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कभी पिता क्रिकेट खेलने से मना करते थे, आज उत्तराखंड की टीम में शामिल हुई गुंजन

रुद्रप्रयाग जिले के दूरस्थ गांव की रहने वाली गुंजन का उत्तराखंड की महिला क्रिकेट टीम में चयन हुआ है. इस दिनों गुंजन पुणे में अभ्यास कर रही हैं. उनका पहला मैच जल्द ही मुंबई से होने वाला है.

Gunjan
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Published : Oct 26, 2021, 5:01 PM IST

रुद्रप्रयाग: अगर आप में कुछ करने की चाहत है तो आप कभी भी परिस्थितियों के गुलाम नहीं बन सकते हैं, बल्कि परिस्थितियां आपकी गुलाम होती हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, रुद्रप्रयाग जिले के दूरस्थ इलाके की रहने वाली गुंजन ने. दूरस्थ गांव मक्कूमठ की रहने वाली गुंजन का उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में चयन हुआ है.

पहाड़ के अंतिम छोर पर रहने वाली गुंजन ने साबित कर दिया कि यदि मन में कुछ पाने की इच्छा हो तो व्यक्ति हर परिस्थिति से लड़ जाता और अपना मुकाम हासिल करता है. गुंजन को शुरू से ही क्रिकेट खेलने का जुनून था, लेकिन बेटी का ये जुनून पिता को पसंद नहीं था. हालांकि बेटी की जिद के आगे पिता भी हार गए थे और उन्होंने गुंजन को क्रिकेट खेलने दिया.

पढ़ें- बागेश्वर की बेटी प्रेमा रावत का उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में चयन

गुंजन के पिता गोपाल भण्डारी वर्तमान में नागनाथ पोखरी में कोषाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. माता रोशनी देवी गृहणी हैं. गुंजन तीन-भाई बहन हैं. गुंजन सबसे छोटी है. गुंजन की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. बड़ा भाई बीटेक कर चुका है. गुंजन उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल हुई हैं.

फिलहाल गुंजन पुणे (महाराष्ट्र) में अभ्यास कर रही हैं. 31 अक्टूबर को टीम अपना पहला एक दिवसीय मैच मुम्बई के साथ खेलेगी. गुंजन का क्रिकेट का सफर अपने गांव से ही शुरू हुआ था. गुंजन मोहल्ले के लड़कों के साथ ही खेला करती थी. बाद में परिवार वाले उस पर पढ़ाई का दबाव बनाने लगे. वहीं लड़कों के बीच अकेली लड़की के खेलने के कारण भी परिवार वालों ने गुंजन को क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था. फिर भी कभी-कभी अपनी सहेली को साथ लेकर क्रिकेट खेलने आ जाती. परन्तु पिता के कहने पर पहले पढ़ाई फिर खेल को वरीयता देते हुए पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गई.

पढ़ें- उत्तराखंड की बेटी स्नेह राणा क्रिकेट में बिखेर रहीं जलवा, कहा- देवभूमि में प्रतिभा की कमी नहीं

पढ़ाई पूरी करते ही उसने फिर से क्रिकेट खेलने की जिद की. मजबूर होकर पिता को भी सहमति देनी पड़ी. गुंजन का बचपन अगस्त्यमुनि में ही बीता. प्राथमिक शिक्षा ब्लूमिंग बड्स ग्रामर स्कूल में हुई. हाईस्कूल एवं इंटर गौरी मेमोरियल इण्टर कॉलेज से किया. उसके बाद विद्यापीठ गुप्तकाशी से फार्मेसी का डिप्लोमा लिया. वर्ष 2019 में डिप्लोमा पूर्ण होने के बाद से गुंजन पूरी तरह से क्रिकेट में रम गईं.

पिता के मना करने के बाबजूद भी गुंजन का चोरी-छिपे क्रिकेट खेलना चलता रहा. वर्ष 2019 से तो वो क्रिकेट के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गईं. परिजनों ने बताया कि वर्ष 2017 का महिला क्रिकेट विश्व कप उनके लिए एक टर्निंग प्वाइंट रहा. विश्व कप में भारत, इंग्लैण्ड से हार गया था, जो गुंजन के लिए एक सदमे से कम नहीं था.

गुंजन का सपना है कि वे एक दिन भारतीय महिला टीम का हिस्सा बनकर इंग्लैण्ड से बदला लेगी. क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड द्वारा आयोजित ट्रायल के लिए जब गुंजन को देहरादून बुलाया गया तो कोच सचिन सैनी ने उनके खेल को देखा और उसे विधिवत अभ्यास के लिए बुलाया. यहीं गुंजन का खेल निखरने लगा, जिसका परिणाम आज सबके सामने है और उसका उत्तराखंड महिला में चयन हुआ है.

रुद्रप्रयाग: अगर आप में कुछ करने की चाहत है तो आप कभी भी परिस्थितियों के गुलाम नहीं बन सकते हैं, बल्कि परिस्थितियां आपकी गुलाम होती हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, रुद्रप्रयाग जिले के दूरस्थ इलाके की रहने वाली गुंजन ने. दूरस्थ गांव मक्कूमठ की रहने वाली गुंजन का उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में चयन हुआ है.

पहाड़ के अंतिम छोर पर रहने वाली गुंजन ने साबित कर दिया कि यदि मन में कुछ पाने की इच्छा हो तो व्यक्ति हर परिस्थिति से लड़ जाता और अपना मुकाम हासिल करता है. गुंजन को शुरू से ही क्रिकेट खेलने का जुनून था, लेकिन बेटी का ये जुनून पिता को पसंद नहीं था. हालांकि बेटी की जिद के आगे पिता भी हार गए थे और उन्होंने गुंजन को क्रिकेट खेलने दिया.

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गुंजन के पिता गोपाल भण्डारी वर्तमान में नागनाथ पोखरी में कोषाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. माता रोशनी देवी गृहणी हैं. गुंजन तीन-भाई बहन हैं. गुंजन सबसे छोटी है. गुंजन की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है. बड़ा भाई बीटेक कर चुका है. गुंजन उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल हुई हैं.

फिलहाल गुंजन पुणे (महाराष्ट्र) में अभ्यास कर रही हैं. 31 अक्टूबर को टीम अपना पहला एक दिवसीय मैच मुम्बई के साथ खेलेगी. गुंजन का क्रिकेट का सफर अपने गांव से ही शुरू हुआ था. गुंजन मोहल्ले के लड़कों के साथ ही खेला करती थी. बाद में परिवार वाले उस पर पढ़ाई का दबाव बनाने लगे. वहीं लड़कों के बीच अकेली लड़की के खेलने के कारण भी परिवार वालों ने गुंजन को क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था. फिर भी कभी-कभी अपनी सहेली को साथ लेकर क्रिकेट खेलने आ जाती. परन्तु पिता के कहने पर पहले पढ़ाई फिर खेल को वरीयता देते हुए पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गई.

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पढ़ाई पूरी करते ही उसने फिर से क्रिकेट खेलने की जिद की. मजबूर होकर पिता को भी सहमति देनी पड़ी. गुंजन का बचपन अगस्त्यमुनि में ही बीता. प्राथमिक शिक्षा ब्लूमिंग बड्स ग्रामर स्कूल में हुई. हाईस्कूल एवं इंटर गौरी मेमोरियल इण्टर कॉलेज से किया. उसके बाद विद्यापीठ गुप्तकाशी से फार्मेसी का डिप्लोमा लिया. वर्ष 2019 में डिप्लोमा पूर्ण होने के बाद से गुंजन पूरी तरह से क्रिकेट में रम गईं.

पिता के मना करने के बाबजूद भी गुंजन का चोरी-छिपे क्रिकेट खेलना चलता रहा. वर्ष 2019 से तो वो क्रिकेट के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गईं. परिजनों ने बताया कि वर्ष 2017 का महिला क्रिकेट विश्व कप उनके लिए एक टर्निंग प्वाइंट रहा. विश्व कप में भारत, इंग्लैण्ड से हार गया था, जो गुंजन के लिए एक सदमे से कम नहीं था.

गुंजन का सपना है कि वे एक दिन भारतीय महिला टीम का हिस्सा बनकर इंग्लैण्ड से बदला लेगी. क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड द्वारा आयोजित ट्रायल के लिए जब गुंजन को देहरादून बुलाया गया तो कोच सचिन सैनी ने उनके खेल को देखा और उसे विधिवत अभ्यास के लिए बुलाया. यहीं गुंजन का खेल निखरने लगा, जिसका परिणाम आज सबके सामने है और उसका उत्तराखंड महिला में चयन हुआ है.

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