हल्द्वानी: क्षेत्र में कई जगहों पर टमाटर की भारी पैदावार होती है. यहां के टमाटर की पहचान देश की कई मंडियों में की जाती है. लेकिन इस बार किसानों को टमाटर के रेट अच्छे मिलने के साथ-साथ टमाटर में रोग लगने से किसान परेशान हैं. किसानों की मानें तो पहले से खेती में हो रहे नुकसान के बाद इस बार टमाटर की अच्छी फसल की उम्मीद थी लेकिन फसल तो अच्छी हुई है. मगर टमाटर में काला रोग और कीड़े लगने से वो खराब होने की कगार पर हैं. ऐसे में काश्तकार जल्द टमाटर तोड़कर बेचने का काम कर रहे हैं, जिससे टमाटर को खराब होने से बचाया जा सके.
गौरतलब है कि गौलापार, चोरगलिया और कोटाबाग क्षेत्रों में भारी मात्रा में टमाटर की पैदावार होती है. लेकिन मौसम की मार ने टमाटर की खेती को नुकसान पहुंचाया है. बताया जा रहा है कि ज्यादा ठंड और पाला पड़ने के चलते टमाटर में काला रोग लग रहा है. इसके अलावा टमाटर में कीड़े भी लग रहे हैं. इसके चलते टमाटर काश्तकार समय से पहले अपने टमाटर को तोड़ने को मजबूर हैं.
टमाटर के किसानों का कहना है कि इस बार टमाटर की अच्छी पैदावार हुई है. मंडी में टमाटर के रेट अच्छे मिल रहे हैं, लेकिन अब टमाटर में रोग लगने के चलते टमाटर खराब होने की कगार पर हैं. ऐसे में मजबूरन अब कम पके हुए टमाटर तोड़कर मंडियों में बेचने को मजबूर हैं.
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जैविक खेती प्रशिक्षक अनिल पांडे के मुताबिक इस समय टमाटर की फसल पक रही है. इस समय लापरवाही का असर सीधे फसल के उत्पादन और गुणवत्ता पर पड़ता है. टमाटर के पौधे मुलायम होने के चलते कीट पौधों की पत्तियों और शाखाओं को चूस कर कमजोर कर देते हैं. इसके अलावा सफेद मक्खी टमाटर में विषाणु रोग फैलाती हैं. पाला और अधिक ठंड के चलते टमाटर की फसल में रोग लग रहा हैं. इससे बचने के लिए किसान टमाटर के खेतों में ऑर्गेनिक दवाइयों का छिड़काव करें. जिससे टमाटर में कीड़े न लग सकें और टमाटर का उत्पादन अच्छा हो सके.