ETV Bharat / state

भगवती राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागरों का हुआ समापन, दो महीने तक दिखी अदभुत परंपरा

रांसी गांव में स्थित भगवती राकेश्वरी मंदिर में आयोजित जागरों का समापन हो गया है. यह जागर दो महीने तक आयोजित किया गया था. इस मौके पर लोगों ने विश्व कल्याण की कामना की.

rudraprayag news
जागर
author img

By

Published : Sep 17, 2020, 9:35 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 10:41 PM IST

रुद्रप्रयागः मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव में विराजमान भगवती राकेश्वरी मंदिर में विगत दो माह से चल रहे पौराणिक जागरों का समापन दुर्योधन वध, युधिष्ठिर के राजतिलक और भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हो गया है. पौराणिक जागरों के समापन अवसर पर मद्महेश्वर घाटी के दर्जनों गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग कर भगवती राकेश्वरी की पूजा-अर्चना की. साथ ही विश्व कल्याण की कामना की.

rudraprayag news
पौराणिक जागर में नृत्य करते लोग.

दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवती राकेश्वरी मंदिर में सावन मास की संक्रांति से लेकर आश्विन की माह की दो गते तक पौराणिक जागरों के माध्यम से 33 कोटि देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान किया जाता है. इसी परंपरा के तहत इस साल भी सावन मास की सक्रांति से पौराणिक जागर शुरू किए गए थे, जिसका समापन भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हुआ.

पौराणिक जागरों का हुआ समापन.

दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों में पृथ्वी की उत्पत्ति, कृष्ण जन्म, कृष्ण लीला, कंस वध, शिव पार्वती उत्पत्ति, शिव पार्वती विवाह आदि लीलाओं व महिमा का गुणगान किया जाता है. जागरों के अंत में कौरव-पाण्डवों की उत्पत्ति, महाभारत युद्ध, दुर्योधन वध, युधिष्ठिर का राज्यभिषेक का गुणगान भी किया जाता है. पांडवों के स्वर्ग गमन की महिमा के साथ ही पौराणिक जागरों का समापन किया जाता है.

rudraprayag news
नंगे पांव 14 हजार फीट की ऊंचाई से बह्मकमल लेकर आए श्रद्धालु.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार: सीएम त्रिवेंद्र ने पूजा-अर्चना के बाद पवित्र छड़ी यात्रा को किया रवाना

पौराणिक जागरों के गायन में रोजाना हरिद्वार से लेकर चौखंबा तक सभी देवी-देवताओं की स्तुति की जाती है. जागरों का समापन भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ होता है और इस बार श्रद्धालु तीन दिनों का अनुष्ठान रखकर नंगे पांव करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई से परंपरानुसार बह्मकमल लेकर आए. जिसे भगवती राकेश्वरी को अर्पित कर पौराणिक जागरों का समापन हुआ. पौराणिक जागर सावन माह में शुरु होते हैं और आश्विन की दो गते को समापन होता है. राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर के समापन का समय बड़ा मार्मिक होता है. पौराणिक जागरों के गायन से क्षेत्र का वातावरण दो माह तक भक्तिमय बना रहा.

रुद्रप्रयागः मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव में विराजमान भगवती राकेश्वरी मंदिर में विगत दो माह से चल रहे पौराणिक जागरों का समापन दुर्योधन वध, युधिष्ठिर के राजतिलक और भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हो गया है. पौराणिक जागरों के समापन अवसर पर मद्महेश्वर घाटी के दर्जनों गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग कर भगवती राकेश्वरी की पूजा-अर्चना की. साथ ही विश्व कल्याण की कामना की.

rudraprayag news
पौराणिक जागर में नृत्य करते लोग.

दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवती राकेश्वरी मंदिर में सावन मास की संक्रांति से लेकर आश्विन की माह की दो गते तक पौराणिक जागरों के माध्यम से 33 कोटि देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान किया जाता है. इसी परंपरा के तहत इस साल भी सावन मास की सक्रांति से पौराणिक जागर शुरू किए गए थे, जिसका समापन भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ हुआ.

पौराणिक जागरों का हुआ समापन.

दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों में पृथ्वी की उत्पत्ति, कृष्ण जन्म, कृष्ण लीला, कंस वध, शिव पार्वती उत्पत्ति, शिव पार्वती विवाह आदि लीलाओं व महिमा का गुणगान किया जाता है. जागरों के अंत में कौरव-पाण्डवों की उत्पत्ति, महाभारत युद्ध, दुर्योधन वध, युधिष्ठिर का राज्यभिषेक का गुणगान भी किया जाता है. पांडवों के स्वर्ग गमन की महिमा के साथ ही पौराणिक जागरों का समापन किया जाता है.

rudraprayag news
नंगे पांव 14 हजार फीट की ऊंचाई से बह्मकमल लेकर आए श्रद्धालु.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार: सीएम त्रिवेंद्र ने पूजा-अर्चना के बाद पवित्र छड़ी यात्रा को किया रवाना

पौराणिक जागरों के गायन में रोजाना हरिद्वार से लेकर चौखंबा तक सभी देवी-देवताओं की स्तुति की जाती है. जागरों का समापन भगवती राकेश्वरी को बह्मकमल अर्पित करने के साथ होता है और इस बार श्रद्धालु तीन दिनों का अनुष्ठान रखकर नंगे पांव करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई से परंपरानुसार बह्मकमल लेकर आए. जिसे भगवती राकेश्वरी को अर्पित कर पौराणिक जागरों का समापन हुआ. पौराणिक जागर सावन माह में शुरु होते हैं और आश्विन की दो गते को समापन होता है. राकेश्वरी मंदिर में पौराणिक जागर के समापन का समय बड़ा मार्मिक होता है. पौराणिक जागरों के गायन से क्षेत्र का वातावरण दो माह तक भक्तिमय बना रहा.

Last Updated : Sep 17, 2020, 10:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.