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अभी से सूखने लगे जल स्रोत, चोपता में गहराने लगा पेयजल संकट

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अभी से पेयजल संकट गहराने लगा है. बारिश कम होने की वजह से अधिकाश जल स्रोत सूखने लगे है.

Chopta Drinking water crisis
चोपता में गहराने लगा पेयजल संकट
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Published : Mar 17, 2021, 3:17 PM IST

रुद्रप्रयाग: गर्मियों की दस्तक के साथ ही पहाड़ों में पेयजल संकट गहराने लगा है. रुद्रप्रयाग जिले में पट्टी तल्लानागपुर के अधिकांश क्षेत्रों में पानी की किल्लत होने लगी है. हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों और व्यापारियों को पानी खरीदना पड़ रहा है. इंसानों के साथ मवेशी भी प्यासे रहने के मजबूर हैं.

पट्टी तल्लनागपुर के चोपता, सतेराखाल, दुर्गाधार और मयकोटी सहित अन्य क्षेत्रों में पेयजल की समस्या कोई नई नहीं है. यहां सालों से लोगों पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. गांवों को जोड़ने वाले पेयजल स्रोतों में पानी नहीं चल पा रहा है. अधिकांश पेयजल स्रोत सूख चुके हैं.

पढ़ें- बूंद-बूंद पानी को मोहताज हो सकता है हल्द्वानी, लगातार गिर रहा गौला नदी का जलस्तर

तल्लानागपुर क्षेत्र के मुख्य केंद्र बिन्दु चोपता में पेयजल का भीषण संकट है. यहां होटल व्यापारी दूरस्थ प्राकृतिक जल स्रोतों से वाहनों में पानी की ढुलवाई करवा रहे हैं. स्थिति यह है कि पानी के अभाव में स्थानीय व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. इस बार बरसात कम होने के कारण अधिकांश पेयजल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. पाइन लाइनों में भी पूरा पानी नहीं आ रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

जल संस्थान की ओर से भेजे जा रहे पानी के टैंकर ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं पड़ रहे है. इस पानी के लिए भी ग्रामीणों को काफी लंबी लाइन लगानी पड़ रही है. स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीणों का कहना है कि अभी से पानी की इतनी विकट समस्या है तो गर्मियों में क्या हाल होगा? हर घर को नल से तो जोड़ा जा रहा है, लेकिन इन नलों पर पानी कहां से चलेगा. प्राकृतिक स्रोत अभी से सूखने लग गये हैं. वहीं, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पेयजल संकट है. वहां टैंकरों के जरीये जलापूर्ति की जा रही है.

रुद्रप्रयाग: गर्मियों की दस्तक के साथ ही पहाड़ों में पेयजल संकट गहराने लगा है. रुद्रप्रयाग जिले में पट्टी तल्लानागपुर के अधिकांश क्षेत्रों में पानी की किल्लत होने लगी है. हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों और व्यापारियों को पानी खरीदना पड़ रहा है. इंसानों के साथ मवेशी भी प्यासे रहने के मजबूर हैं.

पट्टी तल्लनागपुर के चोपता, सतेराखाल, दुर्गाधार और मयकोटी सहित अन्य क्षेत्रों में पेयजल की समस्या कोई नई नहीं है. यहां सालों से लोगों पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. गांवों को जोड़ने वाले पेयजल स्रोतों में पानी नहीं चल पा रहा है. अधिकांश पेयजल स्रोत सूख चुके हैं.

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तल्लानागपुर क्षेत्र के मुख्य केंद्र बिन्दु चोपता में पेयजल का भीषण संकट है. यहां होटल व्यापारी दूरस्थ प्राकृतिक जल स्रोतों से वाहनों में पानी की ढुलवाई करवा रहे हैं. स्थिति यह है कि पानी के अभाव में स्थानीय व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. इस बार बरसात कम होने के कारण अधिकांश पेयजल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं. पाइन लाइनों में भी पूरा पानी नहीं आ रहा है. ऐसे में स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है.

जल संस्थान की ओर से भेजे जा रहे पानी के टैंकर ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं पड़ रहे है. इस पानी के लिए भी ग्रामीणों को काफी लंबी लाइन लगानी पड़ रही है. स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीणों का कहना है कि अभी से पानी की इतनी विकट समस्या है तो गर्मियों में क्या हाल होगा? हर घर को नल से तो जोड़ा जा रहा है, लेकिन इन नलों पर पानी कहां से चलेगा. प्राकृतिक स्रोत अभी से सूखने लग गये हैं. वहीं, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पेयजल संकट है. वहां टैंकरों के जरीये जलापूर्ति की जा रही है.

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