रुद्रप्रयाग: जिलाधिकारी मयूर दीक्षित दूरस्थ गांवों का धरातलीय भ्रमण करने के साथ ही बीडीसी बैठकों एवं सरकार जनता के द्वार कार्यक्रम के जरिये सीधे जनता से संवाद कर रहे हैं. इस कड़ी में जिलाधिकारी की ओर से एक अभिनव पहल (Rudraprayag DM took a unique initiative) की गई है, जिसका मकसद सरकारी धन का दुरूपयोग होने से बचाना है. डीएम सभी अधिकारियों के साथ एक ही बस में सवार (DM officers all in one bus) होकर बीडीसी बैठकों में पहुंच रहे हैं. डीएम की इस मुहिम की जिले भर में जमकर तारिफ हो रही है.
बता दें कि इससे पहले भी डीएम रुद्रप्रयाग विकासखण्ड ऊखीमठ के दूरस्थ क्षेत्र में आयोजित शिविर में सभी अधिकारियों के साथ बस में सवार होकर गए थे. बुधवार को भी एक बार फिर से जिलाधिकारी ऊखीमठ में आयोजित बीडीसी बैठक में सभी अधिकारियों को साथ लेकर एक ही बस से रवाना हुये. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मुताबिक, एक ही वाहन में सवार होने से सभी अधिकारी आपस में सामांजस्य से कार्य कर सकते हैं. साथ ही सरकारी धन की भी बचत होगी. यदि सभी अधिकारी अपने अलग-अलग वाहनों से पहुंचते हैं तो सरकारी तेल की अत्यधिक आपूर्ति होगी. साथ ही कई अन्य दिक्कतें भी सामने आएंगी. ऐसे में एक ही बस में सवार होकर सभी अधिकारी बैठक में जा सकते हैं.
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उन्होंने कहा इससे पूर्व दूरस्थ क्षेत्र में मनसूना में भी एक ही बस में सवार होकर सभी अधिकारी गये थे. आने वाले समय में भी इसी तरह से सफर किया जायेगा. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित (Rudraprayag District Magistrate Mayur Dixit) ने कहा कि कई बार दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय नहीं पहुंच पाते हैं, जबकि कई बार भारी खर्चा करके ग्रामीण जिला मुख्यालय तो पहुंच जाते हैं, लेकिन अधिकारियों के न मिलने के कारण उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाता. ऐसे में दूरस्थ क्षेत्रों में लगाये जाने वाले शिविरों, बीडीसी बैठकों व तहसील दिवसों में जनता अपनी समस्या से अधिकारियों को अवगत करा सकती है.
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मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार, जिला विकास अधिकारी मनविन्दर कौर व जिला उद्यान अधिकारी योगेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि एक ही बस में सवार होकर सभी अधिकारियों के बैठकों व शिविरों में जाने से सरकारी धन की बचत होगी. साथ ही इससे आपसी समन्वय भी बना रहेगा. अधिकारी अपने-अपने काम-काजों में व्यस्त रहते हैं. इस तरह एक बस में सवार होकर बैठकों में जाने के दौरान समस्याओं पर चर्चा कर सकते हैं. ऐसे में सरकारी विभागों में सामंजस्य भी बना रहेगा और पेट्रोल-डीजल की कम खपत होगी. जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा.