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बाल कल्याण समिति विभाग में फर्जीवाड़ा, सदस्य के लिए आवेदन करने वाले को बनाया गया अध्यक्ष, RTI से हुआ खुलासा

बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष एवं सदस्य पद पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. RTI से मिली जानकारी के मुताबिक सदस्य के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी को अध्यक्ष पद पर चयनित कर लिया गया.

child welfare committee
बाल कल्याण समिति
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Published : Feb 20, 2022, 2:08 PM IST

Updated : Feb 20, 2022, 2:28 PM IST

रुद्रप्रयागः भाजपा राज के अंतिम दौर में राज्य में विभिन्न संवैधानिक पदों पर की गई नियुक्तियों में मानकों की अनदेखी किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारियां होश उड़ा देने वाली है. ऐसे में समझा जा सकता है कि प्रदेश सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है. एक ऐसा ही कारनामा रुद्रप्रयाग जनपद में भी किया गया है, जिसका खुलासा आरटीआई में जानकारी मांगने के बाद हुआ है.

आरटीआई एक्टिविस्ट श्याम लाल सुंदरियाल ने बताया कि निदेशालय महिला कल्याण विभाग से जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य पद के लिए अभ्यर्थियों के आवेदन की सूची सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई थी. इसके अलावा चयनित जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व उनके समस्त दस्तावेजों के साथ ही शैक्षणिक योग्यता एवं अर्हता से जुड़े प्रमाण पत्र की भी जानकारी मांगी गई थी. लेकिन जो जानकारी निदेशालय से प्राप्त हुई, वह हैरात करने वाली है.

बाल कल्याण समिति विभाग में फर्जीवाड़ा

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उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, जिस व्यक्ति ने बाल कल्याण समिति के सदस्य पद के लिए आवेदन किया था. उस व्यक्ति को बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है. जबकि यह व्यक्ति शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुभवविहिन है. अनुभव के आधार पर यह नियुक्ति मिल पाना असंभव है. बावजूद इसके इस पद में बड़ा खेल करके उक्त व्यक्ति को अध्यक्ष पद पर चयनित किया गया, जो सरासर गलत है. इसकी जांच होनी आवश्यक है.

2019 में मांगे गए आवेदनः दरअसल बाल कल्याण समिति में अध्यक्ष एवं सदस्य पद के लिए वर्ष 2019 में आवेदन मांगे गए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई. इसके बाद नवंबर 2021 में आवेदन पत्रों पर कार्रवाई शुरू की गई तो डॉ. हेमावती पुष्पवाण एवं बलवंत सिंह रावत ही अध्यक्ष पद के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन उपस्थित हो पाए. जबकि अन्य लोगों ने सदस्य पद के लिए आवेदन किया. उन्होंने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए 7 व सदस्य पद के लिए कुल 12 लोगों ने आवेदन किया था. इसमें जिस व्यक्ति को जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष पद पर नामित किया गया है, उसने सदस्य पद के लिए आवेदन किया था और जानकारी में यह बताया कि उक्त व्यक्ति के अनुभव व समिति के सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत तौर पर उनका चयन अध्यक्ष पद के लिए किया गया है. जो लोग अनुभवी थे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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अध्यक्ष पद पर सदस्य के लिए आवेदन करने वाले को चयनित किया गया है. जिन्होंने अनुभव प्रमाण पत्र में स्वयं जिस स्कूल में वे प्रधानाध्यापक हैं. वहां का प्रमाण पत्र लगाया है. इसके अलावा युवक मंगल दल का अनुभव लगाया है, जो मान्य ही नहीं है. आवेदन पत्र में 7 वर्ष का अनुभव मांगा गया था. जबकि शैक्षिक योग्यता मनोविज्ञान, मनो चिकित्सक, समाजिक विज्ञान, सामाजिक कार्य एव विधि मांगी गई थी. लेकिन मानकों को दरकिनार करते हुए जिस व्यक्ति ने अर्थशास्त्र से एमए किया है और अनुभव भी 6 वर्ष का लगाया गया है, उसे ही अध्यक्ष पद पर चयनित किया गया.

बताया कि इस पद में चयनित किए गए व्यक्ति का अनुभव प्रमाण पत्र के साथ ही शैक्षिक योग्यता भी गलत है. ऐसे में उक्त व्यक्ति का चयन किया जाना सवाल खड़े कर रहा है. इसके अलावा आचार संहिता से ठीक चार दिन पहले नियुक्ति देना भी अपने आप में सवालों के घेरे में है. उन्होंने जिलाधिकारी से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनिता अरोड़ा ने कहा कि ये नियुक्तियां निदेशालय स्तर पर हुई हैं, जिनकी कार्रवाई निदेशालय स्तर से ही की जाएगी.

रुद्रप्रयागः भाजपा राज के अंतिम दौर में राज्य में विभिन्न संवैधानिक पदों पर की गई नियुक्तियों में मानकों की अनदेखी किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारियां होश उड़ा देने वाली है. ऐसे में समझा जा सकता है कि प्रदेश सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है. एक ऐसा ही कारनामा रुद्रप्रयाग जनपद में भी किया गया है, जिसका खुलासा आरटीआई में जानकारी मांगने के बाद हुआ है.

आरटीआई एक्टिविस्ट श्याम लाल सुंदरियाल ने बताया कि निदेशालय महिला कल्याण विभाग से जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य पद के लिए अभ्यर्थियों के आवेदन की सूची सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई थी. इसके अलावा चयनित जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व उनके समस्त दस्तावेजों के साथ ही शैक्षणिक योग्यता एवं अर्हता से जुड़े प्रमाण पत्र की भी जानकारी मांगी गई थी. लेकिन जो जानकारी निदेशालय से प्राप्त हुई, वह हैरात करने वाली है.

बाल कल्याण समिति विभाग में फर्जीवाड़ा

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उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनिनियम के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, जिस व्यक्ति ने बाल कल्याण समिति के सदस्य पद के लिए आवेदन किया था. उस व्यक्ति को बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है. जबकि यह व्यक्ति शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुभवविहिन है. अनुभव के आधार पर यह नियुक्ति मिल पाना असंभव है. बावजूद इसके इस पद में बड़ा खेल करके उक्त व्यक्ति को अध्यक्ष पद पर चयनित किया गया, जो सरासर गलत है. इसकी जांच होनी आवश्यक है.

2019 में मांगे गए आवेदनः दरअसल बाल कल्याण समिति में अध्यक्ष एवं सदस्य पद के लिए वर्ष 2019 में आवेदन मांगे गए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई. इसके बाद नवंबर 2021 में आवेदन पत्रों पर कार्रवाई शुरू की गई तो डॉ. हेमावती पुष्पवाण एवं बलवंत सिंह रावत ही अध्यक्ष पद के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन उपस्थित हो पाए. जबकि अन्य लोगों ने सदस्य पद के लिए आवेदन किया. उन्होंने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए 7 व सदस्य पद के लिए कुल 12 लोगों ने आवेदन किया था. इसमें जिस व्यक्ति को जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष पद पर नामित किया गया है, उसने सदस्य पद के लिए आवेदन किया था और जानकारी में यह बताया कि उक्त व्यक्ति के अनुभव व समिति के सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत तौर पर उनका चयन अध्यक्ष पद के लिए किया गया है. जो लोग अनुभवी थे, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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अध्यक्ष पद पर सदस्य के लिए आवेदन करने वाले को चयनित किया गया है. जिन्होंने अनुभव प्रमाण पत्र में स्वयं जिस स्कूल में वे प्रधानाध्यापक हैं. वहां का प्रमाण पत्र लगाया है. इसके अलावा युवक मंगल दल का अनुभव लगाया है, जो मान्य ही नहीं है. आवेदन पत्र में 7 वर्ष का अनुभव मांगा गया था. जबकि शैक्षिक योग्यता मनोविज्ञान, मनो चिकित्सक, समाजिक विज्ञान, सामाजिक कार्य एव विधि मांगी गई थी. लेकिन मानकों को दरकिनार करते हुए जिस व्यक्ति ने अर्थशास्त्र से एमए किया है और अनुभव भी 6 वर्ष का लगाया गया है, उसे ही अध्यक्ष पद पर चयनित किया गया.

बताया कि इस पद में चयनित किए गए व्यक्ति का अनुभव प्रमाण पत्र के साथ ही शैक्षिक योग्यता भी गलत है. ऐसे में उक्त व्यक्ति का चयन किया जाना सवाल खड़े कर रहा है. इसके अलावा आचार संहिता से ठीक चार दिन पहले नियुक्ति देना भी अपने आप में सवालों के घेरे में है. उन्होंने जिलाधिकारी से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है. जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनिता अरोड़ा ने कहा कि ये नियुक्तियां निदेशालय स्तर पर हुई हैं, जिनकी कार्रवाई निदेशालय स्तर से ही की जाएगी.

Last Updated : Feb 20, 2022, 2:28 PM IST
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