रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता में ईको पर्यटन विकास समिति के सहयोग से स्थानीय घोड़े खच्चर संचालकों ने घोड़ा-खच्चर मालिक संगठन चोपता तुंगनाथ का गठन किया है. संगठन का गठन होने से अब तुंगनाथ व चन्द्रशिला जाने वाले तीर्थ यात्रियों व सैनानियों को अब मुंह मांगी रकम नहीं देनी पड़ेगी. अब निर्धारित दरों पर घोड़े-खच्चर प्राप्त हो सकेंगे. साथ ही सभी घोड़े-खच्चर संचालकों को समान आय अर्जित हो सकती है.
घोड़ा खच्चर मालिक संगठन के अध्यक्ष वीरबल सिंह चौहान ने बताया कि संगठन द्वारा तुंगनाथ व चन्द्र शिला की दरें निर्धारित की गयी हैं. प्रत्येक तीर्थ यात्री को तुंगनाथ धाम घोड़े-खच्चर से आने जाने के लिए ₹1100 अदा करनें होंगे. चन्द्रशिला जाने पर प्रति घंटा ₹100 अतिरिक्त भुगतान करना होगा.
ईको पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि घोड़ा-खच्चर संगठन का गठन होने से तुंगनाथ व चन्द्र शिला जाने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. ईको पर्यटन विकास समिति, व्यापार मण्डल, जीप टैक्सी यूनियन व घोड़े खच्चर मालिक संगठन का मुख्य उद्देश्य चोपता-तुंगनाथ पैदल मार्ग के प्राकृतिक सौन्दर्य को यथावत रखना और तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को बेहतर सुविधा देना है.
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नियम उल्लंघन करने पर निरस्त होगा पंजीकरण: उन्होंने बताया कि संगठन ने एक घोड़े खच्चर के साथ एक संचालक की व्यवस्था को अनिवार्य किया है. उल्लंघन करने पर घोड़े खच्चर मालिक का पंजीकरण निरस्त किया जायेगा. सभी घोड़ा खच्चर संचालकों को तीर्थ यात्रियों व सैलानियों के साथ सौहार्द पूर्व व्यवहार की सलाह दी गयी है. तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को बेहतर सुविधा देना संगठन का मुख्य उद्देश्य रहेगा.
पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी: संगठन की ओर से पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. संगठन में 100 से अधिक घोड़े-खच्चर संचालक शामिल हैं. संगठन की ओर से भविष्य में तुंगनाथ व चन्द्र शिला जाने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को और भी बेहतर सुविधा देने पर भी मंथन किया जा रहा है.
बता दें, इससे पहले तुंगनाथ व चन्द्रशिला जाने वाले तीर्थ यात्रियों व सैलानियों को घोड़े-खच्चरों की मुंह मांगी रकम अदा करनी पड़ती थी, जिसका संज्ञान लेते हुए साल 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने स्थानीय घोड़े-खच्चर संचालकों को यूनियन का गठन कर तुंगनाथ व चन्द्रशिला की दरें निर्धारित करने की सलाह दी थी, जिसका संज्ञान लेते हुए ईको पर्यटन विकास समिति के सहयोग से घोड़े-खच्चर मालिक संगठन का गठन किया गया है.