रुद्रप्रयागः केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, तहसील प्रशासन एवं तुंगनाथ घाटी के व्यापारियों की चोपता में बैठक हुई. इसमें तुंगनाथ घाटी में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने, निकटवर्ती गांवों में होम स्टे योजना संचालित करने और इको सेंसिटिव जोन का विस्तार निर्धारित सीमा तक करने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई.
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि तुंगनाथ घाटी के सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता को कायम रखने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि तुंगनाथ घाटी के चिलियाखोड़, चोपता चट्टी तथा बनियाकुंड को ईको सेंसिटिव जोन से बाहर रखा जाय, जिससे भविष्य में इन पर्यटक स्थलों का सर्वांगीण विकास हो सके. बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके. इसलिए चोपता-तुंगनाथ चार किमी पैदल मार्ग पर शौचालयों का निर्माण होना चाहिए.
वहीं, तुंगनाथ घाटी के विभिन्न यात्रा पड़ावों पर संचालित ढाबों, होटलों व टेंटों में एकत्रित कूड़े के निस्तारण के लिए महीने में दो बार शुल्क दर पर स्थानीय नगर निकायों के कूड़ा मोबाइल वाहन उपलब्ध किए जाए. व्यापार संघ अध्यक्ष चोपता भूपेन्द्र मैठाणी ने कहा कि ईको सेंसिटिव जोन के सीमा क्षेत्र वासियों को विश्वास में लेकर होनी चाहिए.
ग्राम प्रधान मक्कू विजयपाल नेगी ने कहा कि तुंगनाथ घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को यथावत रखने की सामूहिक पहल होनी चाहिए. पूर्व प्रधान प्रदीप बजवाल ने कहा कि तुंगनाथ घाटी में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलने पर ही तुंगनाथ घाटी के पर्यटन व्यवसाय में इजाफा हो सकता है.
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जयबीर राम बधाणी ने कहा कि तुंगनाथ घाटी के बुग्यालों की सुन्दरता कायम रहने से तुंगनाथ घाटी के पर्यटन व्यवसाय में इजाफा हो सकता है. रेंज अधिकारी ललित मोहन नेगी ने कहा कि सभी को विश्वास में लेकर ईको सेंसिटिव जोन का विस्तार निर्धारित सीमा तक करने का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा जायेगा.