ETV Bharat / state

रुप्रयाग: घाटों की सफाई के लिए पालिका ने शासन से मांग 60 लाख रुपये - रुद्रप्रयाग हिंदी समाचार

अलकनंदा और मंदाकिनी नदी किनारे नमामि गंगे योजना के तहत घाट बनाए गए हैं. बारिश के बाद इन घाटों पर मलबा और रेत जम गया है. वहीं, नगर पालिका बजट के अभाव में इसे साफ नहीं करवा पा रही है और शासन को बजट का स्टीमेट बना कर भेजा है.

Rudraprayag
नगर पालिका ने शासन से की बजट की मांग
author img

By

Published : Oct 10, 2020, 11:54 AM IST

रुद्रप्रयाग: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए घाट किसी भी उपयोग में नहीं आ रहे हैं. बरसात के बाद से अधिकांश घाट मलबे और रेत से पट गए हैं. ऐसे स्थानीय व्यक्ति या फिर कोई भी पर्यटक इन घाटों का रूख नहीं कर रहा है. करोड़ों की लागत से बनाये गए घाटों की दुर्दशा हो रही है. वहीं, अब नगर पालिका के पास हर साल इन घाटों की सफाई कराने के लिये धनराशि भी नहीं है. लिहाजा, पालिका ने शासन से 60 लाख रुपये की डिमांड की है.

नगर पालिका ने शासन से की बजट की मांग

दरअसल, साल 2017 में नमामि गंगे योजना के तहत रुद्रप्रयाग में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी किनारे करोड़ों रुपये की लागत से घाटों का निर्माण किया गया था. घाट नदी से सटकर बनाये गये हैं. ऐसे में बरसाती सीजन में यह घाट जलमग्न हो जाते हैं और पूरे दो से तीन माह तक ये घाट नदी में डूबे रहते हैं.

ये भी पढ़ें: खटीमा: सैलानी गोठ में बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन, क्षेत्रवासियों को बांटे गए राशन किट

वहीं, नदी का पानी कम होने के बाद इन घाटों में रेत और मलबा जमा हो जाता है. इस रेत और मलबे को कई महीनों तक साफ नहीं किया जाता. जिस कारण कोई भी पर्यटक, यात्री या फिर स्थानीय लोग इन घाटों का रूख नहीं करते हैं. जबकि, इन घाटों के निर्माण पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च की गई है, लेकिन ये घाट किसी भी उपयोग में नहीं आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: रुड़की: सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं बिक रहा किसानों का धान, जानिए वजह

नगरपालिका रुद्रप्रयाग के अंडर में अलकनंदा और मंदाकिनी पर बनाये गये पांच घाट हैं, लेकिन पालिका के पास इतना पैसा नहीं है कि वह हर साल बरसात के बाद घाटों में जमा रेत-मलबे को साफ करा सके. वहीं, इस मामले में नगरपालिका की ईओ सीमा रावत का कहना है कि प्रत्येक वर्ष घाटों में बरसात के बाद मलबा और रेत जमा हो जाती है. पालिका के पास इतनी धनराशि नहीं है कि इसे साफ कराया जा सके. इसलिये घाटों की सफाई के लिये शासन को स्टीमेट बनाकर भेजा गया है.

रुद्रप्रयाग: नमामि गंगे योजना के अंतर्गत अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के किनारे बनाए घाट किसी भी उपयोग में नहीं आ रहे हैं. बरसात के बाद से अधिकांश घाट मलबे और रेत से पट गए हैं. ऐसे स्थानीय व्यक्ति या फिर कोई भी पर्यटक इन घाटों का रूख नहीं कर रहा है. करोड़ों की लागत से बनाये गए घाटों की दुर्दशा हो रही है. वहीं, अब नगर पालिका के पास हर साल इन घाटों की सफाई कराने के लिये धनराशि भी नहीं है. लिहाजा, पालिका ने शासन से 60 लाख रुपये की डिमांड की है.

नगर पालिका ने शासन से की बजट की मांग

दरअसल, साल 2017 में नमामि गंगे योजना के तहत रुद्रप्रयाग में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी किनारे करोड़ों रुपये की लागत से घाटों का निर्माण किया गया था. घाट नदी से सटकर बनाये गये हैं. ऐसे में बरसाती सीजन में यह घाट जलमग्न हो जाते हैं और पूरे दो से तीन माह तक ये घाट नदी में डूबे रहते हैं.

ये भी पढ़ें: खटीमा: सैलानी गोठ में बहुउद्देशीय शिविर का आयोजन, क्षेत्रवासियों को बांटे गए राशन किट

वहीं, नदी का पानी कम होने के बाद इन घाटों में रेत और मलबा जमा हो जाता है. इस रेत और मलबे को कई महीनों तक साफ नहीं किया जाता. जिस कारण कोई भी पर्यटक, यात्री या फिर स्थानीय लोग इन घाटों का रूख नहीं करते हैं. जबकि, इन घाटों के निर्माण पर करोड़ों रूपये की राशि खर्च की गई है, लेकिन ये घाट किसी भी उपयोग में नहीं आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: रुड़की: सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं बिक रहा किसानों का धान, जानिए वजह

नगरपालिका रुद्रप्रयाग के अंडर में अलकनंदा और मंदाकिनी पर बनाये गये पांच घाट हैं, लेकिन पालिका के पास इतना पैसा नहीं है कि वह हर साल बरसात के बाद घाटों में जमा रेत-मलबे को साफ करा सके. वहीं, इस मामले में नगरपालिका की ईओ सीमा रावत का कहना है कि प्रत्येक वर्ष घाटों में बरसात के बाद मलबा और रेत जमा हो जाती है. पालिका के पास इतनी धनराशि नहीं है कि इसे साफ कराया जा सके. इसलिये घाटों की सफाई के लिये शासन को स्टीमेट बनाकर भेजा गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.