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रुद्रप्रयाग: गुरू पूर्णिमा पर साधु-संतों ने किया ये काम, अन्य लोग भी हुए शामिल

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Published : Jul 16, 2019, 9:23 PM IST

रुद्रप्रयाग के कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू पूजन करने आए साधु-संतों ने धूमधाम से इव पर्व को मनाया. साधु-संतो ने अलकनंदा नदी में गंगा स्नान के साथ ही कोटेश्वर महादेव मंदिर में भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कोटेश्वर मंदिर में साधु-संतों ने किया गुरू पूजन.

रुद्रप्रयाग: जिले के प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा दिवस धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जगह-जगह से पहुंचे साधु-संतों ने अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना कर गुरू दक्षिणा दी.

गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों के साथ साधु-संतों ने भी कोटेश्वर में अलकनंदा नदी में गंगा स्नान किया. इसके बाद गुरू पूजन का आयोजन किया गया. इस दौरान कोटेश्वर महादेव का अभिषेक भी किया गया. अभिषेक संपन्न होने के बाद कोटेश्वर महादेव में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ. भजन-कीर्तन में अनेक साधु-संतों ने भाग लिया. इस दौरान गुरू पूजन के लिए दूर-दूर से साधु-संत कोटेश्वर आए.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कोटेश्वर मंदिर में साधु-संतों ने किया गुरू पूजन.

कोटेश्वर महादेव मंदिर के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गुरू का महत्व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ब्यास पूर्णिमा के अवसर पर अपनी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. उन्होंने बतााय कि संन्यास धर्म को देखते हुए सभी महात्मा जन अपने-अपने गुरू का पूजन करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि आज का दिन विशेष महत्व रखता है.

रुद्रप्रयाग: जिले के प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा दिवस धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर जगह-जगह से पहुंचे साधु-संतों ने अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना कर गुरू दक्षिणा दी.

गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों के साथ साधु-संतों ने भी कोटेश्वर में अलकनंदा नदी में गंगा स्नान किया. इसके बाद गुरू पूजन का आयोजन किया गया. इस दौरान कोटेश्वर महादेव का अभिषेक भी किया गया. अभिषेक संपन्न होने के बाद कोटेश्वर महादेव में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ. भजन-कीर्तन में अनेक साधु-संतों ने भाग लिया. इस दौरान गुरू पूजन के लिए दूर-दूर से साधु-संत कोटेश्वर आए.

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कोटेश्वर मंदिर में साधु-संतों ने किया गुरू पूजन.

कोटेश्वर महादेव मंदिर के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गुरू का महत्व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. ब्यास पूर्णिमा के अवसर पर अपनी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. उन्होंने बतााय कि संन्यास धर्म को देखते हुए सभी महात्मा जन अपने-अपने गुरू का पूजन करते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि आज का दिन विशेष महत्व रखता है.

Intro:कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा का आयोजन
महात्मा जनों ने अपने-अपने गुरूओं की पूजा कर भगवान कोटेश्वर का किया जलाभिषेक
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - कोटेश्वर में गुरू पूर्णिमा
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/16 जुलाई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबी
एंकर - रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर में गुरू पूर्णिमा दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह से पहुंचे साधु-संतो ने अपने गुरू की पूजा-अर्चना कर गुरू दक्षिणा दी।Body:रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से 3 किमी की दूरी पर प्रसिद्ध कोटेश्व महादेव का मंदिर विराजमान है। यहां पर कोटि-कोटि में भगवान शिव का वास है। भक्त यहां आकर पुण्य अर्जित करत हैं। कोटेश्वर गुफा में अनेक प्रकार के छोटे-छोटे लिंग देखे जा सकते हैं, जिस कारण इस स्थान का नाम कोटेश्वर पड़ा है। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भक्तों के साथ ही साधु-संतो ने कोटेश्वर में अलकनंदा नदी में गंगा स्नान किया, जिसके बाद गुरू पूजन का आयोजन किया गया। इस दौरान कोटेश्वर महादेव का अभिषेक भी किया गया। अभिषेक संपंन होने के बाद कोटेश्वर महादेव में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। भजन कीर्तन में अनेक साधु-संतो ने भाग लिया। इस दौरान गुरू पूजा के लिये जगह-जगह से साधु-संत कोटेश्वर में पधारे थे। कोटेश्वर के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गुरू का महत्व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ब्यास पूर्णिमा के अवसर पर अपनी परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है और सनातन धर्म पर गुरू पूजन किया जा रहा है। सन्यास धर्म को देखते हुए सभी महात्मा जन अपने-अपने गुरू का पूजन करते हैं। आज का विशेष महत्व है।
बाइट - महंत शिवानंद गिरी महाराज, महंत कोटेश्वर मंदिर
Conclusion:
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