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देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी, केदारनाथ धाम के पुरोहितों ने निकाली रैली

देवस्थानम बोर्ड का केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों का विरोध जारी है. शनिवार को बारिश के बीच पुरोहितों ने आंदोलन किया. साथ ही सरकार के विरोध में रैली निकाली.

Kedarnath Dham priests protest
देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी
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Published : Aug 7, 2021, 5:39 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित समाज का आंदोलन जारी है. बता दें कि दो महीने से केदारनाथ धाम में पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करते आ रहे हैं. आज भी बारिश में छाता लेकर तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ रैली निकाली.

देवस्थानम बोर्ड का गठन होने से पूर्व केदारनाथ मंदिर का संचालन बदरी केदार मंदिर समिति करती थी. केदारनाथ की सभी व्यवस्थाएं मंदिर समिति ही देखती थी. सरकार और प्रशासन मंदिर समिति के कार्यों में कम ही हस्तक्षेप करती थी, लेकिन बोर्ड गठन होने के बाद केदारनाथ धाम की सभी व्यवथाएं सरकार और प्रशासन के अधीन आ गयी. बदरी-केदार मंदिर समिति के सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बोर्ड में रखा गया है.

देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अब इस आंदोलन में पुरोहितों के परिजन भी कूद गए हैं. पुरोहितों के गांवों में भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया जा रहा है. बोर्ड के विरोध में पुरोहित कोर्ट की भी शरण ले चुके हैं, लेकिन कोर्ट से भी पुरोहितों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

जिसके बाद से केदारनाथ धाम सहित बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है. तीर्थ पुरोहित कई बार मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों से मुलाकात करके बोर्ड को भंग करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन बोर्ड भंग होने के बजाय बोर्ड का विस्तारीकरण किया जा रहा है. जिसको देखते हुए अब पुरोहितों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है.

तीर्थ पुरोहित सुमंत तिवारी ने कहा कि अब बोर्ड के विरोध को लेकर केदारनाथ धाम में आमरण अनशन किया जाएगा. सरकार पुरोहितों की मांग पर अमल नहीं कर रही है. जिस कारण पुरोहितों में आक्रोश है. बोर्ड का गठन होने से उनके हक-हकूक प्रभावित हो रहे हैं. धाम में वह दशकों से बाबा की सेवा करते आ रहे हैं, लेकिन अब उन्हे सेवा से वंचित रहना पड़ रहा है. सरकार बोर्ड के जरिये मंदिरों की आय को हड़पना चाहती है.

ये भी पढ़ें: ED की जांच में खुलासा, कुंभ में टेस्टिंग लैब्स ने 5.3 की जगह 0.15% दिखाया पॉजिटिविटी रेट

वहीं, तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में कांग्रेस ने भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया. इसके साथ ही प्रदेश में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, बदहाल स्वास्थ्य सहित अन्य मांगों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिला कार्यालय में धरना प्रदर्शन किया.

कांग्रेस जिला प्रवक्ता नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार को देवस्थानम बोर्ड को शीघ्र भंग करना चाहिए. बोर्ड के खिलाफ उत्तराखंड के चारों धामों के पुरोहित लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि चारधाम परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को रोजगार मुहैया होना चाहिए. बिना रोजगार के प्रभावित परेशान हैं.

मनरेगा, सरकारी, गैर सरकारी सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को श्रम विभाग से मिलने वाली सहायता बंद है या आंशिक रूप से मिल रही है. सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कोरोना से प्रदेश की स्थिति बदहाल हो गयी है. लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार की नाकामियों के कारण आम जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है.

कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है, इससे पूर्व जिले की सभी चिकित्सालयों में आवश्यक उपकरण होने चाहिए और पहले से ही सभी तैयारियां की जानी चाहिए, जिससे लोगों की जान बचाई जा सके. सरकार की लापरवाही के कारण 2017 से अभी तक जिले में निवास करने वाले 1695 बीपीएल परिवारों को कन्या धन योजना का लाभ नहीं मिला है.

हर घर सरकार ने नल तो दिए हैं, लेकिन बिना पानी के ये नल सूख गए हैं. सरकार अब इन नलों के लिए पानी की भी व्यवस्था करनी चाहिए. बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर घटिया निर्माण हो रहा है. हाईवे पर हुए कार्यों की पोल पहली ही बरसात में खुल गयी है.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थ पुरोहित समाज का आंदोलन जारी है. बता दें कि दो महीने से केदारनाथ धाम में पुरोहित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग करते आ रहे हैं. आज भी बारिश में छाता लेकर तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ रैली निकाली.

देवस्थानम बोर्ड का गठन होने से पूर्व केदारनाथ मंदिर का संचालन बदरी केदार मंदिर समिति करती थी. केदारनाथ की सभी व्यवस्थाएं मंदिर समिति ही देखती थी. सरकार और प्रशासन मंदिर समिति के कार्यों में कम ही हस्तक्षेप करती थी, लेकिन बोर्ड गठन होने के बाद केदारनाथ धाम की सभी व्यवथाएं सरकार और प्रशासन के अधीन आ गयी. बदरी-केदार मंदिर समिति के सभी अधिकारी-कर्मचारियों को बोर्ड में रखा गया है.

देवस्थानम बोर्ड का विरोध जारी

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अब इस आंदोलन में पुरोहितों के परिजन भी कूद गए हैं. पुरोहितों के गांवों में भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया जा रहा है. बोर्ड के विरोध में पुरोहित कोर्ट की भी शरण ले चुके हैं, लेकिन कोर्ट से भी पुरोहितों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.

जिसके बाद से केदारनाथ धाम सहित बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन जारी है. तीर्थ पुरोहित कई बार मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों से मुलाकात करके बोर्ड को भंग करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन बोर्ड भंग होने के बजाय बोर्ड का विस्तारीकरण किया जा रहा है. जिसको देखते हुए अब पुरोहितों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है.

तीर्थ पुरोहित सुमंत तिवारी ने कहा कि अब बोर्ड के विरोध को लेकर केदारनाथ धाम में आमरण अनशन किया जाएगा. सरकार पुरोहितों की मांग पर अमल नहीं कर रही है. जिस कारण पुरोहितों में आक्रोश है. बोर्ड का गठन होने से उनके हक-हकूक प्रभावित हो रहे हैं. धाम में वह दशकों से बाबा की सेवा करते आ रहे हैं, लेकिन अब उन्हे सेवा से वंचित रहना पड़ रहा है. सरकार बोर्ड के जरिये मंदिरों की आय को हड़पना चाहती है.

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वहीं, तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में कांग्रेस ने भी देवस्थानम बोर्ड का विरोध किया. इसके साथ ही प्रदेश में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, बदहाल स्वास्थ्य सहित अन्य मांगों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिला कार्यालय में धरना प्रदर्शन किया.

कांग्रेस जिला प्रवक्ता नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार को देवस्थानम बोर्ड को शीघ्र भंग करना चाहिए. बोर्ड के खिलाफ उत्तराखंड के चारों धामों के पुरोहित लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि चारधाम परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को रोजगार मुहैया होना चाहिए. बिना रोजगार के प्रभावित परेशान हैं.

मनरेगा, सरकारी, गैर सरकारी सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को श्रम विभाग से मिलने वाली सहायता बंद है या आंशिक रूप से मिल रही है. सरकार को इस दिशा में भी ध्यान देना चाहिए. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कोरोना से प्रदेश की स्थिति बदहाल हो गयी है. लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार की नाकामियों के कारण आम जनता पर महंगाई की मार पड़ रही है.

कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है, इससे पूर्व जिले की सभी चिकित्सालयों में आवश्यक उपकरण होने चाहिए और पहले से ही सभी तैयारियां की जानी चाहिए, जिससे लोगों की जान बचाई जा सके. सरकार की लापरवाही के कारण 2017 से अभी तक जिले में निवास करने वाले 1695 बीपीएल परिवारों को कन्या धन योजना का लाभ नहीं मिला है.

हर घर सरकार ने नल तो दिए हैं, लेकिन बिना पानी के ये नल सूख गए हैं. सरकार अब इन नलों के लिए पानी की भी व्यवस्था करनी चाहिए. बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर घटिया निर्माण हो रहा है. हाईवे पर हुए कार्यों की पोल पहली ही बरसात में खुल गयी है.

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