रुद्रप्रयागः विश्व विख्यात केदारनाथ धाम के पीछे स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ग्लेशियर में पत्थर गिरे हैं या फिर हिमस्खलन हुआ है? प्रशासन ने एनडीआरएफ को मौके पर जाकर इसकी जांच करने को कहा है. इसके अलावा शासन ने जियोलाॅजिकल टीम को सर्वे करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, हिमस्खलन की घटना के बाद केदारनाथ धाम में रह रहे लोग सहमे हुए हैं. स्थानीय लोगों को डर है कि कहीं 2013 जैसी आपदा दोबारा न आ जाए.
दरअसल, गुरुवार को साढ़े चार से पांच बजे के बीच केदारनाथ मंदिर से लगभग चार किमी दूरी पर स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर पर हिमस्खलन हो गया था. पहाड़ पर काफी दूर तक हिमस्खलन हुआ. जिसके बाद केदारनाथ धाम में अफरा-तफरा मच गई और वहां रहे लोग सहम गए. हालांकि, इस हिमस्खलन में कोई नुकसान नहीं हुआ है. सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने केदारनाथ में मौजूद लोगों को अलर्ट कर दिया. प्रशासन ने इस घटना के बाद एनडीआरएफ को मौके पर जाने के लिए कहा है और घटना की वास्तविक जानकारी हासिल करने के निर्देश दिए हैं.
रुद्रप्रयाग डीएम मयूर दीक्षित (Rudraprayag DM Mayur Dixit) ने कहा कि 22 सितंबर को चार से पांच बजे के बीच चौराबाड़ी ग्लेशियर पर हिमस्खलन (Chorabari Glacier Kedarnath) होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद केदारनाथ में रह रहे लोगों को अलर्ट किया गया. हालांकि, इसमें कोई हानि नहीं हुई है. एनडीआरएफ को घटना की वास्वविक जानकारी जुटाने के लिए मौके पर जाने के लिए कहा गया है. साथ ही शासन से जियोलाॅजिकल टीम (Geological Team Survey Kedarnath Avalanche) के साथ आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand State Disaster Management Authority) को यहां का सर्वे करने का अनुरोध किया गया है.
अभी भी डराती हैं 2013 आपदा की तस्वीरें: साल 2013 में केदारनाथ आपदा (Kedarnath Disaster) की खौफनाक तस्वीरें अब भी रोंगटे खड़े कर देती हैं. यह घटना दुनिया में सदी की सबसे बड़ी जल प्रलय से जुड़ी घटनाओं में से एक थी. 16 जून 2013 की उस रात केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 13 हजार फीट ऊंचाई पर चौराबाड़ी झील ने ऐसी तबाही मचाई थी, जिसके कारण हजारों लोग काल कवलित हो गए. तबाही का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि झील फटने के कई किलोमीटर दूर तक भी लोगों को संभलने का तक मौका नहीं मिला. पानी का वेग इतना तेज था कि कई क्विंटल भारी पत्थर इस जल प्रलय के साथ बहते हुए सब कुछ नेस्तनाबूद कर रहे थे.
ये भी पढ़ेंः ग्लेशियर में बनने वाली झीलों की होगी निगरानी, जानिए वजह
रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा: 16 और 17 जून 2013 की काली रात इतनी भयानक गुजरी कि केदारनाथ धाम से लेकर श्रीनगर तक अनगिनत भवन, होटल व रेस्त्रां में सिर छुपाने की हर जगह पानी में डूबती रही. मोबाइल नेटवर्क, बिजली, पानी जैसी तमाम व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी थी. केदारघाटी में मंदाकिनी नदी ने ऐसी तबाही मचाई कि केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ खत्म हो गया. रामबाड़ा कस्बा जहां होटल गेस्टहाउस जैसे भवन थे. उसका नामोनिशान घाटी के नक्शे से पूरी तरह से मिट चुका था. खौफनाक त्रासदी के चलते लोग जहां-तहां भागते रहे और मौत की कोख में समाते रहे.
ये भी पढ़ेंः चमोली आपदा के बाद से हिमालय में हो रही हलचल तबाही का संकेत तो नहीं?