि उसको पौराणिक स्वरूप में लाया गया है. यदि गुफा को भी कमरें की तरह बनाया जाय, तो वह गुफा नहीं रह जाती है. इसलिए गुफा को पौराणिक स्वरूप में बदला गया था और ऐसा करने पर उनके खिलाफ गलत प्रचार किया गया. जिसका साधु संत समाज विरोध करते हैं. इस गुफा में 22 साल पहले संत समाज के ज्ञान दास ने निरंतर तपस्या की थी.

ललित राम दास ने कहा कि सांधु संतों की ऊर्जा समाज के विकास और नई ऊर्जा देने के लिए होती है. केदारनाथ में जो गुफाएं हैं उनमें पौराणिक काल से साधु संत तपस्या करते आये हैं. इन गुफाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पौराणिक स्वरूप देकर भव्य बनाया जा रहा है, मगर गुफा का ध्वस्त करने जैसा प्रचार करने से साधु संतों को ठेस पहुंची है. इन गुफाओं को पौराणिक लुक देकर ध्यान व तपस्या के लिए ठीक किया जा रहा है.

पढ़ें- उत्तरकाशी प्रशासन के लिए नई पहेली, किसने खोदी वरुणावत पर्वत की तलहटी?

बता दें कि स्वामी ललित राम दास ऐसे साधु हैं, जो 12 माह केदारनाथ में रहते हैं. कपाट बंद होने पर वह तपस्या में लीन रहते हैं. इस साल वह वासुकीताल जाने के लिए साधु संतों के साथ निकले थे, मगर पांच किमी के बाद आठ फीट बर्फ रास्ते में पड़ने से साधु संतों का काफिला वापस लौट आया. उन्होंने कहा कि यदि रास्ते से बर्फ हटती है तो वह वासुकीताल पहुंचकर तपस्या व ध्यान करेंगे.

Last Updated : Jul 16, 2020, 8:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.