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11 मई को खुलेंगे भगवान मद्महेश्वर के कपाट, श्रद्धालुओं को है गाइडलाइन का इंतजार

भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की प्रक्रिया सात मई से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू होगी.

lord madmaheshwar
भगवान मद्महेश्वर
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Published : May 3, 2020, 8:19 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की प्रक्रिया सात मई से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू होगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ से धाम रवाना होने और कपाट खुलने के लिए लोग प्रदेश सरकार की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं.

अगर प्रदेश सरकार की गाइडलाइन यथावत रहती है तो भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को भी सादगी के साथ धाम के लिए रवाना होना पडे़गा. श्रद्धालु बाबा मद्महेश्वर की डोली और धाम के कपाट खुलने के पावन अवसर को नहीं देख पाएंगे.

पढ़ें: देहरादून: बुजुर्गों की मदद को सामने आयी पुलिस, वृद्धा आश्रम को लिया गोद

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सात मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियां शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह से सभा मंडल लाई जाएगी. वहीं आठ मई को स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

नौ मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना होगी. साथ ही विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी. दस मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 11 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जायेंगे.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर के कपाट खुलने की प्रक्रिया सात मई से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू होगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ से धाम रवाना होने और कपाट खुलने के लिए लोग प्रदेश सरकार की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं.

अगर प्रदेश सरकार की गाइडलाइन यथावत रहती है तो भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली को भी सादगी के साथ धाम के लिए रवाना होना पडे़गा. श्रद्धालु बाबा मद्महेश्वर की डोली और धाम के कपाट खुलने के पावन अवसर को नहीं देख पाएंगे.

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पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सात मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियां शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह से सभा मंडल लाई जाएगी. वहीं आठ मई को स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मद्महेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया जायेगा.

नौ मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से रवाना होगी. साथ ही विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी. दस मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर अंतिम रात प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 11 मई को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जायेंगे.

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