रुद्रप्रयाग: जिले की मद्महेश्वर घाटी के अन्तर्गत निर्माणाधीन गैड़-गड़गू मोटरमार्ग का काम कछुआ गति से हो रहा है. इसके साथ ही मोटरमार्ग निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. जिस कारण क्षेत्र में कार्यदायी संस्था एनपीसीसी के खिलाफ लोगों में आक्रोश बना हुआ है. क्षेत्र में मोटरमार्ग के ऊपरी हिस्सों में सुरक्षा दीवार का निर्माण न होने से कई मकानों पर खतरा बना हुआ है. ऐसे में ग्रामीणों ने मोटरमार्ग पर हुए व्यय की जांच और शेष कार्य अन्य एजेंसी को दिये जाने की मांग की है.
बता दें एक करोड़ 94 लाख रुपये की लागत से बन रहे गैड़-गड़गू दो किमी. मोटरमार्ग की वित्तीय स्वीकृति वर्ष 2000 में मिली थी. तत्कालीन गढ़वाल सांसद मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूड़ी द्वारा जून 2001 में मोटरमार्ग का विधिवत उद्घाटन भी किया गया था. मोटरमार्ग का निर्माण कार्य शुरू होते ही वन अधिनियम आड़े आने से मार्ग का निर्माण कार्य अधर में लटक गया.
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लम्बा समय बीत जाने के बाद जनप्रतिनिधियों तथा पीएमजीएसवाई के अथक प्रयासों से मोटरमार्ग के निर्माण कार्य में वन अधिनियम हटते ही मार्ग के निर्माण कार्य का जिम्मा एनपीसीसी को दिया गया. एनपीसीसी द्वारा मार्च 2019 में मोटरमार्ग का निर्माण फिर से शुरू किया गया. मगर अब तक ये मार्ग पूरा नहीं बन पाया है. जिसके कारण यहां के ग्रामीण खासे परेशान हैं.
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ग्रामीणों का आरोप है कि मोटरमार्ग के निर्माण कार्य में भारी अनिमितताएं बरती जा रही हैं. निर्माणाधीन मोटरमार्ग के ऊपरी हिस्से में सुरक्षा दीवार का निर्माण न होने से ग्रामीणों के आवासीय मकानों पर खतरा मंडरा रहा है. मोटरमार्ग पर बन रहे स्कवरों की निकासी से भी भविष्य में अन्य मकानों को खतरा हो सकता है.
कार्यदायी संस्था द्वारा मार्ग के निर्माण कार्य में गुणवत्ता को दरकिनार कर लाखों रुपयों के वारे-न्यारे किय जा रहे हैं. मार्ग के निचले हिस्से में पानी की निकासी गलत स्थान पर निकालने से ग्रामीणों के मकानों व काश्तकारों की खेतों को भी भविष्य में भारी नुकसान हो सकता है. जिसका कारण अब ग्रमीण कार्यदायी संस्था के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं.
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वहीं, इस मामले में जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को इस मामले में आदेश जारी किये गये हैं. जिसमें कहा गया है कि मोटरमार्ग की डीपीआर के तहत ही कार्य किये जाये. साथ ही जो भी शिकायतें ग्रामीणों की ओर से की जा रही हैं, उनका तत्काल निस्तारण किया जाये.