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विकास से कोसो दूर है मनणा माई तीर्थ, पर्यटन से जुड़ने के बाद मद्महेश्वर घाटी का होगा विकास

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Published : Feb 28, 2021, 9:19 PM IST

मनणा माई तीर्थ को यदि विकसित किया जाए तो इससे न सिर्फ मद्महेश्वर घाटी का विकास होगा, बल्कि इस क्षेत्र में कई गांवों में पर्यटन की संभावनाओं को भी बल मिलेगा.

Manana Mai Tirtha
मनणा माई तीर्थ

रुद्रप्रयाग: मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच हिमालय की गोद में बसा मनणा माई तीर्थ विकास का रास्ता ताक रहा है. मनणा माई तीर्थ को विकसित करने की पहल की जाती, तो आज मद्महेश्वर घाटी के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ ही देश-विदेश के सैलानी रांसी गांव से लेकर मनणा माई तीर्थ के बुग्यालों की सुन्दरता से भी रूबरू होते. इस तीर्थ से खाम-केदारनाथ पैदल ट्रैक को भी विकसित किया जा सकता है.

मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान मनणा माई तीर्थ प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. मनणा माई के सनियारा, पटूणी, थौलधार और शीला समुद्र के क्षेत्र में कुखणी, माखुडी, जया, विजया, रातों की रानी सहित अनेक प्रजाति के फूल खिलते हैं.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव कल से शुरू, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल करेंगे शुभारंभ

सनियारा से लेकर मनणा माई तीर्थ तक के भूभाग में दूर-दूर तक फैले मखमली बुग्यालों में साहसिक खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिससे यहां आने वाला सैलानी इन बुग्यालों की सुन्दरता व चैखम्भा के प्रतिबिम्ब को अति निकट से निहार सके.

मनणा माई तीर्थ से खाम-केदारनाथ पैदल ट्रैक पर भी पर्यटन की अपार सम्भावनायें है. मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, प्रधान कुन्ती नेगी, हरेन्द्र खोयाल और रणजीत रावत का कहना है कि रांसी से मनणा माई तीर्थ के भूभाग को यदि साहसिक खेलों व पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता तो यहां पर्यटन कारोबार को गति मिलती. मद्महेश्वर घाटी में होम स्टे योजना को गति मिल सकती है.

पढ़ें- भराड़ीसैंण में जुटे 'माननीय', गैरसैंण में कल से बजट सत्र आहूत

मनणा माई तीर्थ की धार्मिक मान्यता वेद पुराण में वर्णित है कि केदार तीर्थ से तीन योजन की दूरी पर मनणा माई तीर्थ है. इस तीर्थ के दर्शन करने से मानव की हर मनोकामना पूर्ण होती है. स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार भगवती काली ने दैत्यों का वध करने के बाद इस तीर्थ में जगत कल्याण के लिए विराजमान हो गई. मनणा माई पहले भेड़ पालकों की ईष्ट देवी मानी जाती थी. भेड़ पालन व्यवसाय धीरे-धीरे कम होने के कारण वर्तमान समय में रांसी के ग्रामीणों द्वारा बरसात के समय मनणा जात का आयोजन किया जाता है. यह जात पांच से छह दिनों तक चलती है. पैदल मार्ग पर सफर करना बेहद कठिन है. बता दें कि मनणा माई तीर्थ की यात्रा करने के लिए रांसी गांव से गाइड अवश्य साथ लेना चाहिए.

रुद्रप्रयाग: मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच हिमालय की गोद में बसा मनणा माई तीर्थ विकास का रास्ता ताक रहा है. मनणा माई तीर्थ को विकसित करने की पहल की जाती, तो आज मद्महेश्वर घाटी के पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा मिलने के साथ ही देश-विदेश के सैलानी रांसी गांव से लेकर मनणा माई तीर्थ के बुग्यालों की सुन्दरता से भी रूबरू होते. इस तीर्थ से खाम-केदारनाथ पैदल ट्रैक को भी विकसित किया जा सकता है.

मद्महेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 32 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान मनणा माई तीर्थ प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. मनणा माई के सनियारा, पटूणी, थौलधार और शीला समुद्र के क्षेत्र में कुखणी, माखुडी, जया, विजया, रातों की रानी सहित अनेक प्रजाति के फूल खिलते हैं.

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सनियारा से लेकर मनणा माई तीर्थ तक के भूभाग में दूर-दूर तक फैले मखमली बुग्यालों में साहसिक खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिससे यहां आने वाला सैलानी इन बुग्यालों की सुन्दरता व चैखम्भा के प्रतिबिम्ब को अति निकट से निहार सके.

मनणा माई तीर्थ से खाम-केदारनाथ पैदल ट्रैक पर भी पर्यटन की अपार सम्भावनायें है. मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत, प्रधान कुन्ती नेगी, हरेन्द्र खोयाल और रणजीत रावत का कहना है कि रांसी से मनणा माई तीर्थ के भूभाग को यदि साहसिक खेलों व पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता तो यहां पर्यटन कारोबार को गति मिलती. मद्महेश्वर घाटी में होम स्टे योजना को गति मिल सकती है.

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मनणा माई तीर्थ की धार्मिक मान्यता वेद पुराण में वर्णित है कि केदार तीर्थ से तीन योजन की दूरी पर मनणा माई तीर्थ है. इस तीर्थ के दर्शन करने से मानव की हर मनोकामना पूर्ण होती है. स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार भगवती काली ने दैत्यों का वध करने के बाद इस तीर्थ में जगत कल्याण के लिए विराजमान हो गई. मनणा माई पहले भेड़ पालकों की ईष्ट देवी मानी जाती थी. भेड़ पालन व्यवसाय धीरे-धीरे कम होने के कारण वर्तमान समय में रांसी के ग्रामीणों द्वारा बरसात के समय मनणा जात का आयोजन किया जाता है. यह जात पांच से छह दिनों तक चलती है. पैदल मार्ग पर सफर करना बेहद कठिन है. बता दें कि मनणा माई तीर्थ की यात्रा करने के लिए रांसी गांव से गाइड अवश्य साथ लेना चाहिए.

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